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“करवा चौथ”-“पति पत्नी एक दूसरे के पूरक

✍️ पूजा गुप्ता, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश

भारत के विभिन्न देशों में अलग-अलग त्यौहार होते हैं जिनका अपना विशेष महत्व होता है, उन्हीं में से एक है करवा चौथ! जिसे स्त्रियां अपने पति के लिए करती है, उनकी लंबी आयु के लिए करती हैं। पति के कार्य क्षेत्र में सफलता के लिए यह व्रत करती हैं। सुंदर साड़ी, सभी तरह के श्रृंगार, चूड़ी, बिंदी, पायल, मंगलसूत्र यह सब एक औरत के श्रृंगार के प्रतीक है, जिसे वह करवा चौथ वाले दिन धारण करती है। एक विशेष सौंदर्य के साथ उस दिन स्त्रियां बहुत सारे व्यंजन बनाती हैं और रात में चांद देखते हुए जल अर्पित करके पति को टीका लगाकर, उनके चरण स्पर्श करती है और कामना करती है कि उन्हें हर जन्म में ऐसा पति मिले।

अच्छी बात है जैसी श्रद्धा पत्नी अपने पति के लिए करती है, जैसी मनोकामनाएं वह पूरी निष्ठा के साथ अपने पति के लिए करती है, काश! पति भी अपनी पत्नी के लिए इसी तरह कुछ विशेष व्रत करते, तो यह व्रत कितना सुंदर हो जाता। पुराणिक कथाओं मे शिवजी और पार्वती जी के आधे-आधे स्वरूप को अर्द्धनारीश्वर का नाम दिया जाता है, क्योंकि वह एक दूसरे के पूरक है, बराबर सुख-दुख के साथी है, जब दोनों ही बराबर है तो एक पति-पत्नी बराबर क्यों नहीं हो सकते हैं? यदि पति अपनी पत्नी के लिए व्रत नहीं कर सकते हैं तो कम से कम अपनी पत्नी की सहायता अन्य कामों में कर सकते हैं, वह दिन भर आपके लिए भूखी प्यासी रहती है, आप भी उनका रसोई घर में हाथ बटाएं, ताकि पत्नी को भी लगे कि मेरा यह व्रत इतना सुंदर है कि पति परमेश्वर भी साथ में मेरी कार्य व्यस्तता को समझ रहे हैं और संपूर्ण साथ दे रहे हैं।

पति द्वारा अपनी पत्नी पर एकाधिकार स्थापित करना, स्वयं को ऊंचे स्थान पर रखकर पत्नी की अवहेलना करना, यह सब बेहद दुखद है। जो पति अपनी पत्नी के साथ सात फेरे लिए हैं, सात वचन लिए है, उन वचनों को निभाने के लिए पति भी सहयोग करें। यदि पत्नियां आप पर आश्रित है और आपके परिवार के लिए समर्पित है तो आप का भी फर्ज बनता है कि आप अपनी पत्नी के साथ उसके करवा चौथ के व्रत को सफल करें। तीज त्यौहार बहुत सारे आते हैं, ज्यादातर की पत्नियां ही व्रत करती है। समाज के अंदर स्त्रियों को परिवार की आधारशिला माना गया है, क्योंकि स्त्रियों के पास दुख तकलीफ सहने की पूर्ण ताकत होती है, वह मन से मजबूत होती है पुरुषों की अपेक्षा, इसलिए वह सारे त्यौहार बखूबी हंसते-हंसते पूर्ण कर लेती है, इसलिए स्त्री को देवी माना गया है। पर समाज के कुछ लोग स्त्रियों के त्याग को समझते नहीं है, उन पर अत्याचार करते हैं, दहेज की आग में जला देते हैं। स्त्रियां पूरा जीवन अपने बच्चों और पति के परिवार को दे देती है, पर वह खुद के लिए भी नहीं जीती है। हर पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी को एक पहचान दिलाए, उसके सपने पूरे करें। शादी से पहले स्त्रियों के कई सपने होते हैं, जो वह चाहती है कि शादी के बाद उसके पति उसके सपने को पूरा करने में सहयोग करें, लेकिन जब उन्हें सपना पूरा करने वाला माहौल नहीं मिलता है, तो स्त्रियां टूट जाती है अंदर से! लेकिन फिर भी हिम्मत और हौसले के साथ अपने पति और उसके परिवार की सेवा करती है। मेरे हिसाब से हर पति को अपनी पत्नी को आगे बढ़ाने के लिए उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, यदि पति अपनी पत्नी को समझने लगे तो पत्नी के व्रत करने का फल उन्हें भी प्राप्त होगा। पत्नी के दवाई के पर्चों से लेकर मृत्यु तक पतियों का साथ होना चाहिए। जमाना चाहे भले ही औरतों कुछ कहें, उन पर तानाकशी करें, लेकिन यदि पति अपने पत्नी के साथ खड़ा है, तो जमाने को मौका ही नहीं मिलेगा औरतों को लज्जित करने का। कितना अच्छा लगेगा जब पति पत्नी दोनों ही व्रत रहेंगे और रात को दोनों ही चांद देखकर एक दूसरे को पानी पिलाएंगे और साथ बैठकर खाना खाएंगे, कितना सुखद होगा वो पल और सफल होगा यह करवा चौथ का व्रत।

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