– मनीषा कुमारी, विरार (मुम्बई )
चारों तरफ मचा है आज हाहाकार।
बच्चें बुढ़े सब के सब है आज लाचार।।
माँ तेरे दर पे लगा रहे हैं आज गुहार।
माँ अब तो सुन लो मेरी पुकार।।
मानते हैं हम सब तेरे अपराधी हैं।
किन्तु आज तुम्हारी शरण मे आये हैं।।
अपने भक्तों को क्षमा कर दो माँ।
हम सब पर असीम कृपा प्रदान करो माँ।।
अपने बच्चों को बचा लो इस महामारी से माँ।
नई जीवन दान दे दो इस महामारी से माँ।।
हम जाये भी तो कहाँ जाएं इस महामारी में माँ।
दूर भगा दो इस कोरोना को अब इस दुनियां से माँ।।
कितने मासुम की जिंदगी छीन ली इस कोरोना ने।
लाखों बेकसुर को सजा दिया है इस कोरोना ने।।
अब तू अपनी दया-दृष्टि नही दिखाएगी माँ।
तो तेरे ही बनाये दुनिया का अंत हो जायेगा माँ।।
जिस तरह तूने चण्ड-मुंड का वध किया।
जिस तरह तूने रक्त बीज का संहार किया।।
उसी तरह इस कोरोना का विनाश करो माँ।
उसी तरह हम सब को इस मजधार से पार करो माँ।।
(लेखिका पीवीडीटी कॉलेज ऑफ एजुकेशन फॉर वूमेन (एसएनडीटी वूमेंस यूनिवर्सिटी, मुंबई) में बी0एड0 द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं।)