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लघुकथा : असुविधा के लिए खेद है

✍️ कमल राठौर साहिल, शिवपुर, (म.प्र.)

घड़ी में रात के 11:00 बज रहे थे और कमल इस उधेड़बुन में था…. कि सुबह 3:30 बजे की ट्रेन है । स्टेशन कमल के घर से 5 किलोमीटर दूर था। नींद कमल की आंखों से अठखेलियां कर रही थी…. और घड़ी अपनी टीक टीक की गति से बढ़ती जा रही थी …सोचते सोचते रात के 1:00 बज गए। अब कमल इस डर से नहीं सो रहा था… कि ढाई , 3:00 बजे नींद खुले या ना खुले… कहीं ट्रेन छूट ना जाए । रात जैसे कह रही हो…. आज आप नहीं सो पाए …असुविधा के लिए खेद है।

2:30 बजे से ही वह स्टेशन पहुंचने की तैयारी करने लगा ….बाहर आकर देखा तो सारा शहर सोया पड़ा था… और इन खामोशियों मैं उसके पैरों की पदचाप ही भंग डाल रही थी। बहुत देर से वह उल्लू की तरह टकटकी लगाकर ऑटो वाले को खोज रहा था। मगर दूर दूर तक कोई ऑटो वाला नहीं मिल रहा था। उसके दिल की धड़कन अभी से ही ट्रेन के इंजन की तरह धक धक कर रही थी । तभी रात के सन्नाटे को चीरती हुई एक आवाज उसके कानों में गई …गौर से देखा तो, अंधेरे में से एक ऑटो आता दिखाई दिया। उसके मन में स्टेशन पर गूँजते अनाउंसमेंट की तरह म्यूजिक बजने लगा। उसके चेहरे पर 100 वाट के बल्ब की तरह उजाला हो गया। ऑटो वाला पास आकर रुका तो उसने पूछा, “भाई साहब कहां जाओगे ?”

कमल हड़बड़ाहट में बोला, “भाई जल्दी कर स्टेशन पर पहुंचना है।”

ऑटो वाला, ” ₹200 लगेंगे…”

“मगर स्टेशन के तो ₹20 लगते हैं…”

ऑटो वाला बोला, “भाई साहब ₹20 में अगर कोई ऑटो जाए तो ढूंढ लो, मैं चलता हूं …”

“अरे रुक रुक…” ट्रेन छूट ना जाए इस डर से मन मसोसकर ₹200 में कमल तैयार हो गया।

ऑटो दो-तीन किलोमीटर ही चला था कि बंद हो गया और इसी के साथ कमल की धड़कन भी जैसे मध्यम पड़ गई हो। ऑटो वाला बोला, “असुविधा के लिए खेद है” भाई साहब ….आप दूसरा ऑटो कर ले और आधा किराया ₹100 मुझे दे दे।”

मरता क्या न करता ₹100 देकर पैदल ही चलने लगा। अब तो उसने ऑटो की उम्मीद ही छोड़ दी। जल्दी-जल्दी पैदल चलकर स्टेशन को नापना चाह रहा था। जैसे तैसे बदहवास स्थिति में पसीने से तरबतर वह 3:30 बजे स्टेशन के गेट पर पहुंच गया …मगर अभी उसे राहत की सांस लेने की फुर्सत नहीं थी। मन में विचार आ रहे थे। पता नहीं ट्रेन कहीं छूट तो नहीं गई, मैं लेट तो नहीं हो गया। स्टेशन के प्लेटफार्म पर जाकर देखा तो वहां कोई ट्रेन नहीं थी। हड़बड़ाहट में उसने जल्दी से पूछताछ विभाग में जाकर कंफर्म किया। वहां जाकर उसे पता लगा उसकी ट्रेन 4 घंटे लेट है। तभी उसके कानों में स्वर लहरियों की तरह अनाउंसमेंट की आवाज उसके कानों में गूंजने लगी… 3:30 बजे जाने वाली महारानी एक्सप्रेस अपने समय से 4 घंटा लेट है.. “असुविधा के लिए खेद है” आपकी यात्रा मंगलमय हो…

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