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True Story : प्यार में हद पार

(परिमिता द्वारा प्यार स्वीकार कर लेने पर अब जयकांतो फूला नहीं समा रहा था। भले ही परिमिता सीमा पार की रहने वाली थी, पर जयकांतो को इस बात की खुशी थी कि कोई तो है इस संसार में जो उसे प्यार करती है। इसकी वजह यह थी कि सोशल मीडिया पर न तो कोई दोस्त होता है और न कोई प्यार करने वाला। प्यार हो भी कैसे सकता है। जिसे कभी देखा नहीं, जिसके बारे में कुछ जानते नहीं, उसने फेसबुक पर जो अपने बारे में जानकारी दी है, वह गलत है या सही, ऐसे आदमी से दोस्ती या प्यार कैसे हो सकता है। फेसबुक के दोस्त सिर्फ कहने के दोस्त हो सकते है। इनमें न कोई भावनात्मक लगाव होता है और न इनमें किसी तरह की संवेदना होती है। ऐसे में अगर जयकांतो को कोई प्यार करने वाली मिल गई थी तो वह सचमुच भाग्यशाली था। भले ही वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी।…. पढ़े क्या जयकांतो अपना प्यार पाने में सफल हुआ? )

✍️  वीरेन्द्र बहादुर सिंह

पश्चिम बंगाल के जिला नदिया के थाना शांतिपुर के गांव बल्लवपुर के रहने वाले नोलिनीकांत राय का 20 साल का बेटा जयकांतोचंद्र राय ने 12वीं की पढ़ाई पूरी कर के कालेज में दाखिला ले लिया था। कालेज की पढ़ाई के साथ-साथ वह पिता नोलिनीकात के साथ खेती के काम में हाथ बंटाने लगा था। नोलिनीकांत के पास खेती की जमीन के अलावा कई तालाब थे, जिनमें वह मछली पालन करते थे। मछली पालन से उन्हें अच्छीखासी आमदनी हो रही थी, इसलिए उन्हें किसी बात की चिंता नहीं थी। साधन संपन्न होने की वजह से गांव में भी रह कर वह सुख की जिंदगी जी रहे थे।

जयकांतो उनका इकलौता बेटा था, इसलिए उनके पास इतना कुछ था कि उनके बेटे को कहीं बाहर जाने की जरूरत ही नहीं थी। जब भी वह घर में ही रहता, थोड़ीबहुत पिता की मदद कर देता, बाकी समय वह आज के युवकों की तरह स्मार्ट फोन में लगा रहता। बाप के पास पैसा था ही, इसलिए बेटा कालेज जाने लगा तो बाप ने उसे स्मार्ट फोन खरीद कर दे दिथा था। किसी भी युवक के पास स्मार्ट फोन हो और वह सोशल मीडिया पर ऐक्टिव न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता।

फोन हाथ में आते ही जयकांतो सोशल मीडिया पर ऐक्टिव हो गया था। ह्वाटसएप तो चला ही रहा था, फेसबुक पर भी उसने अपना फेसबुक पेज बना लिया था। फेसबुक पर अपना पेज बनाने बाद वह अपनी जानपहचान वालों को तो रिक्वेस्ट भेज ही रहा था, इसके अलावा दोस्ती के लिए जो सुझाव दिखाई देते थे, उनमें से वह सिर्फ सुंदर लड़कियों को ही फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता था।

जयकांतो ज्यादातर उन्हीं लडकियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली होती थीं। इसके अलावा वह बांग्लादेश की भी उन लड़कियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजता था, जो उसकी किसी फ्रेंड की काॅमन फ्रेंड होती। जयकांतो लड़कियों को केवल फ्रेंड रिक्वेस्ट ही नहीं भेजता था, रिक्वेस्ट कन्फर्म होने बाद वह उनसे मैसेजंर द्वारा चैटिंग (मैसेज द्वारा बातचीत) करने की कोशिश करता। 20-21 साल का लड़का किसी हमउम्र लड़की से घरपरिवार की बात तो करेगा नहीं, वह जो बातें करता था, वह ज्यादातर लड़कियों को पसंद नहीं आतीं और वे उसे ब्लाक कर देतीं। जयकांतो को ऐसी लड़कियों से बड़ी चिढ़ और कोफ्त भी होती थी कि ये कैसी लड़कियां हैं, जो उसके दिल की बात नहीं समझतीं।

