✍️ जीतेन्द्र पुरी (टैटू वाले)
ये जिंदगी है ससुरी,
बिन मौसम वाली।
कब भर दे जेबें,
कब कर दे खाली ।। २
न कोई है अपना
न कोई पराया …
कब कौन आकर,
गले से लगा ले।
और भरोसा नहीं है,
की कब दे दे गाली।।
ये जिंदगी है ससुरी,
बिन मौसम वाली।
कब भर दे जेबें,
कब कर दे खाली।। २
समय अच्छा हो तो
तूफान हवा बन जाए।
और समय बुरा हो तो
हवा तूफान बन जाए।।
ठिकाना नहीं है
यहां पर किसी का …
कहो कोई प्रेमी,
तुमको उठा दे ।
कहो कोई प्रेम से,
बना दे भिखारी ।।
ये जिंदगी है ससुरी,
बिन मौसम वाली ।
कब भर दे जेबें,
कब कर दे खाली ।। २