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सनातन संस्कृति का प्रतीक अपना तिरंगा !

– सलिल पाण्डेय

सनातन संस्कृति प्रथम पुरुष सूर्य भगवान को मानती है। तिरंगा में भगवान भाष्कर का संपूर्ण रूप समाहित है ।

केसरिया रंग ~ सूर्य नारायण उदित होते हैं तो उस वक्त का रूप केसरिया ही होता है। इस किरण में स्वास्थ्य, ज्ञान- विज्ञान की तरंगें होती हैं । हमारे शरीर के रक्त को ऊर्जा देती हैं।

सफेद रंग ~ तिरंगे का बीच का श्वेत रंग भी सूर्य के पूरे दिन की तरह श्वेत रहता है । जो वनस्पतियों के विकास में योगदान करता है । इसके अलावा सफेदी सत्यता और सकारात्मकता का सूचक है।

हरा रंग ~ सूर्य की किरणें जब खेतों को स्पर्श करती हैं तब उसमें अन्न उत्पादित होता है । इसके बिना इंसान जी नहीं सकता।

चक्र ~ सूर्य भगवान निरन्तर चक्रमण करते हैं।

24 तीलियाँ ~ गायत्री मन्त्र के 24 अक्षरों का सूचक। शरीर को संचालित करने वाले 12×2=24 हार्मोन्स को सशक्त बनाए बिना स्वस्थ जीवन संभव नहीं। मेल-फीमेल के 24 घण्टे में ये हार्मोन्स अपनी भूमिका (ड्यूटी) बदलते रहते हैं।

निहितार्थ – गायत्री मन्त्र के भू:- भुव- स्व: के सूचक इस ध्वज की तीन बार *”जय”* (जय हे, जय हे, जय हे) के साथ पुरुषार्थ चतुष्टय, चार युग, चार वर्ण, चारों दिशाओं की “जय, जय, जय, जय हे” बोलकर गौरवान्वित होने का पर्व है गणतन्त्र-दिवस।

“लेखक मीरजापुर जिले के वरिष्ठ पत्रकार होने के साथ ही “मर्द” व “विंध्यप्रसाद” के संपादक है।”

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