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नवरात्र में कैसे करे शक्ति की उपासना ?

प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका), ग्वालियर, मध्य प्रदेश

आइए जानते हैं नवरात्र में हम कैसे ” शक्ति की उपासना ” करके मां भगवती दुर्गा को प्रसन्न कर सकते हैं। मां भगवती देवी संकट को निवारण करने, महामारी एवं दुखों का अंत करने वाली शक्ति है! जिनको हम अंबा मां जगदंबे के रूप में पूजन करते हैं। नवरात्रि के 9 दिन शक्ति की उपासना के लिए उचित माने गए हैं ! इसमें हम मां भगवती दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन करते हैं। आस्था के प्रतीक इन 9 दिनों में हम भगवती का सरलता पूर्वक पूजन करके भी उनको प्रसन्न करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं वैसे तो पूजन कई प्रकार से होता है, पंचोपचार, लघु, एवम षोडशोपचार पूजन । विभिन्न राज्य व स्थानों पर देवी के कई स्वरूपों का पूजन विभिन्न विभिन्न तरीके से किया जाता है! परंतु इन समस्त तरीकों में श्रेष्ठ है सच्ची श्रद्धा एवं आस्था से किए गए कार्य । इसी से ईश्वर प्रसन्न होता है मूलतः नवरात्र में घट स्थापना का बहुत महत्व है यदि आप घट स्थापना (कलश ) को स्थापित करके पूजन करते हैं तो वह पूजन अत्यंत फलदाई हो जाता है।

घट स्थापना की विधि एवं महत्वता 

कहा जाता है की कलश सुख एवं समृद्धि का प्रतीक है इसीलिए माता के पूजन में इसे सबसे महत्वपूर्ण माना गया है ! शुभ समय देखकर घर में माता के समक्ष कलश का पूजन ही घटस्थापना कहलाता है। इसके लिए हमें एक मटकी की आवश्यकता होती है जिसमें स्वच्छ जल भरकर में मिश्री पान के पत्ते गुड डालकर माता के समक्ष गेहूं की एक ढेरी बनाकर उसके ऊपर स्थापित करें। तत्पाशत कलश का पूजन अक्षत रोली चावल नरियल एवं श्रीफल चढ़ाकर करें। यह घटस्थापना करके माता से 9 दिन विराजमान रहने की विनती करना चाहिए।

पूजन सामग्री :

माता की पूजा में कोई कमी ना रह जाए इसीलिए आप इसकी तैयारी 1 दिन पहले से कर सकते हैं जिसमें मुख्य सामान हल्दी, रोरी, चावल, गेंहू, जो, तिल, घी, गुड, शक्कर, कपूर, नारियल, इलाइची, बतासे, लोग, पान, फल, फूल, धूप दीप, कलावा एवम सुहाग सामग्री विशेष है। इन समस्त समाग्री द्वारा आसानी से नवरात्र का शुद्ध पूजन किया जा सकता है ।

कैसे करें शक्ति की आराधना का उपासना

शक्ति की आराधना एवं उपासना करने के लिए सबसे पहले आपका शुद्ध मन होना बहुत जरूरी है इसीलिए अपने मन को शांत करने की कोशिश करें वह सकारात्मक भाव से माता का पूजन संपन्न करें माता बड़ी ही कृपालु दयालु है वह एक साधारण सी पूजा से प्रसन्न होती है परंतु चुकी नव दुर्गे नौ शक्तियों का आगमन है इसीलिए हम लोग दुर्गा में माता को प्रसन्न करने के लिए देवी भगवती कवच ,स्त्रोत , सप्तशती एवं दुर्गा चालीसा इत्यादि धर्म ग्रंथ स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हैं। शुद्ध कुशा के आसन पर बैठकर माता भगवती की तस्वीर को सामने रख पूजन सामग्री के साथ माता का पूजन करके माता के जवारे का पूजन करते है । यह जो आरे मट्टी के सकोरे में माटी भरकर गेहूं व जो को बोने से उत्पन्न होते हैं ! यह माता के प्रेम और प्यार का प्रतीक है। जवारे का पूजन यह दर्शाता है के सृष्टि का पूजन सर्वप्रथम है क्योंकि यही सृष्टि हमें जीवन जीने योग्य सामग्री भी प्रदान करती है। हम माता को 9 दिनों तक फल एवं मिष्ठान का भोग लगाकर उन्हें नवरात्रि के संपन्न होने पर कन्याओं को भी भोज कराते हैं, ताकि कन्या पूजन से सकारात्मकता घर में प्रवेश कर सके। समय ना होने पर हम माता का पूजन उन की चौकी सजा कर आम दिनों की तरह मात्र जोत प्रज्वलित कर भी की जा सकती है! यदि आप पर ज्योत प्रज्वलित के लिए यदि उचित व्यवस्था ना हो तो सुबह और शाम में जोत का समय सुनिश्चित करें एवम कम से कम एक घंटा माता के नाम से ज्योत प्रज्ज्वलित कर सकते हैं । यह सबसे साधारण और सबसे सरल पूजा है माता की ! जो की आपको भगवती जगदंबे के करीब ले जाता हैं। माता की उपासना उनके बीज मंत्रों के द्वारा भी की जा सकती है इससे भी मां अत्यंत प्रसन्न होती है और यह संभव न होने पर आप गायत्री मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। माता सभी को सदैव प्रसन्न रखने वाली और महामारी का नाश करने वाली है मां , मां होती है। नवरात्रि में पूजन का आरंभ करके आप इसको इस पूजन को अपने जीवन की नियमित दिनचर्या भी बना सकते हैं । इस प्रकार आपके जीवन में सदैव माता रानी की कृपा बनी रहती है।

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