✍️ डॉ मनोज कुमार तिवारी
परीक्षा के निकट आते ही छात्रों की दिनचर्या अनियमित होने लगती है जिससे छात्रों का समय व्यवस्थापन, खानपान, आराम का समय, खेलकूद, मनोरंजन सभी की व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाता है। छात्रों के संवेगात्मक अवस्था में नकारात्मकता अधिक होने से उनकी संज्ञानात्मक क्षमताएं (सीखना, स्मृति, चिंतन, प्रत्यक्षीकरण व अन्य) ठीक से काम नहीं करती। छात्र अधिक श्रम करते हैं फिर भी अधिगम व स्मृति कम ही होता है और उन्हें अनेक मनोवैज्ञानिक समस्याओं (तनाव, अनिद्रा, सिर दर्द, पेट दर्द, मिचली, उदासी, थकान, चिडचिडापन ध्यान की समस्या व अन्य) का सामना करना पड़ता है।
समय व्यवस्थापन अध्ययन कौशल का एक अहम् हिस्सा है जो विद्यार्थी अध्ययन समय-सारणी के अनुसार करते हैं वे न केवल कम समय में ज्यादा सीखते हैं बल्कि देर से भूलते भी हैं। जो विद्यार्थी लिखित समय- सारणी नहीं बनाते वे न केवल अधिक समय खर्च करते हैं बल्कि परीक्षा में उनकी सफलता संदिग्ध बनी रहती है क्योंकि वे कुछ विषय अधिक पढ़ते हैं तथा कुछ विषय कम पढने से परीक्षा के समय उच्च स्तर का तनाव होता हैं जिससे पढ़े हुए विषयों के भी विस्मरण होने की संभावना उच्च स्तर की रहती है। परीक्षा की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु लिखित समय-सारणी बनाकर अध्ययन वाले स्थान पर लगा के रखना चाहिए ताकि वे आवश्यकता अनुसार सभी विषयों को समुचित समय प्रदान कर सकें। मनोवैज्ञानिक समय-सारणी का एक प्रारूप निम्नलिखित है:-
सुबह के समय कार्य
4:30 बजे जगने का समय 4:30-4:45 बजे नित्यक्रिया 4:45-6:00 बजे अध्ययन
6:00- 6:15 बजे हल्का नाश्ता 6:15-7:15 बजे अध्ययन 7:15-8:00 बजे व्यक्तिगत कार्य
8-9 बजे अध्ययन
9-9:30 बजे मनोरंजन
9:30-10:30 बजे अध्ययन
10:30-12:00 बजे स्नान, भोजन एवं आराम
दोपहर के समय कार्य
12-1 बजे तक अध्ययन
1-2 बजे तक मित्रों व शिक्षकों से परिचर्चा
2-3 बजे तक अध्ययन
3-4 बजे तक खेलकूद व मनोरंजन
शाम के समय कार्य
4-4:15 बजे तक नाश्ता
4:15-5:15 बजे तक अध्ययन
5:15-6 बजे तक व्यक्तिगत कार्य
6-7:00 बजे तक अध्ययन
रात्रि के समय कार्य
7-8 बजे तक अभिभावक से चर्चा
8-9 बजे तक अध्ययन
9-10 बजे तक भोजन व चर्चा
10-4.30 बजे तक रात्रि विश्राम
उपरोक्त समय सारणी में छात्र अपने अभिभावक एवं शिक्षकों से चर्चा करके समय एवं क्रम में परिवर्तन कर सकते हैं। किसी विशेष जानकारी के लिए 95324 56107 पर शाम 7:00 से 8:00 बजे तक लेखक से निशुल्क परामर्श लें सकते हैं। अपने रुचि के कार्य तथा खेल एवं मनोरंजन के लिए भी समय सारणी में पर्याप्त समय प्रदान करना चाहिए। हल्का नाश्ता करके पढ़ाई करना चाहिए। अध्ययन सदैव कुर्सी मेज पर बैठकर करें, बिस्तर पर लेटकर अध्ययन करने से अधिगम की गति, मात्रा व गुणवत्ता निम्न स्तर की होती है।
विद्यार्थी अपने अध्ययन कक्ष में टेलीविजन, रेडियो एवं मल्टीमीडिया मोबाइल न रखें। अध्ययन कक्ष में पर्याप्त प्रकाश एवं हवा की व्यवस्था रखें क्योंकि प्रकाश एवं हवा की कमी होने से जल्दी थकान होता है तथा सिर दर्द होने की संभावना बनी रहती है।
परीक्षा की तैयारी:
# फ्लैश कार्ड बनाएं
# रटने की वजाय समझकर सीखने की कोशिश करें
# नोट्स को व्यवस्थित लिखें
# पढ़ने में विभिन्न संसाधनों का उपयोग करें
# परीक्षा के प्रारूप को समझकर उसके अनुरूप तैयारी करें
# किसी पाठ को सफलतापूर्वक सीख लेने पर स्वयं को शाबाशी एवं पुनर्बलन दे
# सभी प्रश्नों का समुचित उत्तर ढूंढे और यह भी सोचें कि कोई उत्तर सही क्यों है इससे प्रश्नों के प्रारूप में परिवर्तन होने पर भी परीक्षा में भ्रम नहीं होगा
# सीखने के बाद बोल कर दोहराने के बजाय लिखकर दोहराने से परीक्षा में भूलने की संभावना कम रहती है
# कमजोर विषयों पर विशेष ध्यान दें।
✍️ डॉ मनोज कुमार तिवारी (वरिष्ठ परामर्शदाता)
एआरटी सेंटर, एसएस हॉस्पिटल, आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी