नृत्यांगना बोली यहां रहकर लोक कला को आगे बढ़ाने में बनेंगी सहायक
रिपोर्ट : निर्णय तिवारी
छतरपुर/खजुराहो, (म.प्र.) : देश विदेश में विश्व विख्यात पर्यटन नगरी खजुराहो अपने सुंदर और आकर्षक मंदिरों की पहचान के लिए किसी का मोहताज नहीं। यहां होने वाले अंतरराष्ट्रीय नृत्य महोत्सव को देखने तथा संस्कृति की पहचान के लिए दर्शक पूरे साल इंतजार करते हैं, खजुराहो अंतरराष्ट्रीय महोत्सव में अपनी प्रस्तुति के लिए देश विदेश के कलाकारों के लिए मंच उपलब्ध हो पाना उनके अधूरे सपने से कम नहीं मंच पर प्रस्तुति के उपरांत नृत्यांगना अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं तो वहीं सरकार भी पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लगातार प्रयासरत है लेकिन लगातार गिरती पर्यटन की संख्या से खजुराहो का विकास अधर में अटका हुआ है जिसका मुख्य कारण यहां की धरोहरों को सरकार की उपेक्षा माना जाता है खजुराहो नृत्य महोत्सव में 2010 में अपने कत्थक नृत्य की प्रस्तुति देने वाली डॉ. अंजना झा ने अपने अनुभव मीडिया से साझा किए। जिसमें उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा इस बार नित्य शास्त्र की बर्षो पुरानी परंपरा को लगभग 44 वर्षों के उपरांत जीवंत किया गया जो सराहनीय है डॉ अंजना जी जयपुर घराने कि कत्थक नृत्यांगना है तो वहीं राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय ग्वालियर मैं कत्थक शिक्षिका के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं संस्कृति एवं अध्यात्म जोड़ने के लिए सरकार द्वारा जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वह काबिले तारीफ है युवा पीढ़ी की तरफ चिंतित अंजना झा अपने जीवन को कत्थक नृत्य को समर्पित किया एवं उनका प्रयास लगातार भारतीय शास्त्रीय नृत्य से युवा पीढ़ी को जागरूक तथा प्रेरक करना है ताकि भारतीय शास्त्रीय नृत्य को बुलंदियों पर पहुंचाया जा सके और लोग अपनी पाश्चात्य सभ्यता से परिचय हो सके आज सरकार द्वारा लगातार यूनिवर्सिटी कॉलेज और अन्य विद्यालयों में भारतीय शास्त्रीय नृत्य एवं कला को एक विषय के तौर पर जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है अपने खजुराहो के अनुभव में उन्होंने बताया सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुति खजुराहो के लिए किसी सौभाग्य से कम नहीं पर इस तरीके के प्रोग्राम लगातार खजुराहो में चलते रहें इसके लिए आने वाले समय में उनके द्वारा यहां के युवाओं को कला अध्यात्म और संस्कृति से जोड़ने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा ताकि यहाँ के लोगो और आने वाले पर्यटको को यहाँ की पाश्चात्य संस्कृति से जोड़ा जा सके और उन्हें कला बारीकियों से समझने का अवसर प्राप्त हो सके उनके अनुसार मध्य प्रदेश और बुंदेलखंड में कला की कोई कमी देखने को नहीं मिलती पर जागरूकता की कमी और तेज़ी से दौड़ती भागती दुनिया में आगे आने की होड़ में युवा लगातार अपनी सभ्यता संस्कृति को भूलते जा रहे हैं जिसे आने वाले समय में संजोने की आवश्यकता है।
तो वहीं इस मामले में खजुराहो नृत्य महोत्सव 2021 में अपनी प्रस्तुति देने बाली पूर्णाश्री राउत ओडिशी नृत्यांगना ने भी एक चैनल को दिए इंटरव्यू में साफ तौर पर इस प्रकार के समारोह 7 दिन की जगह 14 दिन तक करवाए जाने की सरकार से मांग की