
रिपोर्ट : तपेश विश्वकर्मा
मिर्जापुर, (उ.प्र.) : “होली खेले दादी अम्मा आश्रम मे होली खेले दादी अम्मा” जी हां सही गाना पढ़ा आपने क्योंकि पाल्क संस्था द्वारा वृद्धा आश्रम मे अकेली जीवन जी रही दादी लोगो के जीवन खुशिया बरसाने का प्रयास किया, क्योंकि होली के रंग बिरंगे त्योहार के दिन भी सादा जीवन जीने वाली दादी अम्मा जो आश्रम मे अपनों से दूर रहकर जीवन यापन करती है। उनके जीवन मे रंग बरसाने का प्रयास होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन करके किया गया। जहाँ राधे कृष्णा जी की झांकी, मथुरा बृन्दावन की होली गीत के साथ ही अन्य मनोहरी झांकी प्रस्तुत किया। जिस पर दादी भी डांस करने लगी साथ ही अबीर ग़ुलाल व पुष्पों की होली जमके खेली एक दूसरे को रंग लगा के मिश्राम्भु गुजिया छोले का आनंद भी उठाया और फिर दादी ने गाया “होली खेले रघुबीरा अवध मे होली खेले रघुबीरा” ।