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इस दिल को समझाऊँ कैसे ?

– मनीषा कुमारी (मुंबई)

अपनी हालात तुझे बताऊँ कैसे।
अपनी कहानी तुझे सुनाऊँ कैसे।।
जानती हूं मैं तू किसी और का है।
पर इस दिल को समझाऊँ कैसे।।

जब मेरी तुमसे बात नही होती हैं।
न जाने कैसे ये रात गुजरती हैं।।
माना कि तू दूर है बहुत मुझसे।
लेकिन तूझे पास बुलाऊँ कैसे।।

अपना हमसफर तुझे बनाऊँ कैसे।।
अपनी दिल की जज्बात तुझे सुनाऊँ कैसे।
तेरे बिना मेरी जिंदगी का कोई अस्तित्व नही है।
ये बात तुझे मैं बार-बार समझाऊँ कैसे।।

अपनी प्यार का एहसास दिलाऊँ कैसे।
आँखों के आँसु ये दर्द छुपाऊं कैसे।।
कितना है मेरे दिल मे तेरे लिए प्यार।
इस बात की यकीं दिलाऊँ कैसे।।

जीने की तेरे संग ख्वाहिश में, मैं हर रोज मरती हूँ।
तुम आओ या न आओ लेकिन, हर रोज इंतजार करती हूँ।।
इस कदर प्यार हुआ है तुझसे , बेचैन सी रहती हूँ।
दिनों में भी सपनो में तेरे संग खोई रहती हूँ।।

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