फेसबुक पर अब तक जो अनुभव प्राप्त हुआ था, उसके आधार पर अब जयकांतो मैसेजंर पर अपने मन की नहीं, जो लड़कियों को अच्छी लगती थीं, उस तरह की बातें करने लगा। इसका नतीजा यह निकला कि लड़कियां जवाब भले न देतीं, पर उसे ब्लाक नहीं करती थीं। जवानी की दहलीज पर खड़े जयकांतो को प्यार और सेक्स की बातें करना ज्यादा अच्छा लगता था। पर हर लड़की तो इस तरह की होती नहीं है। फिर भी फेसबुक पर ऐसी तमाम लड़कियां और महिलाएं हैं, जो खूब अश्लील चैट ही नहीं करतीं, बल्कि अश्लील फोटो और वीडियो भी भेजती हैं। जयकांतो की भी इस तरह तमाम लड़कियों और महिलाओं से बातचीत होती थी, जो मैसेजंर पर इस तरह की गंदी बातचीत करने के साथसाथ अश्लील फोटो और वीडियो भेजती थीं। लेकिन इसमें दिक्कत यह होती है कि इस तरह के लड़कियों और महिलाओं की दोस्ती टिकाऊ नहीं होती। 2-4 दिन बातचीत कर के वे दोस्ती खत्म कर देती हैं, क्योंकि इस तरह की बातचीत करने वाला उन्हें कोई नया दोस्त मिल जाता है।

जयकांतो अब तक इस तरह के दोस्तों से ऊब गया था। वह कोई ऐसी दोस्त चाहता था, जो उससे सिर्फ प्यार की बातें करें। पर काफी प्रयास के बाद भी इस तरह की कोई दोस्त नहीं मिल रही थी। जयकांतो की गांव या कालेज में भी कोई इस तरह की दोस्त नहीं थी, जो अपने दिल की बात उससे कहती और उसके दिल की बात सुनती। उसने बहुत लड़कियों से अपने दिल की बात कहने की कोशिश की थी, पर किसी ने भी उसके दिल की बात नहीं सुनी थी। जिससे भी उसने दिल की बात कहने की कोशिश की, उसने हंसी में उड़ा दिया था। फिर भी जयकांतो निराश नहीं हुआ। वह कोशिश करता रहा।

आखिर उसकी कोशिश रंग लाई और उसकी दोस्ती एक ऐसी लड़की से हो गई, जो उसके दिल की बात सुनने को तैयार हो गई। वह लड़की परिमिता (बदला हुआ नाम) बांग्लादेश के थाना नेरेल की रहने वाली थी। उस समय उसकी उम्र मात्र 15 साल थी और जयकांतो की 20 साल। उस मासूम को जयकांतो की बातें पसंद आने लगी थीं। जयकांतो उससे जो भी पूछता, वह खुशीखुशी उसकी बातों का जवाब देती थी। ऐसे में ही एक दिन जयकांतो ने मैसेज कर के उससे पूछा, “तुम्हारा कोई ब्वायफ्रेंड भी है?”

“अभी तो नहीं है, पर अब बनाने की सोच रही हूं।” परिमिता ने मैसेज कर के जवाब दिया।

“कौन है वह भागयशाली, जिसे तुम्हारा ब्वायफ्रेंड बनने का मौका मिल रहा है?” जयकांतो ने पूछा।

“कोई भी हो सकता है। तुम भी हो सकते हो। क्यों तुम मेरे ब्वायफ्रेंड बनने लायक नहीं क्या?” परिमिता ने पूछा।

“मैं इतना भागयशाली कहां, जो तुम जैसी लड़की मुझे अपना ब्वायफ्रेंड बनाए। अगर ऐसा हो जाए तो मैं खुद को बड़ा भाग्यशाली समझूंगा।” आह सी भरते हुए जयकांतो ने जवाब भेजा।

“अगर मैं कहूं कि मैं तुम्हें ही अपना ब्वायफ्रेंड बनाना चाहती हूं तो… ?”

