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तीसरी आंख : होलाष्टक और विधानसभा चुनाव

  • अशुभ काल के प्रभाव के चलते मतगणना के पहले ही उपद्रव
  • बाबा विश्वनाथ और मां विन्ध्यवासिनी के मण्डल में EVM के कथित अपहरण की दास्तां

✍️ सलिल पांडेय

मिर्जापुर, (उ.प्र.) : विधानसभा चुनाव की मतगणना 10 मार्च ’22 को जब शुरू होगी तब होलाष्टक का समय शुरू रहेगा। अष्टमी तिथि 9/10 मार्च को 2:34 से शुरू हो जाएगी । मतगणना भी भद्राकाल में होगा जो 10/3 को अपराह्न 3:36 तक रहेगा। यह सारा समय उथल-पुथल का है। अतः मतगणना के दौरान जगह-जगह उवद्रव रहेगा जिसकी शुरुआत अनेक जिलों में EVM को लेकर हो भी गई है।

होलाष्टक और उसका असर : होलाष्टक वह तिथि है जिस दिन दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु ने अपने ही पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए होलिका को आदेश दिया था।

होलिका का पौराणिक नाम ‘कृत्या’ है। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को भाई हिरण्यकशिपु के आदेश पर वह उलझन में पड़ गई थी। वह अबोध भतीजे को मारना नहीं चाहती थी लेकिन भाई हिरण्यकशिपु के आदेश का उल्लंघन करने की हिम्मत भी नहीं थी। प्रह्लाद को मारने की राजाज्ञा जारी होने की तिथि अष्टमी थी जिसका अनुपालन पूर्णिमा तिथि को हुआ और इस दिन होलिका खुद को जलाकर सत्य और सदाचार के आह्लाद रूप प्रह्लाद को बचा ले गई।

मरते-मरते सन्देश दे गई : होलिका खुद तो मर गई लेकिन एक सन्देश तो दे गई कि निरपराध और अबोध को मारने के बजाय ख़ुद के अस्तित्व को समाप्त कर देना बेहतर है। होलिका की इन्हीं भावनाओं को देखते हुए ‘होलिका माता की जय’ का उद्घोष आज भी होता है।

होलाष्टक का असर बाबा विश्वनाथ के मण्डल और विन्ध्यवासिनी मण्डल में : होलाष्टक और भद्रा का असर दोनों मंडलों में तो दिख ही रहा है। साथ ही प्रदेश के अन्य जनपदों में EVM छेड़छाड़ को लेकर शुरू है। यदि कहीं कोई अनियमितता नहीं हुई और उवद्रव हो रहा है तो यह होलाष्टक के अशुभ मुहूर्त में मतगणना को लेकर कहा जा सकता है।

वाराणसी और सोनभद्र : वाराणसी में प्रशासन कह रहा है कि पहाड़िया स्थित स्ट्रांग रूम से मतगणना की ट्रेनिंग के लिए यूपी कालेज EVM ले जाने के कारण अनर्गल शक किया जा रहा है। जबकि फैक्ट तो यह है कि मतदान वाले EVM जहां रखे जाते हैं, वहां बिना उपयोग का खाली EVM नहीं रखा जाना चाहिए।

परिणाम बताएगा कि कौन हिरण्यकशिपु और कौन प्रह्लाद है? : होलाष्टक तो फिलहाल सत्ता के खिलाफ बगावत का दिन है लेकिन 10/3 को चुनाव परिणाम बताएगा कि कौन सही और कौन गलत रास्ते पर है। जिस पक्ष का पराभव होगा, लोग उसे ही हिरण्यकशिपु ग्रुप का मान लेंगे जिसका वध करने नरसिंह भगवान प्रकट हुए थे।

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