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आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने नर्चरिंग नेबरहूड्स चैलेंज कोहॉर्ट की घोषणा की

– नर्चरिंग नेबरहूड्स चैलेंज के लिये 60 से ज्यादा शहरों ने आवेदन प्रस्तुत किये 

– चयनित 25 कोहॉर्ट शहरों को अपने प्रस्तावों का परीक्षण करने और उन्हें मजबूत बनाने के लिये अगले छह माह तक सहयोग और तकनीकी सहायता मिलेगी 

मुंबई : शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय के स्मार्ट सिटीज मिशन ने बर्नार्ड वैन लीएर फाउंडेशन (BvLF) और तकनीकी भागीदार डब्ल्यूआरआई इंडिया के साथ गठबंधन में ‘नर्चरिंग नेबरहूड्स चैलेंज’ कोहॉर्ट के लिये 25 चयनित शहरों की घोषणा की है। यह चैलेंज तीन वर्ष की एक पहल है, जिसका लक्ष्‍य सरकार के स्मार्ट सिटीज मिशन के अंतर्गत बच्चों के लिये अनुकूल आस-पड़ोस बनाने को सहयोग देना है।

इस चैलेंज के पहले स्टेज में सिटी एजेंसियों के आवेदनों के लिये ओपन कॉल था और वह 7 फरवरी, 2021 को बंद हो गया था। भारत के 63 शहरों ने सार्वजनिक स्थान, परिवहन और सेवाओं तक पहुँच में आस-पड़ोस के स्तर के पायलट प्रोजेक्ट्स का प्रस्ताव देते हुए आवेदन प्रस्तुत किये थे, ताकि छोटे बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को समृद्ध बनाया जा सके। आवेदक शहरों की सूची में से मूल्यांकन समिति ने आवेदनों की मजबूती के आधार पर पच्चीस (25) शहरों का चयन किया।

‘नर्चरिंग नेबरहूड्स चैलेंज’ कोहॉर्ट के लिये इन शहरों का चयन हुआ हैः अगरतला, बेंगलुरू, कोयंबटूर, धर्मशाला, ईरोड, हुबली-धारवाड़, हैदराबाद, इंदौर, जबलपुर, काकीनाडा, कोच्चि, कोहिमा, कोटा, नागपुर, राजकोट, रांची, रोहतक, राउरकेला, सलेम, सूरत, तिरूवनंतपुरम, तिरूपुर, उज्जैन, वडोदरा और वारंगल।

शहरों ने पायलट प्रोजेक्ट्स की एक विविधतापूर्ण श्रृंखला प्रस्तावित की थी, जैसे आवासीय आस-पड़ोस में टॉडलर-फ्रेंडली वॉकिंग कॉरिडोर्स, शहरी झुग्गियों में रहने वाले छोटे बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के लिये सुरक्षित परिवहन और बाल्यावस्था सेवाएं, प्रकृति के साथ क्रीड़ा और संवेदी उत्तेजन के अवसर बढ़ाना और स्‍कूली घंटों के बाद सरकारी स्कूलों के मैदानों के भीतर की उपयोग में कम लाई जाने वाली खुली जगहों को सार्वजनिक खेल स्थलों के रूप में अपनाना। गलियों और खुली जगहों के अलावा, अन्य प्रस्तावित पायलट्स का लक्ष्य सरकारी कार्यालय परिसरों, बस शेल्टर्स और ट्रांजिट हब्स में बाल्यावस्था सुविधाओं की जरूरत को सम्बोधित करना, आंगनवाड़ियों का न्यूट्रीगार्डन्स और आयु के अनुसार खेल उपकरणों के साथ विकास करना और शेड, सीटिंग और लैक्टेशन क्युबिकल्स के साथ पीएचसी के लिये आउटडोर वेटिंग एरियाज का कायाकल्प करना है।

कोहॉर्ट को तकनीकी सहायता, क्षमता निर्माण और विस्तार के लिये सहयोग मिलेगा, ताकि अगले छह माह में ट्रायल्स और पायलट्स पर प्रयोग और क्रियान्वयन हो सके और वह शुरूआती अच्छाइयाँ दिखा सके, नागरिकों की भागीदारी के लिये निवेदन कर सके और अपने प्रस्तावों पर सर्वसम्मति ला सके।

शहरों की भागीदारी

नर्चरिंग नेबरहूड्स चैलेंज के अंतर्गत तीन माह की आवेदन अवधि के दौरान रिमोट या इन-पर्सन चर्चाओं और ऑनलाइन क्षमता-निर्माण कार्यशालाओं के माध्यम से 100 से ज्यादा शहर जुड़े थे। सार्वजनिक क्षेत्र में 0-5 साल के छोटे बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों की जरूरतों पर केन्द्रित होने के लिये शहरों ने उत्साहजनक प्रतिक्रिया दी थी।

