– दीपक कुमार त्यागी (स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार)
एक प्रसिद्ध शायर ने खूब कहा है कि “एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा, आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।”
ओजस्वी व्यक्तित्व के धनी हसमुख, सरल व सज्जन स्वभाव के चलते लोगों के दिलों में एक ही मुलाकात में अपनी अलग जगह बनाने वाले युवा समाजसेवी ‘तरूण त्यागी’ की शख्सियत पर प्रसिद्ध शायर ‘परवीन शाकिर’ की उपरोक्त यह पंक्तियां एकदम सटीक बैठती हैं। समाज व परिवार से जब कोई अपना बेहद खास सगा संबंधी एकाएक सभी परिजनों के दिलोदिमाग को झकझोर कर दुनिया को छोड़ जाता है, तो वह दुःख बेहद असहनीय व अकल्पनीय होता है। वैसे तो सर्वशक्तिमान ईश्वर के आगे किसी की भी कोई इच्छा नहीं चलती, विधाता के द्वारा तय किये गये स्थान व समय पर हर किसी व्यक्ति को दुनिया से अलविदा कहना होता है, लेकिन व्यक्ति अगर अपनी आयु पूरी करके सामान्य ढंग से दुनिया से रुखसत हो जाये, तो उसके परिवार व चाहने वालों को दुःख-दर्द का अहसास बहुत कम होता है, लेकिन अगर वह अल्पायु में आकस्मिक किसी दुर्घटना का शिकार होकर दुनिया से चला जाता है, तो सभी के लिए इस तरह की कष्टकारक स्थिति को झेलना बहुत असहनीय होता है। लेकिन व्यक्ति चाहें कितना भी ताकतवर हो जाये, वह ईश्वर के आगे हमेशा बेबस होता है, उसके पास हर हाल में विकट से विकट परिस्थिति में भी ईश्वर की इच्छा को मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होता है। प्रभु की इच्छा के आगे किसी का भी कोई बस नहीं चलता है। हम सभी जानते हैं कि ईश्वर की इच्छा ही सर्वोंपरि है, परिवर्तन प्रकृति का नियम है, लेकिन आत्मा अजर-अमर है, वह कभी भी नहीं मरती है, शरीर तो मात्र एक साधन है, लेकिन फिर भी मन अपने के आजीवन विछोह को मानने के लिए आसानी से तैयार नहीं होता है।
प्रसिद्ध शायर ख़ालिद शरीफ़ ने कहा है कि “बिछड़ा कुछ इस अदा से कि रुत ही बदल गई, इक शख़्स सारे शहर को वीरान कर गया।”
अपनों को वीरान करने वाली ऐसी ही एक आकस्मिक घटना ने हम सभी लोगों को झकझोर कर रख दिया, 21 फरवरी की दोपहर 1.30 से 2.0 बजे के बीच में गाजियाबाद जनपद के मुरादनगर में गंगनहर की पटरी पर मसूरी गांव की तरफ चलते समय रेलवे लाईन के पास थाना मुरादनगर क्षेत्र में एक वाहन दुर्घटना में प्यारे छोटे भाई युवा समाजसेवी ‘तरूण त्यागी’ को हम सभी लोगों से छीन लिया था। यहां आपको बता दे कि ‘तरूण त्यागी’ चार शादीशुदा भाई बहनों में सबसे छोटे थे, वह मूल रूप से गाजियाबाद जनपद के लोनी तहसील के मंडौला गांव के निवासी हैं, उनके पिता राजेन्द्र त्यागी हाल में मोरटा गांव में अपने बड़े पुत्र सचिन त्यागी के साथ निवास करते हैं। ‘तरूण’ व उनके भाई राष्ट्रीय त्यागी युवा संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व समाजसेवी नितिन त्यागी वीवीआईपी सोसायटी राजनगर एक्सटेंशन में निवास करते हैं। ‘तरूण’ के परिवार में पत्नी ललिता त्यागी 12 साल की बेटी रिद्धि व 8 साल का पुत्र अनिक है। 3 मार्च को वीवीआईपी एड्रेसस सोसायटी राजनगर एक्सटेंशन में ‘तरूण त्यागी’ की तेरहवीं के पर शोक सभा का आयोजन हुआ जिसमें शहर के गणमान्य नागरिकों, राजनेताओं व विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने युवा समाजसेवी ‘तरूण त्यागी’ को अश्रुपूरित आँखों से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अंतिम विदाई दी। एक शायर ने खूब कहा है कि
“इन आँसुओं को बह लेने दीजिये, दर्द में ये दवा का काम करते हैं,
सीने में सुलग रहे हैं अँगारे जो, ये उन्हें बुझाने का काम करते हैं !”
आज तेरहवीं के अवसर पर मैं अपने प्यारे भाई तरूण त्यागी की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वो उसकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देकर मौक्ष प्रदान करें और परिवार को इस बेहद दुःख की घड़ी को सहने का साहस प्रदान करें। श्रद्धांजलि सभा में माया प्रकाश त्यागी, सतेन्द्र त्यागी, यति नरसिंहानंद सरस्वती, भैया दास जी महाराज, वीवीआईपी के सीएमडी प्रवीन त्यागी, पूर्व विधायक प्रशांत चौधरी, पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार मुन्नी, ज्योतिषाचार्य अरूण कौशिक, पूर्व मेयर अशु वर्मा, त्रिलोक त्यागी, भाजपा के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा, पार्षद राजेंद्र त्यागी, बंसत त्यागी, जे.पी. कश्यप,कांग्रेस के जिलाध्यक्ष बिजेंद्र यादव, सुभाष त्यागी निवाड़ी, सपा के महानगर अध्यक्ष राहुल चौधरी, सुधीर त्यागी डिडौली, बिल्डर रविंद्र त्यागी, नीरज त्यागी, प्रहलाद त्यागी, राष्ट्रीय त्यागी युवा स़घ राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष त्यागी, लोकदल के ओडी त्यागी, प्रदीप त्यागी, मनोज त्यागी, विरेन्द्र प्रताप सिंह त्यागी, मनोज नागर, माधव चौधरी, विनीत त्यागी, संदीप त्यागी आदि शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
दुःख की इस घड़ी में शायर राहत इंदौरी साहब की चंद पंक्तियों के माध्यम से मैं ‘तरूण त्यागी’ को कोटि-कोटि नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
“अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे..”
जिंदगी में आपकी कमी हमेशा खलेगी मेरे भाई कदम-कदम पर पल-पल हमेशा बहुत याद आओगे मेरे प्यारे भाई ‘तरूण त्यागी’ आपका सरल बेहद शानदार व्यवहार हमेशा याद रहेगा। इस विकट परिस्थिति पर शायर ने कहा है-
“जाने वो कैसे मुकद्दर की किताब लिख देता है,
साँसे गिनती की और ख्वाहिशें बेहिसाब लिख देता है।।