रिपोर्ट : निर्णय तिवारी
छतरपुर, (म0प्र0) : विश्व पर्यटन नगरी खजुराहो के मुक्ताकाशी मंच पर शाम ढलते ही शास्त्रीय नृत्यों की जो प्रस्तुतियां हुईं, वह देखने लायक होती हैं। भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों पर आधारित खजुराहो नृत्य समारोह मध्य प्रदेश शासन और संस्कृति विभाग द्वारा विगत 46 वर्षों से निरंतर आयोजित किया जाता रहा है। समारोह का यह 47 में वर्ष हैं, नृत्यों के भारतीय संदर्भ में लोक से लेकर शास्त्रीय नृत्य के विविध रूप चकित करने वाले हैं। खजुराहो नृत्य समारोह में भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों प्रदर्शन एक ऐसा प्रदर्शन स्थल है, जहां शीर्षस्थ और उदीयमान कलाकार अपनी प्रस्तुति देने के लिए एक आग्रह और सदैव उत्सुख नजर आते हैं। इन नृत्यो को परखने और समझने वाले अपना सब कुछ भूलकर नृत्य में खो जाते हैं शास्त्रीय नृत्यों में सौंदर्य कलात्मकता और अध्यात्म का संगम दिखाई देता है। अंतर्राष्ट्रीय नृत्य महोत्सव के दुसरे दिन रविवार को शाम ढ़लते ही ७ बजे से शुरू हुआ। समारोह में पहली प्रस्तुति डॉ. ऐश्वर्या बरियार द्वारा भरतनाट्यम की ली गई, वहीं दूसरी प्रस्तुति मीरनंदाबार ठाकुर सत्रीय कत्थक युगल की रही, वहीं तीसरी अरुणा मोहंती साथी द्वारा ओडि़सी समूह नृत्यकी की जोरदार प्रस्तुति दी गई। इन मनमोहक प्रस्तुतियां और भक्ति भाव व संदेश का अनूठा संयोग ने दर्शकों को ओतप्रोत कर दिया।
माँ श्रीमती श्रीवाला मेनन से 5 वर्ष की आयु से शास्त्रीय नृत्य कला की दीक्षा प्रारंभ की। जिसके बाद डॉ. सुचेता भिंडे चापेकर उद्योग मंडल, भ्रमण और कला मंडल सरस्वती जैसे प्रतिष्ठित गुरुओं के अधीन भरतनाट्यम और मोहिनीअट्टम की शैलियों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली डॉक्टर ऐश्वर्या वारियर मोहिनी अट्टम की विशेषज्ञ हैं आपने भारतीदासन यूनिवर्सिटी से नृत्य मैं पीएचडी की शिक्षा हासिल की है इनके द्वारा कला प्रशासक क्यूरेटर, शिक्षक,शोधकर्ता, फिल्म निर्माता के रूप में धरोहर प्रबंधन के क्षेत्र में 20 वर्षों का गहन रूप से कार्य किया है डॉक्टर ऐष्वर्या ने भारत और विदेशों में कई प्रस्तुतियां दी और उनके सम्मान में स्वरुप इन्हें कई पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया है साथ ही आईसीसीआर द्वारा स्थापित कलाकार और दूरदर्शन प्रसार भारती और भारत की ग्रेड एक कलाकार के रूप में शोभायमान हैं।
चंद्राणी कलिता ओझा सत्रीय, कत्थक युगल से थिरक उठे लोग श्रीमती मीरनंदा बारठाकुर असम की ख्याति प्राप्त शास्त्रीय नृत्यांगना है बे कलामंचों पर अपनी विशिष्ट शैली में नृत्य प्रस्तुत करने के लिए विख्यात है 8 वर्ष की आयु से गुरु गोविंद सैकिया से सत्रीया नृत्य की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात गोवाहाटि स्थित पुष्पांजलि सांस्कृतिक अकादमी में पदमश्री पुष्पा बुयान से प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं बाल्यवस्था में ही आपने