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पुलिस और प्रेमकथा : करोना काल में आते समाचार 

– वीरेन्द्र बहादुर सिंह

वर्दी और दर्दी को समझना आसान नहीं है। एक बच्चे ने पूछा, “पापा, पुलिस हमेशा चोरी हो जाने के काफी देर बाद क्यों आती है?”

पापा ने कहा, “बेटा कपड़े बदल कर आने में समय तो लगता है न।”

वैसे तो यह पुराना पाकिस्तानी जोक है। पर हर पुलिस वाला खराब या बेरहम नहीं होता। इस समय मुंबई पुलिस और उद्धव सरकार सचिन वाझे नामक एनकाउंटर स्पेसलिस्ट की वजह से काफी बदनाम हो रही है। क्योंकि मुकेश अंबानी के घर के पास गाड़ी में रखा गया विस्फोटक और उसके बाद गाड़ी मालिक की हत्या के बाद अनेक सवाल उठ खड़े हुए हैं। पर उसी मुंबई पुलिस ने कोरोना काल में गजब की सरप्राइज दी है। मुंबई पुलिस ने जो काम कर दिखाया है, उसके बाद तो लाखों लोगों का दिल आफरीन हो गया। हुआ यह कि मुंबई मे कार से आनेजाने के लिए लाल, पीला या हरा स्टिकर दिया गया है, जिससे जरूरतमंद लोग ही बाहर आ-जा सकें। फालतू लोग कार ले कर बाहर न निकल सकें। इससे लोगों को भ्रम हो रहा है कि किसकिस को यह स्टिकर मिल सकता है? ऐसे में अश्विन नामक एक रोमांटिक जीव ने मुंबई पुलिस से स्टिकर को ले कर एक विचित्र सवाल पूछ लिया। जिसका जवाब मुंबई पुलिस ने इतना क्यूटली दिया कि दिल बागबाग हो गया। अश्विन ने पूछा, “मुझे अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जाना है। लाॅकडाउन में मैं उसे बहुत मिस कर रहा हूं। उससे मिलने जाने के लिए मुझे किस रंग का स्टिकर मिल सकता है?”

आप सोच रहे होंगे कि मुंबई पुलिस ने इस सवाल का जवाब देने से मना कर दिया होगा। जी नहीं, अगर मुंबई पुलिस ने मना कर दिया होता तो आज हमें इस बारे में कुछ लिखने का मौका ही न मिलता। मुंबई पुलिस ने ट्विटर पर बहुत ही काव्यात्मक जवाब दिया, ‘अगर दो प्रेमियों के बीच अंतर बढ़ता है तो दिल में प्रेम और बढ़ता है। इस समय आप स्वस्थ हैं और आगे भी स्वस्थ रहें, हम यह कामना करते हैं कि आप लाइफटाइम साथ रहें। यह एक खराब समय चल रहा है, जो बीत जाएगा।’

हाउ क्यूट, एक प्रेमी की वेदना समझ कर इतना मीठा संदेश देने वाली मुंबई पुलिस को सौसौ सलाम। पुलिस चाहती तो उसे धमका सकती थी। पर ऐसा नहीं किया, हमेशा ड॔डे से काम लेने वाली पुलिस कभी दिल से भी काम लेती है। यह जान कर बहुत आनंद आया। मुंबई पुलिस के ट्विटर संदेश पर तमाम लोगों ने रिट्विट भी किया है। जब आक्सीजन या दवा के लिए लोग तड़प रहे हों, इस तरह का समाचार देख कर आटोमैटिक फेफडों को आक्सीजन मिल जाती है। जबकि यहां एक सवाल यह भी उठता है कि अगर यही सवाल प्रेमी के बजाय प्रेमिका ने पूछा होता तो मुंबई पुलिस ने क्या जवाब दिया होता? शायद मुंबई पुलिस का दिल पिघल गया होता और प्रेमिका को किसी बहाने स्टिकर दे कर बाहर जाने की सुविधा मुहैया करा दी होती। जो भी हो, यहां सवाल संवेदनशीलता का है। हमारा सिस्टम, नेता इतने क्रूर हो गए हैं कि शालीनता या संवेदना उन्हें छू तक नहीं गई है।

