लखनऊ : नीलम सक्सेना चंद्रा के फेसबुक पेज से 17th काव्यगोष्ठि का आयोजन संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का संचालन कवियत्री सरिता त्रिपाठी जी ने किया एवं कवियत्री डॉ रेणु मिश्रा जी तकनीकी योगदान प्रदान किया। कार्यक्रम में कवियत्री प्रीती भटनागर जी (दिल्ली), कवियत्री वीणा तिवारी जी (इंदौर), कवियत्री प्रीति श्रीवास्तव जी (बनारस), सरिता त्रिपाठी जी (लखनऊ), एवं डॉ रेणु मिश्रा जी (गुणगांव) से प्रतिभाग कर अपनी कविताओं/गीतों को अपने मधुर स्वर में प्रस्तुत किया। प्रसून जी का हार्दिक आभार पोस्टर बनाने के लिए एवं नीलम जी का हम सभी को मंच देने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। आप सभी लिंक से जुड़कर हौसला बढ़ाये और काव्यपाठ का आनंद ले।
संचालन करते हुए सरिता जी ने स्वरचित पंक्तियों से कवियत्रियों का स्वागत किया।
प्रीति श्रीवास्तव जी की कविता बनारस के लिए निम्न पंक्तियाँ प्रस्तुत किया।
” बनारस की जन्मी बनारस की बेटी, बनारस पे आज बना के रस लायी हैं,
आशा है सबको भावों से वो अपने, शब्दों का मधुरस पिलाने आयी हैं। “
वीणा तिवारी जी की कविता अर्धसत्य के लिया निम्न पंक्तियाँ प्रस्तुत किया।
” सत्य असत्य के बीच का मार्ग, अर्धसत्य अपनाते हैं,
कुछ तुमको हम समझाते हैं, कुछ खुद को ही समझाते हैं। “
डॉ रेणु मिश्रा जी की कविता अनुवादक के लिए निम्न पंक्तियाँ प्रस्तुत किया।
” अनुवादक होना भी अच्छा है, गर भावों को समझा पाओ,
गर भाव बदल दिया तुमने, फिर अनुवादक न कहलाओ। “
प्रीति भटनागर जी की कविता के लिए निम्न पंक्तियाँ प्रस्तुत किया।
” मन मचल रहा है अब मेरा, चल रही कलम की धारा है,
भावों को शब्दों में गढ़कर, स्वर मुखरित हो अभिलाषा है। “
उनकी खुद की प्रस्तुत कविता “गणितीय जीवन” को दर्शकों ने खूब सराहा।