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Deoria : प्रेमचंद जयंती पर आयोजित तीन दिवसीय काव्य महोत्सव सम्पन्न

✍️  सुनीता सिंह सरोवर

देवरिया, (उ.प्र.) : साहित्य शक्ति संस्थान देवरिया- उत्तर प्रदेश का द्वितीय राष्ट्रीय कवि सम्मेलन 4 अगस्त को सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम उपान्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयन्ती पर 31 जुलाई 2021 से 02 अगस्त 2021 तक तीन दिवसीय आयोजन था। यह तीन दिवसीय काव्य महोत्सव कार्यक्रम कोरोना संकट को देखते हुए अनलाइन गूगल मीट पर आयोजित था।इस कार्यक्रम मे पूरे भारत से इकहत्तर रचनाकारो ने क्रमशः तीन दिनो तक काव्यपाठ मे भाग लेकर के प्रेमचंद को याद किये। कार्यक्रम प्रतिदिन शाम चार बजे से प्रारम्भ होता था तो तो देर रात लगभग नौ बजे तक चलता रहता। गूगल मीट पर इतनी लम्बी अवधि तक चलने वाला इस तरह का कार्यक्रम अपने आप मे अनोखा था। स्रोताओ और कवियो का उत्साह इस कार्यक्रम की शोभा स्वतः द्विगुणित करता था।

प्रथम दिन के काव्यपाठ का शुभारंभ गुन्जा गुप्ता ‘गुनगुन’ ने वाणी वंदना करते हुए “हे मातु अब तो आइए, हारा हृदय हर्षाइए” सुनाकर कार्यक्रम को गति दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डा0 प्रसून कुमार सिह वरिष्ठ प्रवक्ता डायट देवरिया ने मुंशी प्रेमचंद के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए अपनी एक प्रतिनिधि रचना का काव्यपाठ कर कार्यक्रम को ऊचाई प्रदान की।मध्य प्रदेश के वरिष्ठ कवि वृंदावन राय सरल ने अपने दोहा छंद और गोरखपुर से पधारे संस्थान के संरक्षक वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र कुमार मिश्र बिरही ने अपने गीतों से स्रोताओ को मंत्र मुग्ध कर दिए। दिल्ली की कवयित्री इन्दु मिश्रा किरण ने “ज़ख्म दुनिया को दिखाने की ज़रूरत क्या है, ख़ुद को अख़बार बनाने की ज़रूरत क्या है।” गजल पढकर खूब वाहवाही लूटी। औरंगाबाद की दो बहने क्षमा शुक्ला तथा रजनी उपाध्याय के सुमधुर स्वर और काव्यपाठ ने स्रोताओ को आह! और वाह! करने पर मजबूर कर दियें। मुरादाबाद की कवयित्री दीप्ति खुराना की कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित रचना “ऐसा भी क्या निर्दोष ने अपराध किया है, गर्भ मे ही बेटी को क्यो मार दिया है।” सुनाकर स्रोताओ को सोचने पर मजबूर कर दी।

हरदोई के युवा कवि पंकज त्रिपाठी कौतेय के पञ्चचामर छंद मे पढ़ी गयी रचना की भूरी-भूरी प्रशंसा सबने की।सोनभद्र से श्रृंगार की कवयित्री अलका केशरी की रचना “संग ओ था सुहानी मुलाकात थी,खूब तारों भरा चाँदनी रात थी।और कौसाम्बी से श्रृंगार रस की कवयित्री अभिलाषा सिह के गीत-गजलो पर स्रोताओ ने रसगंगा मे खूब डूबकी लगाई। कार्यक्रम की संयोजिका और रोहतास से पधारी कवयित्री बबली कुमारी ने अपने कोकिलकंठ से प्रेमचंद पर आधारित गीत सुनाकर नवरस की धारा बहा दी।मथुरा से जुड़ी रसराज श्रृंगार की कवयित्री चारू मित्तल ने “नाजो मे पली फूलो की डली थी, बैठ डोली मे पिया घर चली थी। “तथा पीलीभीत की कवयित्री अनीता विश्वकर्मा ने “खत मे गुलाब भेजा है तुमको” सुनाकर श्रृंगार रस से सराबोर कर दिया। संस्थान की प्रदेश अध्यक्ष और गोरखपुर की कवयित्री नीरजा वसंती की ‘नवाकुर’ शीर्षक कविता की सराहना सबने की। फतेहपुर की कवयित्री सीमा मिश्रा और रश्मि पाण्डेय की शिष्ट रचनाओं की सराहना सबने की। संतकबीर नगर से अनुपम चतुर्वेदी और जयपुर की वरिष्ठ कवयित्री वीना शर्मा के समसामयिक रचनाओं ने स्रोताओ  के दिलो दिमाग पर अमिट छाप छोड़ने मे सफल रही। देवरिया की यस आर जी डा0शीला चतुर्वेदी शील और कोलकाता की कवयित्री रचना सरन का संक्षिप्त और सारगर्भित काव्यपाठ स्रोताओ को खूब पसंद आयी। आरा-बिहार के जिला अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी डा0किशोर आनंद की रचना ‘वक्सा’ और नालंदा-बिहार की बीडीओ सुमिता जी की रचना ‘मायका’ सीधे स्रोताओ के हृदय को स्पर्श कर गयी।मुरादाबाद के कवि राजीव कुमार गुर्जर तथा चित्रकूट के कवि अशोक प्रियदर्शी की शुद्ध साहित्यिक रचनाओं को सुनकर हृदय आनन्दित हो गया।

