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वीएलसीसी ने महामारी के खिलाफ भारत की जंग के बीच सुदृढ़ पोस्ट कोविड-19 रिकवरी प्रोग्राम लॉन्च किया

इस प्रोग्राम का उद्देश्य संक्रमण के बाद मरीजों की सेहत पर पड़ने वाले मध्यम से लेकर दीर्घकालिक प्रभावों को रोकना और उनके स्‍वास्‍थ्‍य को दुरूस्‍त करने में मदद करना है

मुंबई : समय से आगे बढ़कर सोचने के लिए मशहूर वीएलसीसी ने कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने के बाद उनकी तंदुरुस्ती और फिटनेस को बहाल करने के लिए आज एक जबर्दस्त वेलनेस प्रोग्राम, वी केयर, लॉन्च करने की घोषणा की। इस प्रोग्राम का खास उद्देश्य कोरोना से जंग जीतने वाले मरीजों को कोविड-19 वायरस इंफेक्शन के हानिकारक असर या ऑफ्टर इफेक्ट्स से बचाना है। इस प्रोग्राम को खासतौर से मरीजों के संक्रमण से मुक्‍त होने की घोषणा के बाद हफ्तों से लेकर महीनों तक उनकी पूरी तरह से देखभाल करने में मदद करने के लिए तैयार किया गया है। वीकेयर प्रोग्राम कोरोना से जंग जीतने के बाद मरीजों की मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह फिट होने में उनकी मदद करता है। यह प्रोग्राम पूरे भारत के वीएलसीसी के सभी वेलनेस क्लीनिकों के साथ www.vlccwellness.com पर ऑनलाइन उपलब्ध है।

स्टडीज1 में दिखाया गया है कि कोरोना के 80% मरीजों में ठीक और संक्रमण मुक्त घोषित होने के महीनों बाद भी चिंतित कर देने वाले लक्षण दिखाए पड़ सकते हैं। अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने मरीजों की इस अवस्था को हाल ही में पहचाना है। मरीजों की इस हालत को अमेरिकी संस्थान ने “पोस्ट एक्यूट सेक्वेली ऑफ सार्स सीओवी-2 इन्फेक्शन”2 (पीएएससी) का नाम दिया है। कोरोना से ठीक होने के बाद मरीजों में पैदा होने वाले इन लक्षणों में बहुत अधिक थकान महसूस करना, अच्छी तरह नींद न आना, भूख न लगना, बहुत ज्यादा थकान से बुखार महसूस करना, साँस लेने में तकलीफ महसूस होना, सूखी खाँसी, फेफड़ों तक हवा पहुँचाने वाली श्वासनाली में सूजन रहना, जोड़ों में दर्द करना, मांसपेशियों में जकड़न रहना, सोचने या किसी काम में एकाग्र रहने में दिक्कत महसूस करना (ब्रेन फॉग), डिप्रेशन और बेचैनी होना शामिल है। इन लक्षणों को लंबे समय तक नजरअंदाज करने से काफी परेशानियाँ हो सकती हैं।

वीएलसीसी ग्रुप की संस्थापक और को-चेयरपर्सन, श्रीमती वंदना लूथरा ने कोरोना पश्चात बाद मरीजों की देखभाल के महत्व पर कहा कि, इस समय देश में मरीजों के इलाज के पूरे इकोसिस्टम का ध्यान कोरोना से जंग लड़ने पर पूरी तरह और ठीक ढंग से केंद्रित है। यह काफी जरूरी है कि कोरोना के मरीज इनफेक्शन से रिकवरी के बाद अगर पूरी तरह से ठीक होना चाहते हों तो उन्हें उचित मार्गदर्शन मिलता रहे। मेडिकल वेलनेस की इस श्रेणी में वीएलसीसी को काफी गहरा ज्ञान है। वीएलीसीसी इस संकट से निपटने के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए आगे आया है। इस महामारी को हराने के बाद पोस्ट कोविड-19 रिकवरी प्रोग्राम न केवल मरीजों को अच्छी सेहत और तंदुरुस्ती फिर से हासिल करने में मदद कर महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि भारत में मेडिकल हेल्थकेयर डिलिवरी सिस्टम पर दबाव को भी कुछ कम करेगा।

वीएलसीसी एकमात्र ऐसा संगठन है, जिसके वेलनेस प्रोग्राम पर इंडियन मेडिकल असोसिएशन की अनुशंसा की मुहर लगी हुई है।

वीकेयर के पोस्ट कोविड-19 रिकवरी प्रोग्राम को वीएलसीसी के मेडिकल डॉक्टर, न्यूट्रिशिनिस्ट, फिजियोथेरिपिस्ट और साइक्लॉजिस्ट्स की रिसर्च एंड डेवेलपमेंट (आर ऐंड डी) टीम ने डिजाइन किया है। इस प्रोग्राम को उन विशेषज्ञों और सब्जेक्ट मैटर के एक्सपटर्स से सलाह-मशविरे के बाद डिजाइन किया गया है, जो कोरोना महामारी से जंग लड़ने में अग्रिम मोर्चे पर डटे रहे हैं।

कंपनी ने इम्यूनिटी बढ़ाने से संबंधित प्रोग्राम, वी-शील्ड, भी लॉन्च किया है, जिसका लक्ष्य मानव शरीर की खुद-ब-खुद ठीक होने की प्रवृत्ति और मजबूत रोग प्रतिरोधक तंत्र को बढ़ावा देना है। प्रोऐक्टिव हेल्थकेयर के क्षेत्र में की गई यह पहल उस बढ़ते अहसास की प्रतिक्रिया के रूप में है कि जब कोरोना वायरस जैसे वायरल इनफेक्शन से मुकाबले की बात आती है तो सबसे पहले किसी व्यक्ति की स्वाभाविक इम्यूनिटी ही उसे स्वस्थ और सुरक्षित रखती है।

वीशील्ड का इम्यूनिटी बिल्डिंग प्रोग्राम काफी अनुकूल समाधान है। इसमें तीन चरण में प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इसके पहले चरण में एप्सॉम साल्ट और तनाव मुक्त तथा बेहतर महसूस कराने वाले मल्टीविटमिन तेलों द्वारा शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने पर जोर दिया जाता है। दूसरे चरण में लीवर कॉम्प्रेस थेरेपी से भोजन को ऊर्जा में बदलने वाले प्रमुख अंग, लीवर की सफाई की जाती है। इसका तीसरा और अंतिम चरण कार्नियोसैकरल रिफ्लेक्सोलॉजी (सीएसआर) है, जिससे इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। इससे मरीज का शारीरिक तनाव और परेशानी भी दूर होती है। रक्त और लसीका (लिंफ) का प्रवाह बढ़ता है और शरीर के ऊतकों से हानिकारक पदार्थों (टॉकसिंस) को बाहर निकाला जाता है।

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