संचयी रूप से, पूरे भारत के आस-पड़ोसों में 300 से ज्यादा पायलट प्रोजेक्ट्स प्रस्तावित हुए थे, जो 0-5 साल के 12 लाख से ज्यादा बच्चों के जीवन की गुणवत्ता सुधारेंगे।

सार्वजनिक जगहों में भौतिक मध्यस्थताओं के अलावा शहरों ने आचरण में बदलाव को सहयोग देने के लिये तैयार सार्वजनिक संलग्नता गतिविधियों का भी प्रस्ताव दिया और शहरी योजना और विकास के अपने एप्रोच में ध्यान दिया कि लंबी अवधि की नीति और प्रशासनिक बदलाव बचपन की नजरों से देखे जाने चाहिये।

स्मार्ट सिटीज मिशन, एमओएचयूए के जॉइंट सेक्रेटरी और मिशन डायरेक्टर श्री कुणाल कुमार ने कहा, ‘‘बचपन के लिये ज्यादा स्वस्थ शहरी माहौल को आकार देने हेतु शहरों को जोड़कर इस चैलेंज ने आस-पड़ोस के स्तर पर मध्यस्थताओं के महत्व पर ध्यान केन्द्रित किया है। यह एप्रोच कॉम्पैक्ट, लोकल एरियाज में लोगों के लिये समावेशी विकास को बढ़ावा देने की स्मार्ट सिटीज मिशन की रणनीति के अनुसार है, ताकि शहरव्यापी समाधानों का विस्तार हो और हमारे नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता समृद्ध हो। यह देखकर हमें गर्व है कि पूरे भारत के शहरों ने यह चैलेंज लिया है और ज्यादा संवदेनशील शहरी योजना और डिजाइन अपनाने के लिये अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, ताकि करोड़ों छोटे बच्चों और उनके परिवारों की जरूरतों और आकांक्षाओं को सम्बोधित किया जा सके।’’

बर्नार्ड वैन लीएर फाउंडेशन की इंडिया रिप्रेजेंटेटिव रूशदा मजीद ने कहा, ‘‘इस चैलेंज ने शहरों को अपने नेबरहूड्स को छोटे बच्चों और उनकी देखभाल करने वालों के नजरिये से दोबारा देखने की प्रेरणा दी है। नेबरहूड-लेवल पर अपने आस-पास की जगहों की गुणवत्ता पर केन्द्रित होने से छोटे बच्चे और उनकी देखभाल करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र को खोज सकेंगे और एक स्वच्छ तथा हरित वातावरण में स्वस्थ जीवन जी सकेंगे, जो छोटे बच्चों के समग्र विकास के लिये महत्वपूर्ण है। शहरों से हमें जो उत्साहवर्द्धक रिस्‍पॉन्‍स मिला है, उससे हम बहुत प्रसन्न हैं। यह हमारे नन्हे नागरिकों को बेहतर भविष्य देने का हमारा संकल्प दर्शाता है। हमें भारत के शहरों को समृद्ध बनाने वाले नये कायाकल्पों का इंतजार है, ताकि शहर छोटे बच्चों और उनके परिवारों की जरूरतों के लिये ज्यादा अनुकूल बनें।’’

डब्ल्यूआरआई इंडिया के सीईओ डॉ. ओ.पी. अग्रवाल ने कहा, ‘‘भारत के शहर महामारी के बाद उभर रहे हैं और पैदल चलने योग्य, मिश्रित उपयोगों वाले आस-पड़ोसों में रूचि बढ़ रही है। यह देखकर हम खुश हैं कि भारत के शहर अपनी गलियों और सार्वजनिक जगहों की नई कल्पना करने की दिशा में काम कर रहे हैं, छोटे बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखकर, और बाल्यावस्था सेवाओं तक पहुँच को बेहतर बना रहे हैं। हम इस चैलेंज में भाग ले रहे सभी शहरों की सराहना करते हैं और हमें डाटा-ड्रिवेन सॉल्यूशंस की शुरूआत करने के लिये चयनित शहरों के साथ काम करने का इंतजार है, जो अन्य शहरों के लिये आदर्श बन सके। शहरी योजना और डिजाइन के केन्द्र में छोटे बच्चों को रखने से शहर सभी के लिये ज्यादा रहने योग्य, सुरक्षित और समावेशी बनेंगे।’’

नर्चरिंग नेबरहूड चैलेंज पर ज्यादा जानकारी के लिये कृपया https://smartnet.niua.org/nurturing-neighbourhoods-challenge/web/ देखें।

चैलेंज पर नियमित अपडेट्स के लिये ट्विटर पर @WRICitiesIndia फॉलो करें।

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