रिपोर्ट : सलिल पांडेय
मीरजापुर, (उ.प्र) : उत्तराखंड के जोशीमठ में डैम टूटने तथा लगभग 50 हजार क्यूसेक जलप्रवाह को लेकर जिला भी चौकन्ना हो गया है। पड़ोसी जनपद प्रयागराज में माघ महीने के संगम-स्नान को अन्यत्र शिफ्ट करने की संभावनाओं के प्रति भी यहां के लोग जानने के लिए व्यग्र देखे जा रहे हैं क्योंकि 11 फरवरी को मौनी अमावस्या तिथि पर भारी संख्या में लोग एक-दो दिन पहले से ही पहुंचने लगते हैं। जो पूरे माह कल्पवास करते हैं, उनके परिजन भी स्थिति का जायजा लेते दिखाई पड़े।
प्रयागराज प्रशासन की आपात-बैठक
मुख्यमंत्री द्वारा सजगता का निर्देश जारी होने के बाद प्रयागराज जिला प्रशासन ने रविवार, 7/2 को बैठक शाम को बुलाई क्योंकि अधिक पानी आने पर संगम-स्थल की तलहटी में जल-प्लावन की स्थिति हो जाएगी। जिला-प्रशासन ने संगम-स्नान के स्थल हटाने या स्थल बदलने का निर्णय कमिश्नर, प्रयागराज पर छोड़ दिया। देर रात तक इस संबन्ध में निर्णय होगा।
संगम में अधिक पानी आया तो सतर्कता
ऐसी स्थिति में स्नान प्रभावित हो सकता है। मिर्जापुर जिले से भी स्नान के लिए जाने वालों को सारी स्थितियों पर नजर रखनी चाहिए।
नहरें हो गई बंद
डैम टूटने से 50 क्यूसेक पानी का बहाव बढ़ा ही है, साथ में भारी मात्रा में बहाव के साथ मिट्टी (सिल्ट) आ रही है। ऐसी स्थिति में बिजनौर, हरिद्वार, अलीगढ़ तथा कानपुर बैराज से 30 से 35 हजार क्यूसेक जल जो नहरों में दिया जाता था, उसे भी रोकने की नौबत जाएगी । इस तरह यह पानी भी गंगा में ही रहेगा। गंगा में ई फ्लो 50 हजार क्यूमेक का है। इतना जल तो सामान्य दिनों में गंगा-प्रवाह बनाए रखने के लिए छोड़ा जाता है। माघ महीने में 10 हजार क्यूसेक पानी अतिरिक्त छोड़ा जाता है। इसलिए गंगा के जलस्तर में उछाल होना स्वाभाविक है।
जिले की स्थिति
जिले में गंगा के तटवर्ती हिस्से में छानबे, चील्ह, सीखड़ तथा नरायनपुर ब्लाक के हिस्से आते हैं। जल-वृद्धि हुई तो नदी के उत्तरी हिस्से की कृषि पर प्रभाव पड़ सकता है। जिले में तकरीबन 18 पम्प कैनाल गंगानदी पर हैं। उम्मीद यही है कि जिले में जलप्लावन क्षीण हो जाएगा, लिहाजा नहरों को बंद करने की नौबत नहीं आएगी।