Khula Sach
अन्यकारोबारताज़ा खबर

कोरोना संक्रमण के हल्के से मध्यम सहायक इलाज के लिए ‘क्लेविरा’ एंटीवायरल औषधि को भारत सरकार के नियामक ने प्रमाणित किया

मुंबई : चिकित्सा जगत में अग्रणी शोध और नवीनीकरण के लिए प्रसिद्ध चेन्नई स्थित फार्मासियुटिकल कंपनी एपेक्स लैबोरेटरी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कोरोना संक्रमण के हल्के से मध्यम सहायक इलाज के लिए एंटीवायरल हर्बल फामुलेशन क्लेविरा पेश किया गया है। इस फार्मुलेशन की सहायता से इलाज के पांचवे दिन 86 प्रतिशत और दसवें दिन 100 प्रतिशत स्वास्थ्य लाभ देखा गया। यह किडनी और लिवर के मरीजों के लिए भी सुरक्षित है। इसे फ्रंट लाइन वर्कर और रोगी की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के रोगनिरोधी इलाज के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। क्लेविरा एंटीवायरल औषधि को भारत सरकार के नियामक ने कोरोना संक्रमण के हल्के से मध्यम सहायक इलाज के लिए प्रमाणित किया गया हैं।

प्रारंभिक चरण में क्लेविरा को 2017 में डेंगू के मरीजों के इलाज के लिए विकसित किया गया था। बीते साल जब देश में कोरोना के बढ़ते हुए मरीजों को देखा गया, तो फार्मुलेशन को दोबारा कोविड मरीजों के सहायक इलाज के तौर पर कोविड के लक्ष्णों को हल्के से मध्यम पर लाने के लिए तैयार किया गया। यह उत्पाद देशभर में हर जगह उपलब्ध है और 11 रुपए प्रति टेबलेट इसका शुल्क रखा गया है।

क्लेविरा को बनाने के लिए 100 लोगों पर क्लीनिकल परीक्षण किया गया, मई- जून 2020 में किए गए परीक्षण के परिणाम काफी सकारात्मक देखे गए। तमिलनाडू सरकार द्वारा परीक्षण की अनुमति मिलने के बाद चेन्नई के ओमनदूरार सरकारी मेडिकल कॉलेज में किए गए तीस दिन के लिए सौ लोगों का चयन किया गया। सौ लोगों के सैंपल को पचास पचास के दो भाग में विभाजित किया गया। इनमें से एक समूह ऐसा था जिनमें कोविड के कारक एसएआरएस- सीओवीटू की पहचान हो चुकी थी, और सभी का सरकार और विश्व स्वास्थ्य संठगन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार इलाज किया जा रहा था। कोविड के इलाज के प्रमाणित प्रोटोकाल के साथ ही इस समूह के लोगों को क्लेविरा दो टेबलेट दिन में दो बार खाने के बाद 14 दिन तक दी गई। देखा गया कि क्लेविरा के साथ मरीज के ठीक होने की औसत दर तेज हो गई और 14 दिन में ही आश्यर्चजनक परिणाम देखे गए। यह बदलाव पायरेक्सिया या शरीर के दर्द में कमी, श्वसन दर के सामान्य होने (24/ मिनट से कम) ऑक्सीजन के स्तर में सुधार (94 प्रतिशत से अधिक) आदि के रूप में नोट किया गया। इसके साथ ही यह भी देखा गया कि क्लेविरा के साथ 86 प्रतिशत मरीजों की कोविड19 आरटीपीसीआर जांच पांच दिन में नेगेटिव हो गई और 100 प्रतिशत मरीजों की दसवें दिन कोविड आरटीपीसीआर जांच नेगेटिव देखी गई। कोविड मरीजों में चौथे दिन से ही क्लीनिकल सुधार देखा गया।

एपेक्स लैबोरेटरी की कार्यपालन निदेशक सुभाषिनी वनांनगौमुदी ने बताया कि “कोरोना अनुरूपी व्यवहार का पालन करते हुए सर्पोटिव या सहायक इलाज की मदद से कोविड के मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत को कम किया जा सकता है तथा संक्रमण को हल्के से मध्यम किया जा सकता है। सहायक इलाज की सहायता से इस समय यदि हम एक मरीज की भी आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत को कम कर दें तो यह बहुत होगा, इससे हम अन्य अधिक जरूरतमंद लोगों को बेहतर लिए बेहतर स्वास्थ्य संसाधनों देने का आश्वसन दे पाएगें। क्योंकि कोरोना के खिलाफ जंग के लिए हम सभी को हाथ मिलाना होगा और यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है।”

एपेक्स लैबोरेटरी के इंटरनेशनल बिजनेस मैनेजर मिस्टर सी अर्थुर पॉल ने कहा कि “एंटी वायरल दवा, वायरल लोड को कम करने के साथ ही खून में सफेद रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स और लिम्फोसाइट्स को तेजी से बढ़ाती हैं, इसलिए हर चरण में मरीज की सेहत में तेजी से सुधार दिखने लगता है। ईएसआर (इथायरोसाइट सेडिमेंटेशन रेट) का स्तर इस बात का प्रमाण है कि दवा के प्रयोग से एंटी इंफ्लेमेटरी असर अधिक हो रहा है। क्लेविरा को एनालजेसिक, एंटीपायरेटिक और थांब्रोबायसोइटोपेनिया को रोकने में प्रभावकारी माना गया है। किडनी और लिवर के मरीज भी इसका प्रयोग अन्य दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से कर सकते हैं। क्लेविरा का प्रयोग फ्रंट लाइन वर्कर और कोविड मरीजों की देखभाल करने वाले ऐसे वर्कर भी कर सकते हैं जो संक्रमण क जोखिम के बीच काम करते हैं, वह क्लेविरा को रोग निरोधी इलाज (प्रोफेलेक्टिक) के तौर पर प्रयोग कर सकते हैं। दो साल की अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए क्लेविरा पूरी तरह सुरक्षित है।”

दवा के शोध संबंधी परिणाम आईसीएमआर, आयुष मंत्रालय और तमिलनाडू सरकार को वर्ष 2020 में ही सौंप दिए गए थे। मानको के सभी सख्त अनुदेशों का पालन करने के बाद भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा क्लेविरा को हल्के से मध्यम (माइल्ड टू मोडिरेट) कोविड इलाज में सहायक इलाज के तौर पर क्लेविरा के प्रयोग की अनुमति दी गई। यह भारत की पहली ऐसी दवा है जिसे प्रमाणित के कई चरणों को पार किया है इसमें सीसीआरएएस (द सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस) आईटीआरसी (इंटर डिसीप्लिनरी टेक्नीकल रिवीव कमेटी) और आयुष मंत्रालय द्वारा गठित 12 सदस्यों की एक अन्य कमेटी द्वारा दवा को प्रमाणित किया गया है। इस कमेटी का नेतृत्व एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. एसके मलिक द्वारा किया गया।

Related posts

Daily almanac & Daily Horoscope : आज का पंचांग व दैनिक राशिफल और ग्रहों की चाल – 4 फरवरी 2021

Khula Sach

Mirzapur : पीएम मोदी के सुरक्षा में सेंध के विरोध में किया मिर्ज़ापुर भाजपा दिव्यांग प्रकोष्ठ ने पुतला दहन ..

Khula Sach

2021 के लिए फंडामेंटल स्टॉक आइडिया

Khula Sach

Leave a Comment