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Mirzapur : मॉडल गाँव की अलख जगा रहे राम लाल

– मॉडल गाँव के मेनिफेस्टो पर युवाओं से हो रही खुलकर चर्चा 

– गाँव की बुनियादी जरूरतें पूरी होंगी तभी गाँव बनेगा आदर्श  

रिपोर्ट : तपेश विश्वकर्मा

मिर्जापुर, (उ.प्र.) वकालत का पेशा छोड़कर गाँव की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में जुटे चुनार तहसील के करहट गाँव निवासी राम लाल की सोच अन्य ग्रामीणों से बिल्कुल अलग है । उनका मानना है कि अगर हम अपने गाँव को ही सुविधा संपन्न बना दें तो हमारे युवा काम-धंधे की तलाश में भटकने को मजबूर नहीं होंगे । वह आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से काम कर रही मॉडल गाँव संस्था के मेनिफेस्टो के साथ युवाओं से मिल रहे हैं और अपने गाँव को ही मॉडल गाँव बनाने की अलख जगा रहे हैं । उनकी बात ग्रामीणों को समझ भी आ रही है कि उनके गाँव में वह सब कुछ है जिससे वह एक आदर्श स्थापित कर सकते हैं, बस जरूरत है तो उस पर सही मायने में अमल करने की ।

मॉडल गाँव की सोच विकसित करने वाले बांदा के पूर्व जिलाधिकारी हीरा लाल (आईएएस) की बात वह ग्रामीणों से करते हैं कि किस तरह से उन्होंने पानी के संकट से जूझ रहे बांदा में एक तरह से जल क्रांति लाये थे तो हम लोग क्यों नहीं अपने क्षेत्र को पानी के संकट से मुक्ति दिला सकते हैं । राम लाल के प्रयास का ही नतीजा है कि अब लोग जल संरक्षण पर जोर दे रहे हैं । उनका कहना है कि कृषि उपज के दामों में वृद्धि गांव के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाएगी । रोजगार के अवसर गाँव में भी पैदा किये जा सकते हैं । घर बैठी महिलाओं को लघु उद्यम से जोड़कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकता है, इसके लिए वह 6-7 वर्षों से लगातार वह प्रयासरत भी हैं । इसी का नतीजा रहा कि जिले की करीब पांच दर्जन महिलाओं को वह रोजगार से जोड़ सके हैं ।

राम लाल का कहना है कि मॉडल गांव बनाने के सपने को साकार करने के लिए वह दृढ संकल्पित हैं, ताकि लोगों के जीवन स्तर में सुधार आ सके । इसके लिए मॉडल गांव के मेनिफेस्टो पर प्रतिदिन लोगों के बीच चर्चा करते रहते है । इतना ही नहीं बैठक कर ग्रामीणों से मॉडल गांव के मेनिफेस्टो पर विचार-विमर्श भी चलता है, जिसके जरिये ग्रामीणों की सोच और कुछ नया करने के उनके जज्बे का भी पता चलता है । बैठक में यह भी चर्चा होती है कि कोरोना काल में भी बहुत ही कम पैसे के लिए घर-परिवार से दूर हमारे युवा काम करने को किस तरह मजबूर हो रहे हैं और लाक डाउन जैसी मुसीबत के वक्त उन पर जो गुजरी उस पर भी चर्चा होती है । कुल मिलाकर मॉडल गाँव की सोच विकसित करने में मिल रहे सहयोग पर उनका सिर्फ यही कहना है- ‘चला तो अकेले था मगर लोग आते गए और कारवां बनता गया ।’

राम लाल का कहना है कि वकालत का पेशा छोड़कर प्रयागराज से गाँव लौटने पर उन्होंने स्वरोदय सेवा संस्था के जरिये जिले के छह विकास खण्डों हलिया, लालगंज, पटेहरा, राजगढ़, पड़री आदि जगहों पर पानी बचाने का अभियान व अति पिछड़े इलाकों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान चला चुके हैं। इसके अलावा समाज में व्याप्त कुरीतियों – दहेज प्रथा, अन्ध विश्वास आदि को ख़त्म करने का काम कर चुके हैं । उनका कहना है कि गरीब परिवार की बेटियों की पढ़ाई लिखाई और शादी में भी आर्थिक सहायता समाज के हर तबके के लोगों को करनी चाहिए । बेटियों की पढ़ाई में इनकी संस्था के माध्यम से करीब 70 लाख रूपये की मदद अब तक की जा चुकी है। गांव स्तर पर पुलिस थानों के बेवजह हस्तक्षेप को रोकने के लिए समाज के हर तबके के लोगों को जागरूक होना चाहिए । इसके लिए वह ग्राम सभा स्तर पर बैठक कर झगड़ों को सुलझाने का काम करते हैं और अब तक 356 मामलों को सुलझाने में उनको सफलता भी मिल चुकी है ।

क्या है गाँव घोषणा पत्र (मेनिफेस्टो) : 

गाँव घोषणा पत्र का मुख्य उद्देश्य इसके माध्यम से गाँव में विकास का एजेंडा स्थापित कर और चेंजमेकर तैयार कर गाँव का सर्वांगीण विकास करना है । इसके अलावा इसमें उन मूलभूत सुविधाओं को शामिल किया गया है, जो उसे मॉडल गाँव की श्रेणी में शामिल कर सके और गाँव खुशहाली ला सके । इन प्रमुख बिन्दुओं में शामिल हैं- गाँव की सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो, गाँव में कोई भी अनपढ़ न हो, इलाज- दवा के साथ योगा की भी हो व्यवस्था, बिजली भरपूर मात्रा में मिले खासकर सोलर वाला गाँव बनाने पर जोर हो, पेयजल व् सिंचाई के लिए पानी की अच्छी व्यवस्था हो, रोजगार यानि सभी हाथ को काम पर जोर दिया जाए, गाँव में संवाद तंत्र यानी आधुनिक इंटरनेट की सुविधा हो, उत्पादों को बेचने की भरपूर और अच्छी व्यवस्था हो । गाँव में जैविक उत्पाद को प्राथमिकता मिले, गाँव को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर हो, विवाद रहित खुशहाली वाले गाँव की सोच विकसित की जाए, गाँव का नियम और लेखा का रखरखाव हो, गाँव का बायोडाटा-प्रोफाइल तैयार किया जाए, किसान उत्पादक संगठन (ऍफ़पीओ) बनाने पर जोर हो, प्रवासी ग्रामवासी संपर्क व् सहायता की व्यवस्था हो और कुपोषण को ख़त्म करने पर जोर हो । इसके अलावा वृक्षारोपण (मेड़ पर पेड़) पर जोर हो, खेल, कला व् संस्कृति के विकास का ध्यान रखा जाए, महिला विकास पर जोर हो, प्रतिभा चयन व विकास की व्यवस्था हो, ग्राम समस्या और समाधान पर मंथन हो, देश व् प्रदेश सरकार के कार्यक्रमों को गाँव में मजबूती के साथ लागू करना और गाँव स्थापना दिवस के आयोजन की व्यवस्था हो । इतनी व्यवस्था यदि गाँवों में कर दी जाए तो वह समूर्ण मॉडल गाँव का दर्जा प्राप्त कर सकता है ।

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