बसंत पंचमी : महत्व, मुहूर्त एवम् पूजन विधि
- पंडित अतुल शास्त्री
” सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा. “
बसंत पंचमी का पर्व फरवरी माह में पड़ रहा है. बसंत पंचमी का संबंध ज्ञान और शिक्षा से है. हिंदू धर्म में सरस्वती को ज्ञान की देवी माना गया है. बसंत पंचमी का पर्व सरस्वती माता को सर्मिर्पत है. इस दिन शुभ मुहूर्त में सरस्वती पूजा करने से ज्ञान में वृद्धि होती है. शिक्षा और संगीत के क्षेत्र से जुड़े लोग इस पर्व का वर्षभर इंतजार करते हैं.
बसंत पंचमी कब है ?
पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार इस वर्ष 16 फरवरी 2021 को मनाया जाएगा. इस दिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है. इस तिथि को बसंत पंचमी के नाम जाना जाता है.
बसंत पंचमी का महत्व
पौराणिक शास्त्रों के अनुसार बसंत पंचमी से ग्रीष्म (गर्मी) ऋतु के आगमन का आरंभ होता है. बसंत पंचमी से सर्दी के जाने का क्रम आरंभ हो जाता है. इस दिन सर्दी कम होने लगती है. बसंत के मौसम में प्रकृति नए रंग में नजर आने लगती है. फसल, पौधों और वृक्षों पर नए पत्ते, बाली और फूल खिलने लगते हैं. वातावरण को देखकर आनंद का भाव मन में आने लगता है. कवि, संगीत प्रेमी और लेखकों को यह पर्व बहुत प्रिय है.
बसंत पंचमी को अबूझ मुहूर्त भी कहते हैं
पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी पर अबूझ मुहूर्त का योग भी बनता है. इस दिन शुभ कार्य करने के लिए किसी मुहूर्त को देखने की जरूरत नहीं पड़ती है. इस दिन को विद्या आरंभ करने के लिए भी उत्तम माना गया है.
बसंत पंचमी मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 16 फरवरी को सुबह 03 बजकर 36 मिनट पर पंचमी तिथि आरंभ होगी. बसंत पंचमी का समापन 17 फरवरी को सुबह 5 बजकर 46 मिनट पर होगा.
बसंत पंचमी पूजा विधि
इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है. बसंत पंचमी के दिन सुबह सूर्य निकलने से पहले स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन विधि पूर्वक मां सरस्वती की पूजा करनी चाहिए. बसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ माना गया है.