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एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के अध्ययन के अनुसार, 10 में से 3 महिलाएं वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने के लिए बीमा खरीदना महत्वपूर्ण कदम मानती हैं

प्रमुख आंकड़ें :

  • वित्तीमय रूप से आत्मननिर्भर बनना महिलाओं की शीर्ष 3 प्राथमिकताओं में से एक है
  • महिलायें वित्तीड़य नियोजन के लिए इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करती हैं, पर बात जब कोई भी वित्तीयय निर्णय लेने की हो तो परिवार का मार्गदर्शन सबसे अधिक प्रभावित करता है
  • 53 प्रतिशत महिलाओं ने बचत और निवेशकरने के लिए कदम उठाए हैं,हालांकि, 38 प्रतिशत महिलाओं ने दावा किया कि उन्होंनने भविष्या में आने वाली किसी भी आपातकाल स्थिति के लिए अपना बीमा कराया है
  • 82 प्रतिशत महिलाएं ‘स्वतंत्र एवं आत्म विश्वाास’ को वित्ती्य आजादी का समानार्थी मानती हैं

मुंबई : भारत की प्रमुख सामान्य बीमा कंपनियों में से एक, एसबीआई जनरल ने एक समग्र अभियान और एक सर्वेक्षण के जरिए महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया है। इस सर्वेक्षण में कुछ प्रमुख जानकारियां मिली हैं। यह सर्वेक्षण वित्तीय स्वतंत्रता को लेकर महिलाओं की धारणा और उनकी समझ को जानने के लिए किया गया था। इसमें वित्तीय तौर पर स्वतंत्र होने के लिए आवश्यक ट्रिगर्स और बाधाओं का परीक्षण किया गया।

आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्यर है, हालांकि, इसकी धारणा व्यक्तिपरक है और इसके अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं, खासकर महिलाओं के लिए। कामकाजी महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का मतलब यह हो सकता है कि वे स्वयं अपने वित्तीय निर्णय लें या स्वयं की कमाई और प्रबंधन से आत्मनिर्भर बनें। हालांकि, एक गृहिणी के लिए इसका अर्थ मौद्रिक स्वतंत्रता, आजादी और जब चाहें पैसा खर्च करने की क्षमता या आपात स्थिति में अपने खर्च खुद चला सकने की योग्यता हो सकती है।

एसबीआई जनरल के अध्ययन से पता चलता है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना महिलाओं के लिए शीर्ष तीन प्राथमिकताओं में से एक है।

दिलचस्प बात यह है कि महिलाएं भले ही वित्तीय स्वतंत्रता को बहुत ज्यादा महत्व देती हैं लेकिन ज्यातदातर महिलाएं यह संकेत देती हैं कि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने योग्य कमाई नहीं करती हैं और इसलिए सर्वेक्षण में यह पता चलना आश्चर्यजनक नहीं है कि लगभग 50% महिलाएं खुद को आर्थिक रूप से स्वतंत्र महसूस नहीं करती हैं। वित्तीय स्वतंत्रता की कमी टियर 2 शहरों और गैर-कामकाजी महिलाओं में ज्यादा स्पष्ट है।

इस अध्ययन के आधार पर, लगभग 33% महिलाएं “जीवनयापन की लागत” को आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए चुनौती या बाधा में से एक मानती हैं। दूसरी ओर, प्रत्येक 4 में से 1 महिला सामाजिक/पारिवारिक प्रतिबंध या घर से मार्गदर्शन की कमी को एक बाधा बताती है।

यह उत्साहवर्धक है कि, इस सर्वेक्षण में लगभग 53% महिलाओं ने आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने के लिए बचत और निवेश करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। हालांकि, केवल 38% महिलाओं ने दावा किया है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए उन्होंहने खुद का बीमा कराने का कदम उठाया है।

इस सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी पर अपनी बात रखते हुए, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के एमडी और सीईओ पीसी कांडपाल ने कहा, “आज भारत में ज्यादातर महिलाएं आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सुरक्षित होने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं। हालांकि, इस अध्ययन से पता चलता है कि ज्यादातर महिलाएं अभी भी विशेष रूप से निवेश और बीमा जैसे वित्तीय मामलों में आत्मनिर्भर नहीं हैं। वास्तव में, हमारा अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि महिलाएं भले ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने का प्रयास करती हैं, पर एक तिहाई महिलाओं को निवेश और बीमा के बारे में पर्याप्त जानकारी तथा ज्ञान की कमी है। यह उन्हें निवेश से दूर रखने वाला एक प्रमुख घटक माना जाता है।”

 “केवल 38% महिलाओं ने दावा किया है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए उन्होंलने खुद का बीमा कराया है जो आम महिलाओं में बीमा को लेकर जागरूकता और उसकी पहुंच का स्तर कम होने का संकेत है। इसलिए महिलाओं को आवश्यक जानकारी से लैस करने की आवश्यकता है ताकि वे अपने रुपये पैसों के संबंध में जानकार निर्णय ले सकें । हमारे प्रयास इसी आधार पर केंद्रित हैं, और हम ऐसी पहल करना जारी रखेंगे जो महिलाओं के लिए वित्तीय स्वतंत्रता को मुख्यधारा में जो सब हो रहा है उसका हिस्सा बनाती हैं ।”

