
कश्मीर जम्मू प्रदेश के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले में घटनास्थल पर मौजूद व्यक्तियों द्वारा बताया जा रहा है कि आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछकर गोली मारना शुरू किया। निश्चित रूप से यह एक निंदनीय और अमानवीय कृत्य है। यह घटना न केवल धार्मिक आधार पर नफरत और हिंसा को दर्शाती है, बल्कि “राजनीतिक दृष्टिकोण से भी गहरे निहितार्थ रखती है।”
आतंकियों ने इस हमले में सिर्फ हिंदुओं को निशाना बनाया और कुछ मामलों में जबरन कलमा पढ़ने के लिए दबाव डाला, जो न मानने वालों को गोली मार दी गई। इस प्रकार की मानसिकता यह कृत्य किसी भी धर्म के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, क्योंकि सभी धर्म मानवता, शांति और सह-अस्तित्व की बात करते हैं। फिर भी इस घटना के अंतर्गत सिर्फ धर्म को ही निशाना नहीं बनाया गया है,, बल्कि आतंकवादियों का गोली मारने के बाद स्पष्ट रूप से संदेश छोड़ना ” कि बता देना अपनी सरकार को ” राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह हमला कश्मीर में शांति और पर्यटन के पुनरुत्थान को अस्थिर करने की एक गहरी साजिश प्रतीत होती है।
पहलगाम, जिसे “मिनी स्विटजरलैंड” या कश्मीर का स्वर्ग कहा जाता है पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। इसलिए आतंक फैलाने के लिए इसी जगह का चयन किया गया। जैसा की सभी जानते हैं हाल के वर्षों में जम्मू कश्मीर पर्यटन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसलिए अशांति फैलाने और भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने का यह एक भरसक प्रयास हो सकता है।
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, और सूत्रों के अनुसार, आतंकी पाकिस्तान से संचालित हो सकते हैं जबकि इस हमले ने कश्मीर के पर्यटन उद्योग पर गहरा आघात पहुंचाया है इस स्थिति में यदि यहां निरंतर बढ़ता रहा तो जम्मू कश्मीर के लोगों का रोजगार प्रभावित हो जाएगा। एवं भारत का टूरिज्म भी कलंकित होगा लोग वहां जाने से डरेंगे और हिंदू भी हिंदू होने में खतरा महसूस करेगा । यह एक बहुत बड़ी षड्यंत्र नजर आ रहा है , धार्मिक कट्टरता का यह एक घिनौना प्रदर्शन है, और जिस प्रकार हिंदुओं को टारगेट किया गया है भारत के अंदर वह दिन दूर नहीं जब हर दिशा में दंगे होंगे। अभी तक तो हिंदुओं के अंदर भय की भावना एवं टूरिज्म का खत्म करना कि इसका प्रमुख उद्देश्य और कारण नजर आ रहा है।
✍️ आशी प्रतिभा
स्वतंत्र लेखिका, भारत