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Varanasi : सामाजिक दूरी ही नहीं, सहयोग व समर्थन भी है जरूरी

– डॉ मनोज कुमार तिवारी (वरिष्ठ परामर्शदाता ए आर टी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी)

भारत में कोरोना की दूसरी लहर तेजी से बढ़ रहा है इसे रोकने के लिए जितना महत्वपूर्ण 2 गज दूरी, मास्क का सतत एवं सही प्रयोग* जरूरी है उतना ही आवश्यक कोरोना के प्रति सामाजिक जागरूकता, सतर्कता एवं एक दूसरे के लिए सहयोग एवं समर्थन बनाए रखना भी जरूरी है क्योंकि व्यक्ति संयम का परिचय तभी देता है जब उसका आत्मविश्वास एवं संवेग धनात्मक बना रहे, जिसके लिए आवश्यक है व्यक्ति न केवल अपना ध्यान रखें बल्कि अपनो का भी मनोबल व आत्मविश्वास बढ़ाते रहे।

पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी अनेक प्रदेशों में लॉकडाउन होने की संभावना प्रदर्शित की जा रही है जिससे व्यापारी, कामगार एवं प्रवासियों में व्यापक रूप से तनाव व बेचैनी देखा जा रहा है। सीबीएसई ने 10वीं की बोर्ड परीक्षा निरस्त कर दी है और 12वीं की बोर्ड की परीक्षा स्थगित कर दी है जिससे परीक्षार्थियों में घबराहट, बेचैनी, अनिद्रा, भूख न लगना, सिर दर्द व असमंजस की स्थिति है जो उनके दिनचर्या व मानसिक स्वास्थ्य को सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है।

शारीरिक प्रभाव : सिर दर्द, मिचली, भूख न लगना, थकान, हृदय गति में असामान्य परिवर्तन, ब्लड प्रेशर का बढ़ना।

भावनात्मक प्रभाव : दुश्चिंता, तनाव, गुस्सा, भय, चिडचिडापन, उदासी, अनिश्चितता, उलझन, घबराहट व बेचैनी।

मानसिक प्रभाव : बार बार नकारात्मक सोच आना (नौकरी चली गई तो क्या होगा, परिवार कैसे चलेगा, कोरोना हो गया तो क्या होगा….), ठीक से नींद न आना, बुरे सपने देखना, किसी कार्य में ध्यान लगने में कठिनाई होना।

व्यवहारिक प्रभाव : नशे का अधिक सेवन करना, अधिकांश समय कोविड-19 से जुड़ी खबरें देखना, छोटी-छोटी बातों पर चीखना- चिल्लाना, खामोश हो जाना, उदास रहना।

तनाव से बचाव के उपाय :

  • कोरोना से बचाव के उपायों का सख्ती से पालन करना
  • सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क का उपयोग करना
  • नियमित दिनचर्या रखना
  • सकारात्मक सोच बनाए रखना
  • सृजनात्मक कार्य करना
  • अपने रुचि के कार्य को करना
  • अपनों से जुड़े रहना तथा एक दूसरे का उत्साहवर्धन करना
  • संक्रमण से बचाव के उपायों को करते हुए दूसरों की सहायता करना
  • अनियंत्रित स्थितियों के बजाय नियंत्रण वाली स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करना
  • अधिक जानकारी इकट्ठा न करना
  • मनपसंद संगीत सुनें
  • बच्चों के साथ खेलें
  • सोचे कि पुन: करोना पर नियंत्रण पाया जा जाएगा और दूसरों को भी हौसला अफजाई करें
  • अफवाह कदापि ना फैलाएं तथा लोगों के भ्रांतियों का तथ्यपरक ढंग से निवारण करें
  • बालकनी,घर के बगीचे एवं छत पर टहलें
  • अपनी भावनाओं को जाहिर करें यदि है भय, उदासी इत्यादि है तो इसे अपने परिवारिक सदस्य एवं दोस्तों से साझा करें।

कोरोना वैक्सीन के महत्वपूर्ण तथ्य

  • वैक्सीन का पहली खुराक लेने के बाद हल्का सिर दर्द, गले में खराश, थकान व बुखार हो सकता है इससे घबराएं नहीं है ऐसा बहुत ही कम लोगों को होता है।
  • वैक्सीन की दूसरी खुराक निर्धारित समय पर लें यदि पहला खुराक लेने के बाद कोरोना संक्रमित हो जाए तो ठीक होने के 28 दिन बाद ही दूसरा खुराक लें।
  • वैक्सीन लगवाने का यह अर्थ नहीं है कि आपको कोरोना का संक्रमण नहीं होगा, वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद ही शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होता है।
  • वैक्सीन लेने के बाद शरीर में एंटीबॉडी बनना शुरू होता है उस समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाता है वैक्सीन का दूसरा डोज लेने के 14 दिन बाद शरीर में पूरी तरह से एंटीबॉडी विकसित होती है इस दौरान करोना के संक्रमण का खतरा बना रहता है यह सोच कर कि वैक्सीन लगवा लिया है लापरवाही न करें क्योंकि इस समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होता है और संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
  • अफवाह पर ध्यान ना दें कोई भी सूचना स्वीकार करने एवं उसे दूसरों तक पहुंचाने से पहले उसकी जांच परख अवश्य करें। न खुद घबराए और न ही दूसरों से नकारात्मक एवं हतोत्साहित करने वाली बातचीत करें सावधानी अवश्य रखें किंतु तनाव न पाले।

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