Khula Sach
ताज़ा खबरदेश-विदेश

आर्कटिक में जैव संसाधनों एवं मत्स्य पालन पर सम्मेलन में मत्स्य पालन उद्योग के विकास पर हुई चर्चा

मुंबई, साल 2021-2023 के दौरान आर्कटिक काउंसिल की रूस की अध्यक्षता के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की योजना के तहत 11-12 मई को आर्कान्जेस्क में ‘कॉन्फ्रेंस ऑन बायोरिसोर्सेज एंड फिशरीज इन द आर्कटिक’ का आयोजन हुआ. इस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वालों ने आर्कटिक में काम करने और जैविक संसाधनों के संरक्षण के विभिन्न पहलुओं, फिशरीज इंडस्ट्री के विकास के साथ-साथ समुद्र में मछली पकड़ने के पारंपरिक तरीके के विनियमन पर चर्चा की.

रूस के विदेश मंत्रालय में अम्बैस्डर-एट-लार्ज निकोलय कोरचुनोव ने कहा, “आर्कटिक जोन में बुनियादी ढांचे और निवेश से जुड़ी प्रमुख योजनाओं के क्रियान्वयन के समय यह अहम है कि हम समुद्री संसाधनों के जिम्मेदार, टिकाऊ प्रबंधन के सिद्धांतों का पालन करें. पारंपरिक मुख्य आर्थिक गतिविधियों में शामिल होने की वजह से मत्स्य पालन इस इलाके में रहने वाले लोगों और इन सबसे ऊपर मूल निवासियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. जैव संसाधनों के संरक्षण एवं उनके रखरखाव के साथ-साथ आर्कटिक इकोसिस्टम की निगरानी रखना मुख्य लक्ष्य है. आर्कटिक कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहा है, जिनमें से एक जलवायु एवं पर्यावरण के एजेंडा से संबंधित है. इस क्षेत्र में प्राकृतिक प्रक्रिया में अनियंत्रित मानवीय हस्तक्षेप का आर्कटिक क्षेत्र के पूरे इकोसिस्टम पर काफी नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है.”

कॉन्फ्रेंस के प्रमुख कार्यक्रमों में ‘एक्वेटिक बायोलॉजिकल रिसोर्सेज. फिशरीज एंड स्टॉक कंजर्वेशन इन द आर्कटिक’ पर प्लेनरी सेशन का आयोजन भी शामिल था. इस सत्र में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों ने उत्तरी अक्षांशों में मत्स्य पालन उद्योग की वर्तमान स्थिति के विश्लेषण, जलवायु परिवर्तन की वजह से मत्स्य पालन क्षेत्र में पैदा हुए नए मौकों के साथ-साथ वैज्ञानिक डेटा के आधार पर इन गतिविधियों के प्रभावी प्रबंधन पर चर्चा की. न्यूज एजेंसी टीएएसएस की आधिकारिक प्रवक्ता विक्टोरिया क्लैडिेएवा ने इस सत्र का संचालन किया.

फेडरल एजेंसी फॉर फिशरीज के डायरेक्टर इल्या शस्ताकोव ने कहा, “हमने हाल में काफी अधिक वैज्ञानिक शोध किए हैं, हमारे वैज्ञानिक पोत ने दो बार ट्रांस-ऑर्कटिक को पार किया और विशेषज्ञों ने पूरे आर्कटिक क्षेत्र के मछली के भंडारण का अध्ययन किया. जलवायु परिवर्तन हो रहा है और लापतेव सागर एवं अन्य आर्कटिक सागरों सहित भंडारणों के वितरण में हो रहे बदलावों पर नजर रखना जरूरी है. हमारे द्वारा जुटाए गए आंकड़ों से इस बात का अधिक सटीक आकलन करने में मदद मिलेगी कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आर्कटिक में क्या होने वाला है.”

Related posts

Mirzapur : 135 शीशी अवैध देशी शराब के साथ अभियुक्त गिरफ्तार

Khula Sach

Mirzapur : मधुमक्खी के हमले से वृद्ध घायल

Khula Sach

एएमओ इलेक्ट्रिक बाइक्स की त्यौहारी छूट

Khula Sach

Leave a Comment