रिपोर्ट : अशुतोष गुप्ता
मीरजापुर, (उ.प्र.) : राजकीय डिग्री लालगंज के पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर व हिंदी के साहित्यकार एवं समीक्षक डॉ क्षमाशंकर पांडेय का कोरोना संक्रमण के चलते बुधवार को झूँसी (प्रयागराज) के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 66 वर्ष के थे। उनका जन्म चुनार के नियामतपुर कला गाँव में 28 मार्च 1955 को हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी विषय में प्रथम स्थान सहित स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की थी। उन्होंने 1985 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से डॉ शिव प्रसाद के निर्देशन में ‘मुक्तिबोध की काव्यभाषा’ पर पीएचडी किया था। वह अध्यापक के साथ कवि, समीक्षक और संपादक के रूप मे चर्चित रहे और उन्होंने विविध विषयों और विधाओं में कई पुस्तके भी लिखी हैं। इनमें मुक्तिबोध की काव्यभाषा,शताब्दी बदल रही है,उग्र विमर्श, तुलसीदास:एक अध्ययन, नये सवाल मिले, महिला सशक्तिकरण:उपलब्धियाँ एवं भविष्य,हिंदी का बाजार, बाजार की हिंदी,हमीरपुर व महोबा का फाग आदि प्रमुख हैं।
उनके निधन से स्थानीय साहित्यकारों में शोक की लहर व्याप्त हो गयी। शोक व्यक्त करने वालों में गणेश गंभीर, भोलानाथ कुशवाहा, डॉ रमाशंकर शुक्ल, शुभम श्रीवास्तव ओम, अरविंद अवस्थी, मुहिब मिर्जापुरी, आनंद अमित, लल्लू तिवारी, भानकुमार मुंतजिर, हसन जौनपुरी, खुर्शीद भारती आदि हैं।