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Poem : “फिर वही शाम”

✍️ इन्दु सिन्हा”इन्दु”, रतलाम (मध्यप्रदेश)

आज तुम्हारी,
आंखों के सागर में,
मैंने इंद्रधनुषी सपनो को
मचलते देखा है,
पहाड़ी से गिरते,
झरने के संगीत को,
फुर्सत से सुना है।

अलसाती दोपहर में,
अंगड़ाई लेते अहसासों में,
दिल के हरेक कोने पर,
तुम्हारा नाम ही लिखा है।

हवाओ के संगीत में,
फूलो की खुशबुओं में,
भँवरे की गुंजन में भी,
तुमको ही तो सुना है।

अब ये मौसम भी तो,
ज्यादा ही नशीला है,
खामोश खड़े पेड़ दे रहे आवाज़,
मुलाकात के लिए हमने भी,
फिर वही जगह को चुना है।

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