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Poem : मेरी प्रिय प्रधानाध्यापिका “मंजू जी” 

जितने प्यारे है ये आपके नाम,
उतने ही प्यारे है इस दुनियां में आप
ममता और दया की मूरत है आप
इस दुनियां में सबसे खूबसूरत हैं आप।

सभी परेशानियों का हल आसानी से कर लेती हों,
एक या दो नही हजारों बच्चों की माताएं कहलाती हो,
बहुत मधुर है वाणी आपकी जैसे मां सरस्वती का रूप हो,
विद्या की देवी मां शारदे का आप एक स्वरूप हो।

शिक्षा के साथ _साथ बहुत कुछ आप सिखाती हैं,
खुद के लिए जीना औरों को हिम्मत देना बताती हैं,
जीवन के विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं,
किसी परिचय के मोहताज नहीं अपनी पहचान खुद बनाती हैं।

आपसे सीखकर बच्चे दुनियां में नाम कमाते हैं,
सही मायने में शिक्षा का मतलब वह समझ पाते हैं,
मन में एक दृढ़ विश्वास लेकर आप हमेशा रहती हैं,
कोई भी तूफान हो आप उसके सामने अटल रहती हैं।

अंधियारों में दीपक की ज्योत हो आप,
गर्मी की धूप में शीतल छाया हो आप,
हर असफलता में एक सफलता का रूप हो आप,
मंजू का अर्थ होता हैं सुंदर उससे भी ज्यादा सुंदर हो आप।

एक मुस्कान से सबके गमों को हर लेती हो आप,
एमबी स्कूल की मान शान और अभिमान हो आप,
हर औरत के लिए एक प्रेरणारूपी देवी का रूप हो आप,
मेरे लिए तो भागवान का दिया हुआ वरदान हो आप।

जब बात होती है गलत की वहां पत्थर बन जाती हो,
सत्य के साथ खड़े होकर सबको न्याय दिलाती हो,
कभी कठोर तो कभी मोम की तरह पिघल जाती हो,
अपने विद्यालय की बागिया को फूल की तरह महकाती हो।

 

 

 

 

मनीषा झा

विरार (महाराष्ट्र)

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