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नोकार्क ने कोविड-19 की दूसरी लहर में अस्पतालों में 2500+ वेंटिलेटर लगाए

~ प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार करने और यूएस व यूरोप में कदम रखने की योजना 

मुंबई : कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने भारत को बहुत बुरी तरह प्रभावित किया, विशेष रूप से पिछले 3 महीनों में लाखों लोगों को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर जैसे उपचार उपकरणों की सख्त जरूरत थी। इस पृष्ठभूमि में पुणे स्थित एक स्टार्टअप नोकार्क (Noccarc) ने देश भर के 500+ अस्पतालों में अपने प्रमुख V310 वेंटिलेटर के 3000+ से अधिक वेंटिलेटर लगाए हैं। यह स्टार्टअप उल्लेखनीय तकनीकी विशेषज्ञता के साथ उच्च तकनीकी उपकरण विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरहदों को पार करते हुए, कंपनी ने नेपाल में वेंटिलेटर भी लगाए हैं और कई अन्य अफ्रीकी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से ऑर्डर प्राप्त किए हैं।

महामारी की पहली लहर के दौरान 300 वेंटिलेटर की आपूर्ति करने और बाजार से जबरदस्त रेस्पॉन्स मिलने के बाद नोकार्क ने बढ़ती राष्ट्रीय और वैश्विक जरूरतों को पूरा करने के लिए पुणे में 50,000 वर्ग फुट की फ़ैक्टरी स्थापित की। इस तैयारी ने नोकार्क को मार्च 2021 तक प्रतिदिन 20 वेंटिलेटर से अप्रैल 2021 के अंत तक प्रतिदिन 105 वेंटिलेटर बनाने की क्षमता दी। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान वेंटिलेटर की मांग 800% तक बढ़ गई थी और इसे पूरा करने के लिए नोकार्क द्वारा उत्पादन बढ़ाया गया जिस वजह से वे 3 महीने की अवधि में 2,500 वेंटिलेटर की आपूर्ति कर सके। इसके अलावा यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी वेंटिलेटर चल रहे हैं, नोकार्क ने ऑनलाइन और ऑफलाइन ग्राहक सहायता के लिए कॉल सेंटर स्थापित किया है।

नोकार्क के सह-संस्थापक हर्षित राठौर ने कहा, “चिकित्सा उपकरणों का वैश्विक बाजार 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर का आंका गया है। इसमें से भारत का बाजार 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है और इसके तेजी से बढ़ने का अनुमान है। 2025 तक 37% सीएजीआर के साथ यह 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। नोकार्क की टीम ने तीव्र प्रोडक्ट डेवलपमेंट की योग्यता रखी है और हमारा लक्ष्य अगले पांच वर्षों में उच्च तकनीकी मेडिकल उपकरणों के इम्पोर्ट में 20% तक कमी लाने का है। मानव जाति की जरूरतों को पूरा करने वाले उपकरणों के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध नोकार्क के उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों ने भारत और अन्य देशों में स्वीकार्यता प्राप्त की है। हम इनोवेटिव प्रोडक्ट्स बनाते रहेंगे जो दुनियाभर के मरीजों की जरूरतों को पूरा करेंगे।”

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