नृत्य गायन के लिए महत्वपूर्ण असम व देश के विभिन्न हिस्सों में जाती रही आपने अपनी दक्षता के बल पर रंगमंच विधा उसमें अपने योगदान के लिए जानी जाती हैं दूरदर्शन की ए श्रेणी की कलाकार प्रतिष्ठित उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार की विजेता भी रहे हैं आपको संगीत नाट्य अकैडमी नई दिल्ली द्वारा असाधारण प्रतिभा और सत्रीय क्षेत्र में योगदान के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया है आपको देवदासी नृत्य मंदिर भुवनेश्वर द्वारा देवदासी राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा गया है उच्च श्रेणी की कलाकार मेरे नंदा ने दंत चिकित्सा में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की एवं वर्ष 1999 में नृत्याचार की देखरेख में स्वयं को शास्त्रीय नृत्य के प्रति समर्पित किया
अरुणा मोहंती एवं साथी ओडिसी समूह
वही कार्यक्रम की तीसरी और अंतिम प्रस्तुति अरुणा मोहंती और उनके साथी के नाम रही आपको बता दें अरुणा मोहंती ने अपने पिता श्री कमल लोचन मोहंती से प्रदर्शनकारी कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया साथ ही 5 वर्ष की आयु में ओडिसी में बनने वाले फिल्मों में बच्चों के किरदार से जीवन की शुरुआत की। उड़ीसी नाटक और फिल्मों में बच्चों का किरदार निभाया आपने नैतिक शिक्षा श्रीनाथ राउत और गोविंद पाल से प्राप्त की इनके उपरांत प्रसिद्ध नर्तक शिक्षक और नृत्य संरचनाकार श्री गंगाधर प्रधान कि आप सुयोग्य शिष्या बनी। श्रीमती अरुणा की नृत्य गुरु पंकज चरण दास केलुचरण महापात्राए संयुक्ता पाणिग्रही और सोनल मानसिंह का मार्गदर्शन भी मिला अरुणा मोहंती गुरु गंगाधर प्रधान द्वारा क्षेत्र में स्थापित ओडीसी नृत्य अकादमी की प्रमुख है ।ओडिसी क्षेत्र में सबसे निशांत नृत्यकियों में से एक हैं आप के अनोखे कौशल और बहुमुखी प्रतिभा के कारण आपको कई पुरस्कार और प्रतिष्ठा से नवाजा गया है जिनमें प्रमुख आउटलुक मैगजीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कारए भारत भवन पुरस्कारए उड़ीसा संगीत नाटक अकैडमीए पुरस्कार केंद्रीय संगीत नाटक अकैडमी पुरस्कार और पदम श्री से सम्मानित हैं अरुण मोहंती एक प्रसिद्ध मृतक के साथ.साथ कोरियोग्राफी मैं भी महारत हासिल है गुरु की शिक्षा और नवीन विचारों का समाधान करते हैं संगीत नाटक अकैडमी संस्कृति मंत्रालय आईसीसीआर ईजेडसीसी सदस्य रहे हैं और उड़ीसा संगीत नाटक एकेडमी की उपनिदेशक के रूप में सेवाएं दे चुके हैं।
दर्शकों के लिए और भी हैं आकर्षण का केंद्र
नृत्य के अलावा समारोह में मप्र पर्यटन की साहसिक गतिविधियों के अलावा कार्यक्रम स्थल पर कला प्रेमियों के लिए भरतनाट्यम एकाग्र नेपथ्य, कलावातार्ए आर्ट मार्ट, ललित कला प्रदर्शनी, चल चित्र और लोकोत्सव भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। यहां कला परंपरा का मेला (हुनर), टेराकोटा प्रदर्शनी (समष्टि) और बुंदेली व्यंजनों का मेला (स्वाद) भी लगाया गया है।