पोषण पुनर्वास केन्द्र में बच्चों को दिया जा रहा पोषक पदार्थ, कई बच्चों के सेहत में हुआ सुधार
रिपोर्ट : तपेश विश्वकर्मा
मिर्जापुर, (उ0प्र0) : बाल विकास विभाग के सिटी ग्रामीण परियोजना के भिस्कुरी गांव की मंजू देवी पति रमजान रहने वाली है। उनके दस महीने के बेटी साहिना की तबीयत जनवरी माह में बिगड़ गई। कई डाक्टरों को दिखाने व परामर्श लेने के बाद वह अपने बच्चे को मंडलीय चिकित्सालय ले गयी वहां पर डाक्टरों ने स्वास्थ्य परीक्षण के बाद एनआरसी सेन्टर के लिए रेफर कर दिया ।
सिटी ग्रामीण के बाल विकास परियोजना अधिकारी विमलेश कुमार ने बताया कि जनवरी माह में 19 जनवरी को जब बच्चा एनआरसी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने भर्ती कराया तो उस समय बच्चे का वजन सात किलो नौ सौ ग्राम था। एनआरसी सेन्टर में देखभाल के बाद बच्चे का वजन आठ किलो पांच सौ ग्राम हो चुका है। अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक साहीन जैसे 63 बच्चे स्वस्थ्य होकर अपने घर को लौट चुके है। मंडलीय चिकित्सालय एनआरसी सेन्टर पर फेस मास्क, फिजिकल डिस्टेसिंग और साफ-सफाई के नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए, बच्चों को स्वस्थ्य जीवन की राह दिखाई जा रही है।
साहीना की मां मोहनी ने बताया कि उन्हें केन्द्र में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। बच्चे के साथ उन्हें भी पौष्टिक आहार जैसे दूध, सब्जी, हरेपत्तेदार, सब्जी, रोटी निःशुल्क उलब्ध कराया गया। केन्द्र पर तैनात डाक्टर समय-समय पर आकर बच्चे का हालचाल लेते रहे। उन्होंने बताया कि जनवरी माह में बच्चे को उल्टी-दस्त की शिकायत थी इसके कारण आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने उसे एनआरसी सेन्टर में भर्ती कराया था। बच्चे की हालत अत्यन्त खराब थी। एनआरसी सेन्टर में जब बच्ची ईलाज के दौरान ठीक होने लगी तो उसे खेलने की भी सुविधा उपलब्ध कराई गयी। अब बच्ची ठीक होने लगी।
एनआरसी पर तैनात पंकज कुमार ने बताया कि बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर वी0के0 तिवारी की देखरेख में कोरोना प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन करवाया जा रहा है। एक दूसरे से दो गज की दूरी रखी जा रही है और सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है।
समर्पित भाव से काम रहे है स्वास्थ्यकर्मी
मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर प्रभुदयाल गुप्ता ने बताया कि बाल विकास विभाग की ओर से अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक एनआरसी सेन्टर में 374 बच्चे एनआरसी सेन्टर में भर्ती कराये गये थे इसमें से 63 बच्चे जो सिटी ग्रामीण परियोजना से भर्ती कराये गये थे वह स्वस्थ्य होकर अपने घरों को लौट चुके है। इसके अलावा बच्चों के ईलाज के लिए दो डाक्टर समेत आधे दर्जन स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात किया गया है।