मुंबई : मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर अवनीता आर्ट्स के बैनर तले बन रही हिंदी फीचर फिल्म ‘‘सफाईबाज‘‘ के पोस्टरर्स पहली बार मीडिया के लिए जारी किए गये। जल्द ही इसके टैलर भी जारी किये जाने की तैयारियां चल रही हैं। ‘‘सफाईबाज‘‘ समाज में घटित कुछ ऐसी सत्य घटनाओं से प्रेरित होकर बनाई गई है जिन्हें आम लोग नजरअंदाज करते जाते हैं।
जैसा कि फिल्म के नाम ‘‘सफाईबाज‘‘ से पता चलता है कि हमारे द्वारा फैलाई जारी ही बेतहाशा गंदगी को साफ करने वाले एक विशेष समुदाय के लोगों की जिंदगी पर तैयार की गई ये फिल्म एक मार्मिक कहानी को दर्शाती है।
गंदगी को साफ करने वाले एक विशेष समुह के लोगों को किस प्रकार से शोषण किया जाता है और उन्हें किस प्रकार से अपनी जिंदगी को जीने पर मजबुर होना पड़ता है इस विषय पर फिल्म ‘‘सफाईबाज‘‘ में घटने वाली कुछ मर्मस्पर्शी घटनाओं को इस फिल्म के माध्यम से कैमरे में कैद करने जैसे साहसिक कार्य के लिए बाॅलीवुड के कुछ दिग्गज कलाकारों ने इसमें भूमिका निभाई है।
फिल्म ‘‘सफाईबाज‘‘ के मुख्य कलाकारों में राजपाल यादव, ओमकार दास मानिकपुरी उर्फ ‘नत्था’, जाॅनी लीवर, अनुपम श्याम ओझा, उपासना सिंह, समर्थ चतुर्वेदी, मनप्रीत कौर, आशीष अवाना, मनोज पंडित और सविता गोयल के नाम सबसे प्रमुख हैं। इस फिल्म में राजपाल यादव एक सफाई कर्मचारी की भूमिका में नजर आने वाले हैं।
इस फिल्म की अधिकतर शूटिंग उत्तर प्रदेश के रायबरेली और ग्रेटर नोएडा में हुई है। जबकि इसकी शुटिंग के समय ही यूपी में बनने वाली फिल्मसिटी की घोषणा भी की गई थी। इसलिए इसे प्रदेश में बनने वाली फिल्मसिटी की पहली फिल्म भी माना जा सकता है।
फिल्म के लेखक व निर्देशक डाॅ. अवनीश सिंह ने इसमें अपने जीवन के तमाम अनुभवों और आंखों देखी घटनाओं को बड़े पर्दे पर आम लोगों के सामने रखने का प्रयास किया है, ताकि उस विशेष समाज के लोगों के जीवन के बारे में आमलोग भी ये जान सकें कि उनका जीवन कितना कष्टप्रद होता है।
फिल्म ‘‘सफाईबाज‘‘ के क्रिएटिव डायरेक्टर अजीत चौबे हैं, जबकि संगीत स्वरुप होनप एवं डाॅ नीता सिंह का है। इसके गीतकार पंडित किरण मिश्रा हैं।
फिल्म ‘‘सफाईबाज‘‘ जैसे गंभीर विषय को लेकर लेखक व निर्देशक डाॅ. अवनीश सिंह से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि ये एक पहल है उन विशेष लोगों की जिंदगियों को श्रद्धांजलि, सम्मान और पहचान दिलाने के लिए, जो मानव समाज द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ करने के लिए बिना सोच-विचार किए गहरे-गहरे गटरों में उतर तो जाते हैं पर उनमें से जो लोग कभी वापिस नहीं आ पाते।
दरअसल, फिल्म जगत में आने से पहले डाॅ. अवनीश सिंह, भारत सरकार के श्रम विभाग में कार्यरत थे। इसलिए उन्होंने इन समस्याओं को नजदीक से देखा है।
बातचीत के दौरान डाॅ. अवनीश सिंह ने कहा कि सफाईबाजों ने हमारे लिए शहादतें तो दीं, पर कभी उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिल पाया है। सफाई करते हुए जाने कितने ही कर्मचारियों की गटर में ही मौत हो जाती है, जबकि उस मौत को एक मामूली सी दुर्घटना या गलती मान कर भुला दिया जाता है।
फिल्म ‘‘सफाईबाज‘‘ के माध्यम से उन लोगों की जिंदगी को कैसे समाज के सामने लाया जाय और कैसे बेहतर बनाया जाय इसी विषय पर ध्यान देने का प्रयास किया गया है।