मिर्जापुर, (उ.प्र.) : फाइलेरिया निरोधी विशेष अभियान 26 अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। इसके लिए विभाग ने अभी से तैयारी शुरू कर दिया है। इसी के तहत मंगलवार को मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय विवेकानन्द सभागार में ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।
जिला मलेरिया अधिकारी संजय द्विवेदी ने बैठक के दौरान कहा कि फाइलेरिया रोग में अक्सर हाथ या पैर बहुत ही ज़्यादा सूजन हो जाती है । इसलिए इस रोग को हाथी पांव भी कहते हैं। उन्होंने बताया कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चोंए गर्भवती और गंभीर रोग से बीमार व्यक्तियों को दवा सेवन नहीं कराया जाएगा। जिन व्यक्तियों के अंदर माइक्रो फायलेरिया के कीटाणु रहते है, उन्हें दवा सेवन करने पर कुछ प्रभाव जैसे. जी मचलाना, उल्टी आना, हल्का बुखार आना, चक्कर आना आदि हो सकता है। इससे घबराना नहीं चाहिए।
अपर मुख्यचिकित्साधिकारी डाक्टर आर0एस0राम ने बताया कि 15 दिनों के अभियान में 2486760 जनसंख्या को दवा देने का कार्य किया जायेगा।अभियान को सफल बनाने के लिए जिले में 302 उपकेन्द्रों पर जहां फाइलेरिया की दवा सुबह 10 बजे से सायं 4 बजे तक निःशुल्क सभी के लिए उपलब्ध होगा। इसके साथ ही कार्यरत 2058 आशा, 2668 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के अलावा 469 सुपरवाइजरों को घर-घर जाकर फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह बीमारी हमारे शरीर के किसी भी अंग को प्रभाबित कर सकती है। यह बीमारी मरीज को मृत समान बना देता है।
साथ ही कहा कि फाइलेरिया की बीमारी क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलती है। इस मच्छर के पनपने में मल, नालियों और गड्ढों का गंदा पानी मददगार होता है। इस मच्छर के लार्वा पानी में टेढ़े होकर तैरते रहते हैं। क्यूलैक्स मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो वह फाइलेरिया के छोटे कृमि का लार्वा उसके अंदर पहुँचा देता है। संक्रमण पैदा करने वाले लार्वा के रुप में इनका विकास 10 से 15 दिनों के अंदर होता है। इस अवस्था में मच्छर बीमारी पैदा करने वाला होता है। इस तरह यह चक्र चलता रहता है।
फाइलेरिया के लक्षण
- एक या दोनों हाथ व पैरों में (ज़्यादातर पैरों में) सूजन
- कॅपकॅपी के साथ बुखार आना
- गले में सूजन आना
- गुप्तांग एवं जॉघो के बीच गिल्टी होना तथा दर्द रहना
- पुरूषों के अंडकोष में सूजन (हाइड्रोसिल) होना
- पैरों व हाथों की लसिका वाहिकाएं लाल हो जाती हैं