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Mirzapur : कोरोना को मात देने वाले आगे आएं- प्लाज्मा देकर दूसरों की जान बचाएं – डॉ. नीलेश 

रिपोर्ट : तपेश विश्वकर्मा

मिर्जापुर, (उ.प्र.) : कोरोना संक्रमण इस वक्त बड़ी तेजी के साथ अपना विस्तार कर रहा है, ऐसे में हर किसी को विशेष सतर्कता बरतने के साथ ही सभी कोविड प्रोटोकाल का पालन बखूबी करना है | बुधवार को आनलाइन बैठक में यह बात कोरोना के नोडल अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. नीलेश श्रीवास्तव ने जिले के सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों को संबोधित करते हुए कही | उन्होंने कोरोना को मात दे चुके लोगों से अपील की है कि कोरोना उपचाराधीन को इस समय प्लाज्मा की बहुत ज्यादा जरूरत है। इसलिए वह इस परिस्थिति को समझते हुए अपना प्लाज्मा उपचाराधीन को देने का कार्य करें, इससे उनकी जान बचायी जा सकती है |

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. पी0डी0 गुप्ता ने बताया कि इस समय दवाओं के साथ ही वेंटिलेटर और आक्सीजन की लोगों को सबसे ज्यादा आवश्यकता पड़ रही है। प्लाज्मा को बनाया नहीं जा सकता, यह केवल लोगों के दान करने से ही मिल पायेगा। कोरोना संक्रमण के मामूली लक्षण वालों को होम आइसोलेशन में रखकर ही इलाज किया जा रहा है।

गम्भीर होने पर उनको मंडलीय चिकित्सालय स्थित एल-2 कोरोना सेन्टर में भर्ती किया जा रहा है, हैं इनमें सबसे ज्यादा वही मरीज हैं है जो शुगर व ब्लड प्रेशर की बीमारी से ग्रसित हैं है। इन स सब मरीजों को प्लाज्मा के माध्यम से ही बचाया जा सकता है। उन्हीं व्यक्तियों का प्लाज्मा काम करेगा जो पहले कोरोना को मात देकर से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं।

प्लाज्मा का शरीर में मात्रा

हमारे शरीर में खून कई चीजों से बनता है। खून में 55 प्रतिशत प्लाज्मा होता है ए बाकि 45 प्रतिशत रेड ब्लड सेल्स, ए व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स होते हैं। खून में मौजूद प्लाज्मा शरीर का ब्लड प्रेशर सामान्य करता है। सोडियम और पोटैशियम को मांसपेशियों तक पहुंचाता है। शरीर का पीएच लेवल बनाए रखता है, ए जो सेल्स के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

दान करने का तरीका……. 

कोरोना से ठीक हुए लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। एंटीबॉडी एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो रोग पैदा करने वाले रोगजनकों को पहचान कर उनसे लड़ता है। इस प्रक्रिया में पूर्व में उपचाराधीन हो चुके व्यक्ति का एंटीबाडी चेकअप होता है। खून से प्रयोगशाला में डॉक्टर की देखरेख में प्लाज्मा को अलग किया जाता है, जिसमें वायरस से लड़ने वाली एंटीबाडी शामिल होती हैं। इसको उपचाराधीन व्यक्ति को दिया जाता है। यह उपचाराधीन व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर रोग से लड़ने में मदद करता है। 18 वर्ष से 60 वर्ष आयु वर्ग के लोग जो कोरोना संक्रमण से पिछले तीन महीने में उबर चुके हैं और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। वह बिना किसी डर के अपना प्लाज्मा दान कर सकते हैं। इससे उनके शरीर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। डोनर को किसी अनुवांशिक या गंभीर रोग से ग्रसित नहीं होना चाहिए।

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