इसी तरह संदीप चौहाण नामक एक अन्य उत्साही युवक ने मुंबई पुलिस के धैर्य की परीक्षा ले डाली। मुंबई पुलिस इसमें भी स्पिटली पार उतर गई। संदीप ने चालाकी दिखाते हुए ट्वीट कर के पूछा, “मैं अपने दोस्त से मिलने जाना चाहता हूं, इसके लिए मुझे स्टिकर मिलेगा?”

मुंबई पुलिस ने इसका भी बड़ा सुंदर जवाब दिया, “जो मित्र इस समय आपकी सुरक्षा की कद्र करे, वही सच्चा दोस्त है। मुझे विश्वास है कि आपका दोस्त इस बात पर एग्री होगा।’ वन मोर ब्राउनी प्वाइंट फार मुंबई पुलिस। उल्टेसीधे लोग चलतेफिरते इस तरह का सवाल करें तो निश्चित है पुलिस उसे वैसा ही जवाब देगी। पर ट्विटर पर पुलिस ने जो इंसानियत दिखाई और इनडायरेक्टली दूसरों को जो संदेश दिया, सराहनीय है।

ऐसा नहीं है कि मुंबई पुलिस बहुत दूध की धुली है। दुकान वाले, फेरी वाले और होटल या बार वालोँ से हफ्ता वसूलने में माहिर है और हर सरकार में ऊपर तक यह माल पहुंचता है। इसका भी खुलासा तब हुआ, जब महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के पुलिस कमिश्नर ने आरोप लगया कि हर महीने करोड़ो की वसूली का आदेश उन्होंने दिया था। किस होटल या बार से किस तरह कितनी रकम वसूलनी है, इसकी योजना उन्होंने बनाई थी। देशमुख को इस्तीफ़ा देना पड़ा। अब उनके खिलाफ जांच चल रही है। पर यह कोई नई बात नहीं है। यह तो मुंबई का बच्चाबच्चा जानता है। मुंबई में अंडरवर्ल्ड की सांठगांठ से न जाने कितने फेंक एनकाउंटर हुए। एनकाउंटर स्पेशलिस्ट आलीशान कोडियों में रहते हैं। उनके पास महंगी महंगी गाड़ियां हैं। पर मुंबई पुलिस अच्छी है, यह इस दो स्टिकर संदेश से आशा जागी है। बाकी तो दो साल पहले धोबणे नामक पुलिस अफसर हाॅकी ले कर इस तरह बीयर बार और डिस्को क्लब पर टूट पड़ता था मानो दुनिया भर के आतंकवादी वहीं पार्टी करने आए हों।

फिल्मों ने भी मुंबई पुलिस की इमेज काफी खराब की है। अभिनेता ओमपुरी की फिल्म ‘अर्धसत्य’ को छोड़ कर बाकी पुलिसिया पात्रों से फिल्म वालों ने मुंबई पुलिस की ऐसीतैसी कर रखी है। इसमें कुछ कलाकार तो पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका ही सालों से अदा करते आ रहे हैं। अभिनेता जगदीश राज ने 450 फिल्मों में मात्र इंसटेक्टर की ही भूमिका अदा की है और इसके लिए उन्होंने गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराया है। उनके बारे में लोग कहते हैं कि जब वह पैदा हुए थे तो डाक्टर ने उनके घर वालों को बधाई देते हुए कहा था कि “मुबारक हो, आपके घर इंसटेक्टर पैदा हुआ है।” अपने यहां भी रहमदिल पुलिस वाले हैं, यह जान कर इस खराब समय में थोड़ा खुशी जरूर हुई है।

(लेखक मनोहर कहानियां एवम् सत्य कथा के संपादकीय विभाग में कार्य कर चुके है)

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