एसबीआई जनरल वित्तीय योजना के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाकर और महिलाओं को सही बीमा योजना चुनकर अपने भविष्य को सुरक्षित करने में अपनी भूमिका के बारे में शिक्षित करके #FinancialIndependenceforWomen के महत्व का समर्थन कर रहा है। इस सर्वेक्षण के अलावा, कंपनी ने ईटी नाउ के साथ साझेदारी में एक पैनल चर्चा की भी मेजबानी की है। इसमें शेफाली खालसा, प्रमुख – ब्रांड एंड कॉरपोरेट कम्युनिकेशन, एसबीआई जनरल इंश्योरेंस; सुधा मेनन, प्रसिद्ध लेखिका और स्तंभकार जिनके नाम से 6 पुस्तकें आ चुकी हैं, पैट्रिशिया नारायण, संस्थापक, संदीपा ग्रुप ऑफ़ रेस्तरां; कामना छिब्बर , क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और हेड – मेंटल हेल्थ, फोर्टिस हेल्थकेयर जैसी विभिन्नर हस्तियों के दिलचस्प विचार-विमर्श, विचार और मार्गदर्शन शामिल हैं। ईटी नाउ पर “वित्तीय स्वतंत्रता के महत्व” पर पैनल चर्चा की मेजबानी की गई है। साथ ही कंपनी अपनी सामाजिक संपत्तियों पर एक डिजिटल अभियान चला रही है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिलचस्प सामग्री और इंफोग्राफिक्स के माध्यम से संदेश फैला रही है।

वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने पर महिलाओं के महत्व और विचारों को रेखांकित करने के लिए एसबीआई जनरल द्वारा समर्थित YouGov द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुख्य निष्कर्ष:

• वित्ती्य रूप से आत्मषनिर्भर बनना महिलाओं की शीर्ष 3 प्राथमिकताओं में से एक है

• 10 में से 3 महिलाएं बीमा खरीदना आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानती हैं

• महिलायें वित्तीलय नियोजन के लिए इंटरनेट से जानकारी प्राप्त करती हैं, पर बात जब कोई भी वित्तीसय निर्णय लेने की हो तो परिवार का मार्गदर्शन सबसे अधिक प्रभावित करता है

• 53 प्रतिशत महिलाओं ने बचत और निवेशकरने के लिए कदम उठाए हैं,हालांकि, 38 प्रतिशत महिलाओं ने दावा किया कि उन्होंिने भविष्यव में आने वाली किसी भी आपातकाल स्थिति के लिए अपना बीमा कराया है

• 82 प्रतिशत महिलाएं ‘स्वयतंत्र एवं आत्मकविश्वासस’ को वित्ती्य आजादी का समानार्थी मानती हैं

अध्ययन के अन्य निष्कर्षों में शामिल हैं:

• वैसे तो महिलाएं कई मीडिया चैनलों (ऑनलाइन और ऑफलाइन) से वित्त और निवेश के बारे में जानकारी प्राप्तल करती हैं, लेकिन परिवार के मार्गदर्शन (22%) का उनके अंतिम निवेश पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है । इसलिए, महिलाओं को अपने बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने और स्वतंत्र रूप से अपने वित्तीय निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

• इस अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि महिलाओं के बीच अपने वित्त के लिए पेशेवर मदद लेना दुर्लभ है। यहां तक कि जो खुद को आर्थिक रूप से स्वतंत्र मानती हैं उनमें भी। वास्तव में, अध्ययन के अनुसार, अभी तक केवल 17% महिलाओं ने वित्तीय योजनाकार से परामर्श किया था, वहीं एक तिहाई (34%) महिलाओं ने भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए वित्त विशेषज्ञों से समर्थन/मार्गदर्शन की आवश्यकता का संकेत दिया।

• 48% महिलाएं वित्तीय स्वतंत्रता के स्तर को ऊपर उठाने के लिए निवेश और बचत बढ़ाने को महत्वपूर्ण कदम मानती हैं

• अधिकांश (77%) महिलाएं शादी के बाद भी व्यक्तिगत बैंक खाता रखने पर विचार करती हैं, जो आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के एक हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण है

• केवल 30% महिलाओं ने आर्थिक रूप से स्वतंत्रता को आपात स्थितियों से संबंधित माना

यह सर्वेक्षण YouGov के सहयोग में संचालित किया गया था, जिसमें पूरे भारत के टियर 1 एवं टियर 2 शहरों में रहने वाली 25-45 वर्ष की आयु की 1000 से अधिक महिलाएं शामिल थीं। इसमें शीर्ष 6 महानगरों के साथ- साथ अहमदाबाद, लखनऊ, पुणे जैसे मिनी महानगरों और आगरा, जयपुर, इंदौर, भोपाल, कानपुर, नागपुर, वडोदरा, सूरत और चंडीगढ़ जैसे शहरों सहित अगले 20 शहरों से जानकारी प्राप्त की गई है।

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