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आखिर पत्रकार कोरोना वारियर्स क्यों नही !

रिपोर्ट : नलिनी भारद्वाज

पूरे देश में पत्रकारों की मौत कोरोना महामारी से हो रही है। पत्रकार प्रशासन के साथ साथ कदम से कदम मिलाकर लोगों के बीच लोगों को जागरूक करने के लिए कोरोना जैसे महामारी से लड़ने के लिए प्रशासन के हर संदेश को जग जाहिर करने के लिए दिन रात सड़कों पर घूमते हैं । अपने परिवारों, अपना बिना ख्याल किए की उनका क्या होगा। उसके बावजूद उनके लिए किसी प्रकार की व्यवस्था ना होना काफी शर्मनाक और दुख दायक है। यहां तक कि उन्हें कोरोना वैरियर्स भी ना समझना वाकई शर्मनाक है। मैं पूछना चाहता हूं पत्रकारों के एसोसिएशन से जो कहते हैं कि हम पत्रकार के हक की लड़ाई के लिए लड़ते हैं क्या उन्होंने कभी सरकार या स्थानीय प्रशासन से मांग की। क्या चौथा स्तंभ होने वाला पत्रकार जो स्थानीय प्रशासन या सरकार की हर एक निर्णय या यूं कहें तो सरकार और प्रशासन की हर एक बातों को जनता तक पहुंचाने का काम पत्रकार अपने पत्रकारिता के द्वारा करता है। चाहे जागरूक करना हो या किसी प्रकार की खबरों को विस्तार पूर्वक जनता के समक्ष रखना हो सब में पत्रकार की अहम भूमिका होती है। इसके बाद भी इन्हें कोरोना वैरियर्स न समझना और इनके लिए टिका न उपलब्ध कराना कहाँ तक जायज है। कभी किसी एसोसिएशन ने इसकी मांग क्यों नही की या यूँ कहे तो इसकी चर्चा भी कभी क्यों नही की ।

अगर सरकार और प्रशासन हम पत्रकारों के लिए सो गई तो क्या हमारे हक की लड़ाई लड़ने का प्रण लेने वाला संगठन भी सो गया है या वह अपने कार्यों को भूल गया है। संगठन में तो वरिष्ठ पत्रकार ही हैं क्या उनको नही पता कि किस तरह उनके साथी कार्य करते है। उसके बाद भी क्यों सोये हुए है या चुप्पी धारण किये हुए हैं। आज वैशाली जिला का पत्रकारिता जगत और समाज ने एक ऐसे व्यक्ति को खो दिया है जिन्होंने हमेशा समाज ले लिए कार्य किया है। आज इनकी मौत भी कोरोना ने ली है। इनके लिए कोई व्यवस्था नही हो पाई। उस व्यकि को जिन्होंने हमेशा मुस्कुराना सीखा और खुद ही नहीं दूसरों को भी मुस्कुरा देने का कार्य करने वाले वरिष्ठ पत्रकार और वैशाली जिला के प्रभात खबर समाचार पत्र के व्यूरो और बड़े भाई सुनील कुमार सिंह जो अपने जीवन को पत्रकारिता जगत के लिए समर्पित कर दिया। आज उनकी दुखदाई मौत झकझोड़ दी है। उनका अंतिम समय में सही से इलाज ना हो पाना भी काफी अशोभनीय है। मैं सरकार स्थानीय प्रशासन या फिर संगठन की बात ना करते हुए मैं बात करता हूं उन बड़े-बड़े मीडिया हब के मालिकों की। आखिर उनलोगों ने भी क्यों नही पत्रकारों के लिए सरकार से उनके लिए इस कोरोना काल मे कुछ मामूली व्यवस्था की मांग की। आखिर क्यों पत्रकारों के साथ ऐसे घटना घट रही है । मैं पत्रकारिता जगत का काफी छोटा सिपाही हूँ हमसे बड़े बड़े काफी योद्धा इस पत्रकारिता जगत में मौजूद हैं मैं उनसे और पत्रकारों के लिए लड़ने वाले संगठनों से निवेदन करता हूँ कि आगे आकर हमारे इस आवाज को या यूं कहें तो अपने हक की आवाज को आगे करने की कोशिश करेंगे।

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