मुंबई : भारत सरकार ने देश के प्रमुख राजमार्गों पर फास्टैग अनिवार्य कर दिया है। टोल पर समय और डीज़ल की बचत क लिए, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन लागू तो कर दिया लेकिन, अभी भी व्यावसायिक वाहन (खासकर ट्रक) मालिक अभी भी फास्टैग पर भरोसा करने में हिचकिचा रहे हैं।
व्हील्सआई द्वारा 10 लाख से अधिक टोल लेन-देन पर किये गए शोध से पता चला है कि, फास्टैग प्रबंधन में ट्रक मालिकों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है: गलत, डबल या एक्स्ट्रा टोल कटना, रिचार्ज की राशि का फास्टैग वॉलेट में देर से पहुँचना, टैग क्लास व रंग में उलझने और फास्टैग से जुड़ी सही और सटीक जानकारी की कमी।
ट्रक मालिकों के लिए फास्टैग की सबसे बड़ी समस्या है फास्टैग वॉलेट से गलत या ज्यादा टोल कटना। रिपोर्ट के अनुसार, 5 में से हर 1 टोल भुगतान के अंदर फास्टैग से गलत राशि काट ली जाती है। और ट्रक मालिकों के लिए गलत कटे टोल को ढूंढना और उसकी शिकायत दर्ज करना काफी समय लेने वाली प्रक्रिया है।
टोल प्लाजा पर होने वाले भुगतान में टैग क्लास एक अहम किरदार निभाती है। किसी वाहन से कितना टोल काटा जाना है ये टैग क्लास पर निर्भर करता है। और, ज्यादातर ट्रक मालिक गलत रंग के फास्टैग के कारण ही गलत टोल कटौती के शिकार हो जाते हैं। मतलब वाहन का क्लास और टैग का क्लास मेल नहीं ख़ाता। ऐसा देखा गया है की कमर्षियल वाहनों के वर्गीकरण में काफ़ी उलझनें हैं जिसके कारण ग़लत रंग व क्लास का टॅग अक्सर एक ट्रक पर लगा दिया जाता है। संक्षेप में कहें तो, ट्रक मालिकों को फास्टैग के वर्गीकरण से जुड़ी जानकारियों की कमी है।
यह देखा गया है की रिचार्ज की राशि फास्टैग में क्रेडिट होने में काफ़ी समय लगता है और उतना टाइम एक ट्रक को टोल पर खड़ा रहना पड़ता है। ट्रक मालिकों के अनुसार, रिचार्ज होने के बाद, पैसा फास्टैग वॉलेट में आने में देरी हो जाती है। कभी लो/ख़राब नेटवर्क होने की वजह से या कभी बैंक के धीमे प्रोसेस की वजह से, ट्रक को टोल पर रुकना रुकना पड़ जाता है। एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों को फास्टैग के ऑनलाइन रिचार्ज को तत्काल वॉलेट में ट्रांसफर करने की सुविधा को तेजी से विकसित करना चाहिए।
हर दिन हज़ारों ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां फास्टैग उपलब्ध कराने वाले बैंकों के द्वारा वाहनों को ब्लैकलिस्ट कर दिया जा रहा है। और, परेशानियों का सामना ट्रक मालिकों को करना पड़ रहा है। ट्रक ड्राइवर वाहन ब्लैकलिस्ट हो जाने की वजह से टोल पIर नहीं कर पाते । यह होता इस वजह से है की अक्सर ट्रक मालिक पुराना ट्रक खरीद लेते हैं जिसमें पहले से एक फास्टैग लगा होता है। बिना उस टॅग को बंद कराए नया टॅग लगाने की वजह से, पुराने टॅग का बैंक, वाहन को ब्लेकलिस्ट कर देता है|
व्हील्सआई प्रवक्ता सोनेश जैन ने कहा, “फास्टैग प्रबंधन करने में ट्रक मालिकों की परेशानियों को करीब से देखने पे हमने पाया कि ज्यादातर परेशानियां तकनीकी जानकारी की कमी की वजह से है। यदि कोई ट्रक मालिकों और ड्राइवरों से संवाद कर सकता है कि, कैसे तकनीक उनके व्यापार को लाभदायक बनाने में मदद कर सकती है, तो ट्रक मालिक मारामारी के बजाय नयी तकनीकों पर अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू कर देंगे।”