“खुद को मैं बहुत भाग्यशाली समझूंगा तुम्हारा ब्वायफ्रेंड बन कर।” जयकांतो ने जवाब दिया, “तुम्हारे इस मैसेज से मैं मारे खुशी के फूला नहीं समा रहा हूं। “

“एक बात बताऊं?” परिमिता ने मैसेज किया।

“बताओ।” जयकांतो ने मैसेज द्वारा पूछा।

“जितना तुम खुश हो, उससे कहीं ज्यादा मैं खुश हूं तुम्हें ब्वायफ्रेंड बना कर।”

“सच?”

“अब कसम खाऊ तब विश्वास करोगे क्या।” परिमिता ने यह मैसेज भेज कर अपनी दोस्ती का विश्वास दिला दिया।

इसके बाद दोनों में पक्की दोस्ती हो गई। अब दोनों एकदूसरे से अपनेअपने दिल की बात कहने-सुनने लगे। धीरे-धीरे उनका बात करने का समय बढ़ता गया तो उनके दिलों में

एकदूसरे के लिए जगह बनने लगी। दोनों ही एकदूसरे से बात करने के लिए बैचैन रहने लगे। बेचैनी ज्यादा बढ़ने लगी तो एक दिन जयकांतो ने परिमिता को मैसेज किया, “परिमिता मैं तुम से एक बात कहना चाहता हूं। पर डरता हूं कि कहीं तुम नाराज न हो जाओ?”

“मुझे पता है तुम क्या कहना चाहते हो। लड़के इस तरह की बात तभी करते हैं, जब उन्हें अपने प्यार का इजहार करना होता है। तुम यही कहना चाहते होगे कि ‘परिमिता मुझे तुम से प्यार हो गया है। अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।’ यही कहना चाहते हो न?” परिमिता ने मैसेज किया।

“बात तो तुम्हारी सच है परिमिता। मैं कहना तो यही चाहता था। पर तुम्हें कैसे पता चला कि मैं प्यार का इजहार करने वाला हूं?” जयकांतो ने पूछा।

“और कोई ऐसी बात हो ही नहीं सकती, जिसे सुन कर नाराज होने वाली होती। रही प्यार की बात तो उसमें भी क्यों नाराज होना। मर्जी की बात है। मन हो तो हां कर दो,वरना मना कर दो। फिर तुम तो वैसे भी मेरे ब्वायफ्रेंड हो, फ्रेंड की बात पर तो वेसे भी कोई नाराज नहीं होता।” परिमिता ने जवाब में मैसेज भेजा।

“तो फिर मैं हां समझूं?” एक बार फिर जयकांतो ने पूछा।

अब किस तरह कहूं। कसम खा कर कहना होगा क्या?”

“मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा कि तुम ने हां कर दिया है।” जयकांतो ने कहा।

“विश्वास करो जयकांतो, मैं भी तुम्हें प्यार करती हूं। मैं तो कब से इंतजार कर रही थी तुम्हारे इस इजहार का। अगर तुम से प्यार न कर रही होती तो तुम्हारे पीछे अपना इतना समय क्यों बरबाद करती।”

परिमिता के इस जवाब से जयकांतो बहुत खुश हुआ। इसी बात के लिए तो वह कब से राह देख था। न जाने कितनी लड़कियों की गालियां खाई थीं, उपेक्षा और तिरस्कार सहा था। आज कितने दिनों बाद उसका सपना पूरा हुआ था। यही शब्द सुनने के लिए उसने अपना कितना समय बरबाद किया था।

परिमिता द्वारा प्यार स्वीकार कर लेने पर अब जयकांतो फूला नहीं समा रहा था। भले ही परिमिता सीमा पार की रहने वाली थी, पर जयकांतो को इस बात की खुशी थी कि कोई तो है इस संसार में जो उसे प्यार करती है। इसकी वजह यह थी कि सोशल मीडिया पर न तो कोई दोस्त होता है और न कोई प्यार करने वाला। प्यार हो भो कैसे सकता है। जिसे कभी देखा नहीं, जिसके बारे में कुछ जानते नहीं, उसने फेसबुक पर जो अपने बारे में जानकारी दी है, वह गलत है या सही, ऐसे आदमी से दोस्ती या प्यार कैसे हो सकता है। फेसबुक के दोस्त सिर्फ कहने के दोस्त हो सकते है। इनमें न कोई भावनात्मक लगाव होता है और न इनमें किसी तरह की संवेदना होती है। ऐसे में अगर जयकांतो को कोई प्यार करने वाली मिल गई थी तो वह सचमुच भाग्यशाली था। भले ही वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी।

अब जब जयकांतो और परिमिता एकदूसरे को प्यार करने लगे तो दोनों ही एकदूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने लगे। जो परिमिता कभी अपना नंबर जयकांतो को देने को तैयार नहीं दे थी, प्यार होने के बाद तुरंत अपना नंबर जयकांतो को दे दिया था। फिर तो दोनों में लंबीलंबी बातें होने लगीं।

अब तक जयकांतो और परिमिता को फेसबुक द्रारा संपर्क में आए करीब दो साल बीत चुके थे। प्यार की बात कहने में उन्हें दो साल लग गए थे। लेकिन मनमाफिक परिणाम मिलने से उन्हें इस बात का जरा भी गम नहीं था कि उनका इतना समय बरबाद हो गया। अब दोनों का ज्यादातर समय फोन पर बीतने लगा था।

बेटे को हर समय फोन में लगे देख कर नोलिनीकांत सोचने लगे कि आखिर बेटा फोन में इतना क्यों लगा रहता है। ऐसा कोई रिश्तेदार भी नहीं है, जिससे वह इतनी लंबीलंबी बातें करे। जितनी लंबीलंबी बातें जयकांतो करता था, कोई भी बाप सोचने को मजबूर हो जाता। कई बार उन्होंने उसे रात में भी किसी से बातें करते सुना था। उनसे नहीं रहा गये तो एक दिन उन्होंने टोंक दिया। बाप के पूछने पर जयकांतो ने भी कुछ छुपाया और अपने तथा परिमिता के प्यार की पूरी कहानी बता कर कह दिया कि वह उससे शादी करना चाहता है।

नोलिनीकांत को बेटे की शादी परिमिता से करने में कोई ऐतराज नहीं था। वह इसके लिए तैयार भी थे, पर परेशानी की बात यह थी कि वह सीमा पार बांग्लादेश की रहने वाली थी। उससे शादी करने के लिए उन्हें बहुत झमेला करना पड़ता। पासपोर्ट बनवाना पड़ता, वीजा लगवाना पड़ता, इसलिए उन्होंने बेटे को समझाया कि जब यहीं तमाम लड़कियां हैं तो बांग्लादेश की लड़की के झमेले में वह क्यों पड़ रहा है।

पर जयकांतो ने तो परिमिता से सच्चा प्यार किया था, इसलिए उसने बाप से साफ कह दिया कि वह शादी करेगा तो परिमिता से ही करेगा, वरना शादी नहीं करेगा। इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े।

नोलिनीकांत मजबूर हो गए। ऐसा ही कुछ हाल परिमिता का भी था। वह भी जयकांतो के अलावा किसी और से विवाह करने को राजी नहीं थी। बात जब दोनों के घर वालों की जानकारी में आई तो उन्होंने आपस में भी बात की। अब वे इस मामले को कैसे हल किया जाए, इस बात पर विचार करने लगे।

