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तलाश अभी बाकी है…

  • प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका), ग्वालियर, मध्य प्रदेश

क्यों अजनबी सा है शहर
किसका इंतजार बाकी है
धू धू करके जल रहा मन
तलाश अभी बाकी है।।

कहने को तो सब अपने है
आसमान साथ है लेकिन
मेरे हिस्से की जमीं बाकी है
तलाश अभी बाकी है।।

हलचल सी कुछ है कहीं
उठ रहा तूफान धीमे धीमे
सुकून है की जिंदा हूं पर
तलाश अभी बाकी है।।

बहुत कुछ कर गुजरने को
रफ्ता रफ्ता कदम उठाए हैं
हालत हुए अब तो ये खुद की
तलाश अभी बाकी है ।।

ना शिकवा है मुझे किसीसे
ना शिकायत है अब कोई भी
मैं मशरूफ हूं खुदा की बंदगी मैं
तलाश अभी बाकी है।।

देकर मुझे परेशानियां इतनी
तजुर्बे का हर पाठ पड़ा दिया
वो खुदा है कहां करना है शुक्रिया
तलाश अभी बाकी है।।

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