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पुनीत इस्सर, सिद्धांत इस्सर व रामकुमार पाल द्वारा निर्देशित “जय श्रीराम रामायण” का सफल मंचन संपन्न

मुंबई (संवाददाता) : रामकुमार पाल, पुनीत इस्सर व सिद्धांत इस्सर द्वारा निर्देशित जय श्री राम रामायण का सफल मंचन बांद्रा वेस्ट के सेंट सेंट एन्ड्रूज ऑडोटोरियम में सफलता पूर्वक हुआ आप को बता दे की इस जय श्री राम रामायण के निर्माता रामकुमार पाल व निर्देशन पुनीत इस्सर व सिद्धांत इस्सर व राम कुमार पाल जी स्वयं थे ! इस जय श्री रामायण की प्रस्तुति बहुत ही शानदार रही ! जय श्री राम रामायण जिसने भी देखा तारीफ के पूल बांधे हर कोई के जबान पर जय श्री राम गूंजा रहा था इस रामायण ने बच्चे बूढ़े सभी का मन मोहा लिया पुरे हाल खचा खच भरा हुआ था हर कोई कलाकारो के अभिनय को सराहा और उनकी कामो की प्रसंशा की ! इस रामायण में श्री राम के किरदार में सिद्धांत इस्सर , रावण के किरदार में पुनीत इस्सर , महादेव शिव जी के किरदार में यशोधन राणा , सीता जी के किरदार समीक्षा भटनागर , बजरंगवली के किरदार में बिंदु दारा सिंह ,पार्वती जी के किरदार प्रीत कुंवर चौधरी , सूर्पनखा की किरदार में पायल गोगा कपूर जी ने भूमिका निभाई !

इस रामायण में कई लोगो ने भूमिका निभाई जिसमे मुख्या रूप से दीपाली सैनी, मिनाक्षी राणा, रोशनी रस्तोगी, सोनम त्रिपाठी, विक्रम तिवारी, तरुण दत्ता, कारन शर्मा, आशीष दुबे, शरद पानी, दीपक सोमलकर, मयंक कांसादिया, कारन कपूर, राहुल चौरसिया, उत्तम झा, साक्षी उपाध्याय, नम्रता जाधव! इस जय श्री रामायण में उद्भाव ओझा, अभिनव कौशिक आनंद नागर ने दिये और गीत शिरीन आनंद दुबे अभिषेक पांडेय व नरेश कटियांण ने लिखे ! इस जय श्री रामायण को शोमैन थिएटर प्रोडक्शन , साक्षी इंटरटेनमेंट वेंचर ने सहयोग किया व इस जयश्री रामायण के कार्यकारी निर्माता राहुल चौरसिया थे !

इस रामायण के मंचन पर कलाकारों का उत्साह बढ़ाने के लिए केंद्रीय मंत्री व सांसद मुख्तार अब्बास नकवी मुख्या अतिथि के रूप में मौजूद रहे ! मुख़्तार अब्बास नकवी ने व्यक्तव्य में कहा की श्री राम एक मर्यादा पुरोषत्तम है अगर हम सब उनके बताये हुए मार्ग पर चले तो समाज में ऊंच नीच कर जात्त पात खत्म हो जायगा और हमारा देश विश्वगुरु था है और रहेगा ! हमारा देश पहले जैसे सोने की चिड़िया थी वैसे ही सोने की चिड़िया फिर से बन जायगी ! इस जयश्री राम रामायण के निर्माता श्री राम कुमार पाल जी ने संवाददाता को बताया की “रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन ना जाए” इस पंक्ति को आप सभी ने जरूर सुना होगा पर क्या आपने कभी यह सोचा कि भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम क्यों कहा जाता है? मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं इन्होंने त्रेता युग में रावण का वध करने के लिए इस पृथ्वी पर जन्म लिया था।उनकी माता कैकयी की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया था।

भगवान श्रीराम ने कभी भी अपने जीवन में मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया। माता पिता और गुरु की आज्ञा का भी सदैव पालन करते थे और कभी भी अपने मुख से क्यों शब्द का उपयोग करके अस्वीकार्यता नहीं दिखाई।हम भगवान राम को इसलिए नहीं जानते कि वह एक प्रसिद्ध राजा के पुत्र थे अथवा एक प्रसिद्ध कुल में उत्पन्न हुए थे हम उन्हें इसलिए जानते हैं क्योंकि वे विशिष्ट व्यक्तित्व और उत्तम गुणों वाले व्यक्ति थे। जब भगवान राम बालक थे तब उनमें आदर सम्मान अभिवादन व शिष्टाचार का संस्कार था। वे सदैव माता-पिता व गुरुजनों को शीश नवाते थे और उनका आशीर्वाद व स्नेह पाते थे।भगवान राम का चरित्र पूर्णता समन्वयवादी है। उन्होंने अपने जीवन में कठिन संघर्ष किया इसके बाद भी वे विनम्र रहे और मुसीबतों को अवसर में बदलने का विशेष गुण उनमें सदा रहा। उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम कहा जाता है। हम श्री राम के चरित्र पूरा को दिखा पाना संभव नहीं लेकिन हमने इतनी कोशिश की है तीन घंटे में हम मर्यादा पुरषोतम श्री राम जी के जीवन मुख्या अंश को दिखाये ताकि युवा पीढ़ी जो श्री राम जी की विचारो को भूल चुके है वह फिर से लोगो के मन मष्तिष्क में जीवित हो सके और उनके पद चिन्हो पर चल सके ! जय श्री राम

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