हिंदी गौरव डॉ भवदेव पांडेय को 98वीं जयंती पर याद किया गया
रिपोर्ट : सलिल पांडेय
मिर्जापुर, (उ.प्र.) : हिंदी साहित्य के राष्ट्रीय समालोचक स्व डॉ भवदेव पांडेय की 98वीं जयंती पर उनके चित्र पर माल्यार्पण करते हुए श्रद्धांजलि दी गई।
नगर के तिवराने टोला स्थित डॉ भवदेव पांडेय शोध संस्थान में आयोजित कार्य्रकम को कोरोना की विभीषिका प्रकोप के परिप्रेक्ष्य में ‘निस्पंद मानवीय भावनाओं, संवेदनाओं और सरोकारों तथा इसके परिणामस्वरूप साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानकों पर पड़ने वाले प्रभावों’ के संदर्भ से जोड़ा गया। इसके लिए ‘आलेख-लेखन’ को बढ़ावा देने के लिए पुस्तक प्रकाशन का निर्णय लिया गया।
इस संदर्भ में यह तय किया गया कि चूंकि साहित्य समय-बोध को साथ लेकर चलता है, इसलिए अभूतपूर्व कोरोना महामारी के बीच उथल-पुथल हुए जीवन-मूल्यों के त्रासद अनुभवों और अनुभूतियों को पुस्तकाकार रूप में संग्रहित किया जाए। इस संदर्भ में ‘कोरोनाई-दौर’ शीर्षक से पुस्तक के प्रकाशन का निर्णय लिया गया । इस पुस्तक में राष्ट्रीय फलक से लेकर शहर और गांव तक ने कोरोना को किस रूप में देखा,झेला और महसूस किया गया, इसे लेखबद्ध कराने का अभियान शुरु कराने पर प्रस्ताव पास हुआ।
इस संदर्भ में संस्थान के संयोजक सलिल पाण्डेय ने लेखन जगत से जुड़े तथा लेखन क्षेत्र के उदीयमान लेखक/ लेखिकाओं से अनुरोध किया है कि वे कोरोना की त्रासदी और सिसकती सदी की पीड़ा को एक हजार शब्दों में डॉ भवदेव पांडेय शोध संस्थान, तिवराने टोला, मिर्जापुर के पते पर लिखित रूप में अथवा ई-मेल savitrisalil@gmail.com या 9415680176 ह्वाट्सएप पर भेज सकते हैं।
इस पुस्तक में कोरोना महामारी के दौरान आसपास की घटनाओं एवं विसंगतियों तथा खंडित होती सामूहिकता तथा सामाजिकता को भी शामिल किया जाएगा , ताकि आने वाली पीढ़ी के पास एक सनद रहे कि इस अभूतपूर्व त्रासदी में व्यक्ति और समाज ने किन- किन और कैसे-कैसे हालातों को झेला है।