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मृतकों पर अंतिम संस्कार करने वाले कोविड-योद्धाओं को मसाला किंग डॉ. धनंजय दातार जी ने हापूस आमों की पेटियां उपहार के रूप में भिजवाई

पुणे : कोविड विषाणुओं के प्रकोप के कारण जिन्होंने अपनी जान गँवाई उन मृतकों का अंतिम संस्कार करने वाले 150 से भी अधिक स्वयं-सेवकों के कार्य को एक अनोखे तरीके से गौरवान्वित किया गया। दुबई में स्थित ‘अल अदिल’ समूह के अध्यक्ष और मसालाकिंगके नाम से मशहूर डॉ. धनंजय दातार जी ने इन करोना योद्धाओं के जीवन में मिठास निर्माण करने हेतु हापूस आम की पेटियां उपहार के तौर पर भेजी। साथ ही महाराष्ट्र दिन और मजदूर दिन के उपलक्ष्य पर स्वदेश सेवा फाउंडेशन की संस्थापिका धनश्री पाटील जी द्वारा इन सभी करोना योद्धाओं का सम्मान भी किया गया।

पुणे परिसर और आसपास के जिलों में करोना से बाधित मृतकों पर अंतिम संस्कार करने वाले हिन्दू और मुस्लिम स्वयंसेवक मुख्य रूप से ये मूलनिवासी मुस्लिम मंच (येरवडा), कैलास श्मशान भूमि के मजूदर गुट, उम्मत संस्था और वैकुण्ठ श्मशान में कार्य करने वाला स्वरूपवर्धिनी का गुट के माध्यम से अपनी अविरत सेवाएँ दे रहे हैं। करोना के इस काल में स्वास्थ्य सेवा देने वाले और आपातकालीन सेवा देने वाले सभी का अनेकों बार सराहा गया है। लेकिन अनेक बाधाओं को पार करते हुए अंतिम संस्कार करने वाले इन स्वयं सेवकों की कभी किसीने तारीफ़ तक नहीं की। इन लोगों का यथा योग्य सम्मान हो इस उद्देश्य से धनश्री पाटील जी ने दुबई स्थित डॉ. दातार जी से संपर्क किया। समाज सेवा के प्रति रूचि रखने वाले डॉ. दातार जी ने इस अवाहान को योग्य प्रतिक्रिया दी। वर्तमान स्थिति में पुणे आना संभव न होने के कारण डॉ.दातार ने इन स्वयं सेवकों के लिए कोकण से हापूस आम की पेटियाँ मँगवाई और उनका जहाँ पर ये स्वयं सेवक कार्यरत हैं वहाँ पर वितरण करवाया गया। इस काम में मूल निवासी मुस्लिम मंच के सबीर शेख, कैलास श्मशान भूमि के मजदूर गुट के ललित जाधव, उम्मत संस्था के जावेद खान और स्वरूपवर्धिनी के अविनाश धायरकर इन सभी लोगों का सहयोग प्राप्त हुआ।

इस अनूठे उपक्रम के बारे में बातते हुए धनश्री पाटील ने कहा, एक भी पैसा न लेते हुए करोना से बाधित मृतकों पर अंतिम संस्कार करने वाले इन स्वयंसेवकों कार्य और उनका योगदान समाज के सामने लाना मुझे बहुत आवश्यक लगा। इस प्रकार पहली बार अपने कार्य का सम्मान होते देख इन योद्धाओं को भी अच्छा लगा। ये स्वयंसेवक जाति-धर्म न देखते हुए सभी मृतकों पर उनके धर्म की धार्मिक पद्धतिओं के अनुसार बड़े ही आत्मीयता से और प्रतिबद्धता से अंतिम संस्कार करते हैं। अस्पताल के लावारिस मृत देहों पर भी ये अंतिम संस्कार करते हैं। डॉ.दातार जी द्वारा भेजा गया उपहार और इस सम्मान से उन्हें अपनापन महसूस हुआ। अपने व्यस्तता से समय निकलते हुए इन लोगों ने हमारे लिए इफ्तार का आयोजन भी किया इससे हम अभिभूत हुए।

करोना से बाधित मृतकों पर अंतिम संस्कार करते समय इन्हें जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है इसके बारे में कैलास श्मशान भूमि के मजदूर गुट के ललित जाधव जी ने कहा, पिछले साल से हम सभी इस काम में व्यस्त हैं, लेकिन इस समय इसका प्रकोप काफी तीव्र है, इसके कारण श्मशान में आने वाले मृतकों की संख्या भी दिन-ब-दिन बढती जा रही है। जिसके कारण हम पर भी काम का तनाव काफी बढ़ गया है। हमेशा पीपीई किट पहने रखना, करोना से बाधित मृतकों पर जल्द से जल्द अंतिम संस्कार करना और ये सब करते समय खुद को भी सुरक्षित रखना, ये सब हमारे लिए एक चुनौती ही है। हमारी बाधाओं को समझते हुए अप सब हमें सहयोग करें, यही हमारी अपेक्षा है।

उम्मत संस्था के 50 स्वयं सेवक पुणे के आसपास जाकर अंतिम संस्कार का काम करते है। आजकल मुस्लिम स्वयंसेवकों का रमजान का महीना शुरू है, इस समय इनके रोजे होते हैं, लेकिन भूख-प्यास का ख्याल न करते हुए ये अपना कर्तव्य निभाते रहते हैं। रमजान के महीने में मानवता का काम और मदद का बहुत महत्व होता है। इस बात का उल्लेख करते हुए उम्मत संस्था के जावेद खान ने इस उपक्रम के बारे में अपनी कृतज्ञता जताई।

इस सन्दर्भ में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. धनंजय दातार जी ने कहा, करोना से बाधित मृतकों पर अंतिम संस्कार करने वाले इन स्वयंसेवकों की हिम्मत और सेवा भाव की कोई तुलना ही नहीं हो सकती| करोना का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं, लेकिन ये स्वयंसेवक अपनी जान जोखिम में डालकर मृतकों पर अंतिम संस्कार करते हैं| यह बहुत महान कार्य है| इस उपक्रम के जरिये मैंने ज्यादा कुछ नहीं किया है बस, पुणे के करोना योद्धाओं के जीवन में थोड़ी मिठास लाने का काम किया है| इस प्रकार के समाज के लिए उपयोगी काम करने के लिए मैं और मेरा उद्योग समूह हमेशा ही कृत-निश्चित है|

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