कार्यक्रम के द्वितीय दिन छिंदवाड़ा की कवयित्री अंजुमन मंसूरी आरजू की खनकती आवाज मे प्रस्तुत की गयी वाणी वंदना तथा गोरखपुर की कवयित्री डा0विनीता मिश्रा के अद्भुत व कुशल संचालन ने स्रोताओ का मन मोह लिया। कासगंज से पधारे छंद गुरू और वीर रस के यशस्वी वरिष्ठ कवि डा0विमलेश अवस्थी की रचनाओं को सुनते ही देशभक्ति की भावना हृदय मे हिलोरे लेने लगी। भाषा शिक्षिका कटक जानकी झा, सहडोल की कवयित्री  प्रणाली श्रीवास्तव, देहरादून की कवयित्री नीलोफर नीलू और सरगुजा की कवयित्री शिक्षिका लता नायर की नपी-तुली रचनाओं ने समाज से सीधा संवाद स्थापित की। सुमन लता मेरठ, अनामिका चौकेसे नरसिंहपुर और युवा कवि कृष्णा मिश्रा ने भावपूर्ण रचना सुनाकर श्रेष्ठ कवियो का आशीर्वाद लिए। रामलला की धरती अयोध्या की कवयित्री अर्चना द्विवेदी और उन्नाव की कवयित्री कामिनी मिश्रा ने मनमोहन कजरी गीत प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी।शहनाजबानो चित्रकूट, महिमा तिवारी देवरिया, सुनीता सिह ‘सरोवर’ देवरिया, शालिनी सिह देवरिया की संदेश देती रचनाओ के सभी स्रोता मुरीद हो गये।

कार्यक्रम के तृतीय दिवस के काव्यपाठ की शुभारंभ छिंदवाड़ा की वरिष्ठ कवयित्री दीपशिखा ने अपने मनोहारी वाणी वंदना से प्रारम्भ की इन्होने अपने चिरपरचित अंदाज मे “आस्था के दीप मैने नैन मे बाले, पीत अच्छत नेह की डेहरी उलझ डाले” सुनाकर कार्यक्रम को ऊचाई प्रदान की। तृतीय दिवस के काव्यपाठ मे आकर्षण का केन्द्र रही वाराणसी से पधारी वरिष्ठ लोक साहित्य की कवयित्री मणिबेन द्विवेदी जी।इनके कजरी गीतों पर सभी स्रोता ठुमकते नजर आये।”सखियाँ झूल रही मधुबन मे,संग मे श्याम सवरिया ना” की प्रस्तुति  वाद्ययंत्र पर स्वयं बजाकर गाने की मनमोहक कला देखकर सभी स्रोता भाव विह्वल उहो उठे।कटक की कवयित्री आकांक्षा रूपा और देवरिया की कवयित्री अंजनी द्विवेदी, कासगंज की कवयित्री ड0प्रवीणा दीक्षित और हापुड की कवयित्री अरूणा राजपूत की प्रस्तुतिया एक से बढ़कर एक थी।तृतीय दिवस के काव्यपाठ का सफल संचालन करते हुए इटारसी की कवयित्री प्रमिला किरण की रचना मै “हूँ चाय सी” की महक सबने महसूस की।इस तीन दिवसीय काव्य महोत्सव मे ज्योति अग्निहोत्री इटावा, डिम्पल तिवारी अयोध्या, दामिनी सिह ठाकुर इंदौर, मूलदास चारण वाडमेर, डा0समरना फैय्याज बरेली, डा0श्वेता सिह गौर हरदोई, दिव्या सक्सेना इंदौर, पुष्पलता लक्ष्मी रायबरेली, मंजू कट्टा राजस्थान आदि रचनाकारो ने अपनी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ी।

तीनो दिन के कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य शक्ति संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 पंकज-प्राणेश देवरिया ने की।सबकी रचनाओं की समीक्षा संस्थान के राष्ट्रीय संरक्षक वीरेन्द्र मिश्र बिरही और आभार प्रदर्शन संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिव्या सक्सेना इदौर द्वारा किया गया। कार्यक्रम की संयोजिका बबली कुमारी रोहतास और संस्थान की प्रदेश अध्यक्ष नीरजा वसंती गोरखपुर ने बताया कि आगामी सप्ताह मे एक भव्य सम्मान समारोह आयोजित कर सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाएगा।

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