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संत वैलेंटाइन की याद में वैलेंटाइन डे को अब विवाह दिवस के रूप में घोषित कर देना चाहिए !

✍️  आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका), ग्वालियर, मध्य प्रदेश

वैलेंटाइन डे रोम फेस्टिवल से शुरू हुआ, इस दिन वैवाहिक पुरुष, स्त्री एक दूसरे के समक्ष अपनी प्रेम का इजहार किया करते हैं। रोम के कई शहरों में इस दिन सामूहिक विवाह का आयोजन किया जाता है इसलिए इसे उत्सव रूपी मनाया जाता है परंतु वैलेंटाइन डे मनाने के पीछे का इतिहास शायद ही बहुत कम लोग जानते हैं।

वैलेंटाइन डे संत की स्मृति के रूप में मनाया जाने वाला एक पर्व हैं ,जिसे युवाओं ने अपने प्रेम मोहब्बत के लिए प्रचलित कर दिया। जबकि वैलेंटाइन डे दिवस पर एक ऐसे संत को फांसी दी गई थी, जिन्होंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ जाकर कार्य किया। उन्होंने रोम के राजा किंग क्लाउडियस की मानसिकता के खिलाफ जाकर कई सैनिकों की शादी करवाई ताकि वे जब अंत में घर वापस लौट कर आए तो उनके जीवन में उनका कोई हमसफ़र हो । एक तरफ जहां रोम के राजा क्लाउडियस प्रेम विवाह के खिलाफ थे, उनका मानना था सैनिकों का विवाह होने लगेगा तो सेना पर इसका प्रभाव पड़ेगा और वह कमजोर हो जाएगी , वही संत वैलेंटाइन प्रेम का खुलकर प्रचार प्रसार किया करते थे। इस कारण ही 14 फरवरी के दिन संत वैलेंटाइन को फांसी की सजा सुना दी गई। इसके बाद पांचवी शताब्दी में रोम के पोप गेलेसियस ने 14 फरवरी को सेंट वैलेंटाइन डे घोषित कर दिया गया और रोम के कई बड़े शहरों में सामूहिक विवाह के आयोजन किए जाने लगे।

परंतु आज वैलेंटाइन डे की आड़ में गलत मार्ग को चुनना और अपने संस्कारों को बलि चढ़ा देना संत वैलेंटाइन के अपमान के बराबर है । आज भारत में भी वैलेंटाइन डे 14 फरवरी के दिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है इसमें कई लड़के लड़कियां साथ में मिलकर मरने जीने की कसमें खाते हैं और कई लोग प्रेम का इजहार करने के लिए इस दिन को ही चुनना पसंद करते हैं । यदि कहा जाए तो वैलेंटाइन डे का मनाया जाना भारत में अब बहुत ही प्रचलित हो गया है लेकिन इसके पीछे का सत्य तो यह है कि वैलेंटाइन डे की आड़ में कई लड़के लड़कियां अपने माता-पिता से झूठ बोलकर गलत रिश्ते को प्रेम का नाम देते हैं। इसके अलावा आज कई व्यवसायिक कंपनियां वैलेंटाइन डे से पहले ही वैलेंटाइन डे सप्ताह का प्रचार प्रसार बड़ी जोर शोर से करती है, इन मनमोहक विज्ञापनों से प्रभावित होकर लोग वेलेंटाइन डे से पहले चॉकलेट, टेडी, कार्ड इत्यादि समान की खरीदारी जोर शोर से करते हैं और कई व्यवसाय कंपनियों को इससे बहुत बड़े स्तर पर मुनाफा भी होता है।

परंतु वास्तविक रूप में देखा जाए तो वैलेंटाइन डे प्रेम का प्रतीक माना जाना चाहिए ना की भावनाओं में बहकर किसी गलत कार्य को अंजाम देना। हमारी पीढ़ी इससे प्रभावित है परंतु वास्तविक वैलेंटाइन को समझना और समझाना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है, इसीलिए जैसा कि रोम शहर में यह प्रचलित है वैसे भारत और इत्यादि देशों में भी इस दिन सामूहिक विवाह का आयोजन करवाना चाहिए , ताकि इसके इतिहास को हमेशा हमारी पीढ़ी याद रखें कि संत वैलेंटाइन सैनिकों की शादी करवाने और प्रेम का प्रचार प्रसार करने के लिए शहीद हुए थे।

♦ आशी प्रतिभा दुबे (स्वतंत्र लेखिका), ग्वालियर, मध्य प्रदेश

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