
रिपोर्ट : तपेश विश्वकर्मा
मिर्जापुर, (उ०प्र०) : जनपद के वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा की नाटक की पुस्तक “ईशा” प्रकाशित होकर आ गयी है। नाट्यकृति के रूप में आयी यह उनकी पाँचवीं पुस्तक है। जिसे उदीप्त प्रकाशन ने छापा है। इससे पूर्व उनके चार कविता संग्रह- कब लौटेगा नदी के उस पार गया आदमी (2007), जीना चाहता हूँ (2008), इतिहास बन गया (2010) और बह समय था (2019) प्रकाशित हो चुके हैं।
श्री कुशवाहा की इस नाट्यकृति “ईशा” की भूमिका देश की जानी मानी कथाकार चित्रा मुदगल एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रोफेसर कृपाशंकर चौबे की है।
इस सीरियस नाटक में आजादी के बाद से लेकर अब तक जूझते आदमी के उलझे बहुत सारे ज्वलंत सवालों को उठाया गया है। खासतौर से महिला विमर्श पर आधारित इस नाटक “ईशा” में औरत का सम्मान, स्वतंत्र अभिव्यक्ति तथा आजादी के लिए उसका संघर्ष और अस्तित्व की लड़ाई को मुद्दा बनाया गया है। सामाजिक व राजनीतिक सच को उद्घाटित करने वाले इस नाटक में धार्मिक सहिष्णुता और मानवीयता आधार स्तम्भ के रूप में हैं। इसके साथ ही “ईशाँ नाटक आज के दोहरे चरित्र को भी बेनकाब करता है।
भोलानाथ कुशवाहा को नाट्यकृति “ईशा” के प्रकाशन पर बधाई देने वाले जनपद के साहित्यकारों में सर्वश्री वृजदेव पांडेय, शिव प्रसाद कमल, प्रमोद कुमार सुमन, गणेश गंभीर, जफर मिर्जापुरी, अरविंद अवस्थी, डॉ रेनूरानी सिंह, भानुकुमार मुंतजिर, शुभम श्रीवास्तव ओम, डॉ रमाशंकर शुक्ल, आनंद अमित, मुहिब मिर्जापुरी, डॉ सुधा सिंह, खुर्शीद भारती, नंदिनी वर्मा, हसन जौनपुरी, हेलाल मिर्जापुरी, इरफान कुरैशी आदि प्रमुख हैं।