✍️ प्रतिभा दुबे, ग्वालियर, मध्य प्रदेश
जब हमारे हुए स्कूल खत्म! तो,
कॉलेज की ओर बढ़े हमारे कदम
अब इतने छोटे भी नहीं रहे थे हम
जैसे आसमान में उड़ रहे थे कदम।।
वह दोस्ती वह यारी वह गप्पे लगाना
वो लेक्चरर की डाट पर भी मुस्कुराना!
कभी लेक्चर लेना अपना पूरे ध्यान से
और कभी क्लास से बंक मार जाना।।
वो मीठी-मीठी सी कुछ यादें बाकी है
वो कॉलेज के दिन थे बड़े शानदार
उन दिनों की जो मस्ती दोस्तों के साथ
वह लम्हे , बीते पल, उनकी बात बाकी है।।
आज भी जब किस्से पुराने याद आते हैं
पुराने दोस्त जब कभी कहीं टकरा जाते हैं
वही मुड़ जाते हैं हमारे कदम, सोचते है हम
हमेशा खास रहेंगे हमारे लिए कॉलेज के लिए।।