परिमिता के घर वालों का कहना था कि जयकांतो अकेला ही बांग्लादेश आ जाए, वे बेटी की शादी उसके साथ कर देंगें। उसके बाद जयकांतो दुल्हन ले कर लौट जाएगा। नोलिनीकांत ने जब इस बात की चर्चा अपने कुछ यारोंदोस्तों से की तो सब ने यही सलाह दी कि दस्तावेज तैयार कराने के झमेले में वह न पड़े। रोजाना न जाने कितने लोग अवैध रूप से सीमा पार से इस पार आते हैं तो न जाने कितने लोग उस पार जाते हैं। उसी तरह किसी दलाल से बात कर के जयकांतो को सीमा पार करा दिया जाए। वह वहां शादी कर के उसी तरह दलाल के माध्यम से पत्नी के साथ सीमा पार कर के आ जाएगा। नोलिनीकांत को यह रास्ता ठीक लगा। वह अप्पू नामक एक दलाल से मिला तो सीमा पार कराने के लिए उसने 10 हजार रुपए मांगें। जयकांतो को परिमिता से मिलने के लिए इतनी रकम ज्यादा नहीं लगी। 10 हजार रुपए अप्पू को दे कर जयकांतो 8, मार्च, 2021 को सीमा पार परिमिता के घर पहुंच गया।

परिमिता के घर वाले शादी के लिए तैयार थे ही। उन्होंने शादी की पूरी तैयारी कर रखी थी। 10 मार्च को उन्होंने परिमिता का ब्याह जयकांतो से करा दिया। ब्याह के बाद जयकांतो कुछ दिन ससुराल में रुका रहा। लेकिन कितने दिन वह ससुराल में पड़ा रहता। उसे घर तो आना ही था। वह जिस तरह चोरीछुपे से सीमा पार कर के बांग्लादेश गया था, अब उसी तरह चोरी से ही उसे बांग्लादेश से भारत आना था। इसके लिए उसने वहां दलाल की तलाश की तो उसकी मुलाकात राजू मंडल से हुई। उसने सीमा पार कराने के लिए 10 हजार बांग्लादेशी टका मांगे। जयकांतो राजू मंठल को यह रकम दे कर 26 जून को भारत की सीमा में घुस रहा था कि बीएसएफ (बार्डर सिक्योरिटी फोर्स यानी सीमा सुरक्षा बल) की खुफिया शाखा ने मधुपुरा सीमा पर तैनात बीएसएफ के जवानों को सूचना दी कि कुछ लोग बांग्लादेश की ओर से भारत की सीमा में घुस रहे हैं। इसी सूचना के आधार पर बीएसएफ के जवानों ने शाम करीब 4 बजे जयकांतो और परिमिता को भारत-बांग्लादेश की सीमा पर गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में जयकांतो और परिमिता ने फेसबुक द्रारा होने वाले अपने प्यार से ले कर विवाह तक की पूरी कहानी सुना दी। जयकांतो ने अपनी पहचान बताने के साथ अपने भारतीय होने के सारे साक्ष्य भी उपलब्ध करा दिए। लेकिन उसकी पत्नी परिमिता तो बांग्लादेश की रहने वाली थी।

विस्तृत पूंछताछ के लिए दोनों को मधुपुरा चौकी लाया गया, जहां बीएसएफ की इंटेलिजेंस शाखा के कमांडिग आफिसर संजय प्रसाद सिंह ने दोनों से विस्तार से पूछताछ की।

दरअसल अक्सर लोग प्यार या विवाह के नाम पर मासूम लड़कियों को फंसा कर देहव्यापार की दलदल में धकेल देते हैं। इस तरह की मानव तस्करी को रोकने के लिए दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने बार्डर पर एंटी ट्रैफिकिंग रैकेट तैनात किया गया है। बीएसएफ ऐसे मामलों में हर तरह से जांच करती है, जिससे किसी गरीब मासूम का शोषण न हो सके।

पूछताछ के बाद बीएसएफ ने जयकांतो और परिमिता को कानूनी कररवाई के लिए थाना भीमपुर पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने भी दोनों से विस्तार पूर्वक पूछताछ की। उसके बाद दोनों को अदालत में पेश किया गया। अदालत से जयकांतो को तो जमानत मिल गईं, पर परिमिता को नारी निकेतन भेज दिया गया। अब दोनों को एक होने के लिए एक बार फिर संघर्ष करना पड़ेगा। लेकिन जहां प्यार है, वहां कुछ भी संभव है। परिमिता भारत आ गई है तो जयकांतो की हो कर रहेगी।

(लेखक मनोहर कहानियां एवम् सत्य कथा के संपादकीय विभाग में कार्य कर चुके है)

 

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