Khula Sach
ताज़ा खबरमीरजापुरराज्य

Mirzapur : डीएम-वकील के बीच विवाद, दूसरे दिन कचहरी हिलती-डुलती नज़र आई

आत्मदाह लिखना ‘आत्महत्या के प्रयास का अपराध नहीं- वकील समाज

रिपोर्ट : सलिल पांडेय,

मीरजापुर, (उ.प्र.) : लंबे अरसे बाद प्रशासन और अधिवक्तासमूह के बीच महाभारत की कथा शुरू हो गई है। दो एपिसोड प्रदर्शित हो गया और तीसरे का ट्रेलर भी दिखा दिया गया। सोमवार, 8/3 को फिलहाल मूक होकर अधिवक्ता समाज कचहरी-परिक्रमा करेगा। मौके का दृश्य क्या होगा, इसका पूर्वानुमान करना जल्दबाजी होगी।

हिलने लगी कचहरी

शनिवार, 6/3 को एक दिन पहले किसी मुवक्किल की पैरवी के लिए जिलाधिकारी प्रवीण कुमार पटेल के पास दरख्वास्त लेकर गए अधिवक्ता उमाकांत पांडेय के बीच दरख्वास्त की भाषा को लेकर माहौल बिगड़ गया। वकीलों का कहना है कि जिलाधिकारी ने अधिवक्ता को अपमानित किया।

क्या थी भाषा?

मुवक्किल के प्रार्थना पत्र में ‘न्याय न मिलने पर आत्मदाह’ का उल्लेख था। जिसे पढ़ते ही जिलाधिकारी ने ‘आत्म-हत्या के प्रयास’ में मुवक्किल तथा वकील के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने एवं कार्यालय में बैठा लेने की बात कही। ऐसा पीड़ित वकील कहना है। इसको लेकर 5/3 के बाद दूसरे दिन वकील कचहरी में NIC कार्यालय की ओर बढ़े। वकीलों का तेवर गर्म था। एकबारगी लोगों को लगा कि NIC दफ्तर में कुछ गड़बड़ी हो ही जाएगी। तभी ADM यूपी सिंह आ गए और किसी प्रकार वकीलों को मनाया। आंदोलित वकील सबरजिस्ट्रार, स्टाम्प के कार्यालय और कलेक्ट्रेट न्यायालय बंद कराते लौट गए।

आंसू की बूंदों से आग की लपट बुझी नहीं

कचहरी परिक्रमा के बाद अधिवक्ता संघ में जुटे वकील आगे की रणनीति पर विचार कर रहे थे तभी डीएम से नोकझोंक के शिकार 60 वर्षीय श्री उमाकांत पांडेय अपनी पीड़ा सुनाने लगे। इसी बीच नयनों की अश्रुधारा क्या बही कि आंदोलन भी आगे बढ़ गया। श्री पांडेय शांत प्रकृति के वकील माने जाते है। उनकी इस छवि से वकीलों ने तय किया कि लड़ाई आरपार की लड़ी जाएगी।

आत्महत्या के प्रयास की धारा नहीं बनती

वकीलों का कहना है कि कोई अपने घर से यह कहकर चले कि ‘नदी में कूद कर या ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर लेगा’, तब भी आत्महत्या के प्रयास का मुलजिम वह नहीं होता है। बहुत संभव है कि वह रास्ते में मन बदल दे। इसी तरह प्रार्थना-पत्र में आत्मदाह लिखना ‘आत्महत्या का प्रयास नहीं है।’

बीच बचाव जरूरी

प्रशासनिक स्तर पर इस मैटर में कमिश्नर बीच बचाव करें तो वार्ता से मामला हल हो सकता है। राजनीतिक स्तर पर मंत्री, सांसद या विधायक दोनों पक्षों से वार्तालाप कराने का प्रयास करें वरना आसन्न पंचायत-चुनाव के बीच लंबा आंदोलन चला तो दिक्कतें बढ़ती ही जाएंगी।

Related posts

कितना बदल गये हो तुम

Khula Sach

लॉन्च से पहले एमजी हेक्टर 2021 का इंटीरियर हुआ लीक

Khula Sach

भयहरणनाथ धाम में परम्परागत फूलों की होली उत्सव सम्पन्न

Khula Sach

Leave a Comment