
✍️ सलिल पांडेय
मिर्जापुर, (उ.प्र.) : अपने 60 हजार पुरखों को सिंहासन पर आरूढ़ कर देवलोक की यात्रा कराने के लिए राजा भगीरथ की कथा से धार्मिक भूमि मिर्जापुर के सभी धर्मनिष्ठ लोग परिचित ही हैं। राजा भगीरथ आगे-आगे चले थे और गंगा पीछे पीछे। इस धाम को भी यह गौरव प्राप्त है कि राजा भगीरथ इधर से गुजरे थे।
60 की संख्या इस चुनाव में
7वें चरण के विधानसभा चुनाव में जिले के पंच ज्ञानेंद्रियों स्वरूप 5 विधानसभाओं से राजा बनने के लिए कुल 60 महारथी मैदान-ए- जंग में है। जो पूरे चुनाव तक हजार हजार रूप दिखाएंगे ही। इस प्रकार यह सिद्ध भी होता है कि भगीरथ के 60 हजार पुरखों की कथा यहां के चुनाव में आकार ले रहा है।
त्रिकोण की नगरी में 14 का त्रिकोण
मां विन्ध्यवासिनी के जिले में तीन विधानसभाओं का नामकरण ‘म’ से ही है, जिसमें मिर्जापुर, मझवां और मड़िहान है। इन तीनों क्षेत्रों में 14-14-14 रणबांकुरों की मौजूदगी के भी निहितार्थ दिखाई पड़ रहे हैं।
14 वर्ष के वनवासी श्रीराम आए थे, उसी का असर हो सकता है
धर्मग्रँथों खासकर वाल्मीकि रामायण में उल्लिखित है कि 14 वर्ष के लिए वनवास जाते समय आए ही थे और लंका फ़तह कर भी वे इस धाम में आए थे। 14 वर्ष की इस संख्या को ये प्रत्याशी अपनी मौजूदगी से प्रतीत करा रहे हैं।
चुनार में 10 क्यों?
वामन अवतार में 10 इंद्रियां धारण कर और सामान्य मनुष्य बनकर भगवान विष्णु ने चुनार में पहला कदम रखा था। यहां 10 प्रत्याशियों की मौजूदगी उक्त संख्या से भी जुड़ती है और 10 दसों दिशाओं में कीर्ति पताका फहराने वाले राजा भर्तृहरि की समाधि से भी जुड़ता है। यहां सिद्धि हासिल करने के लिए 10 प्रत्याशी कूद पड़े हैं।
छानबे में 8
अष्टसिद्धियों के लिए विन्ध्यपर्वत विख्यात है। छानबे भगवान शंकर की भार्या सती के पिता दक्ष की राजधानी थी। नव-निधियों की प्राप्ति के लिए हो रहे यज्ञ में यहां विघ्न पड़ गया था। लेकिन अष्टसिद्धि की साधना अनादि काल से ऋषि-मुनि इस क्षेत्र में स्थित अष्टभुजा धारी मातृशक्ति के चरणों में बैठकर करते हैं। अष्टभुजा की आठ भुजाओं के रूप में एक प्रत्याशी के द्वारा पर्चा वापसी से यहां अब 8 योद्धा चुनाव लड़ने के लिए कूद पड़े हैं।
मां की प्रसन्नता के पुष्प से वंचित क्षेत्र
कमलवासिनी मां विन्ध्यवासिनी के इस जिले में कश्यप ऋषि की साधना स्थली कछवा को समेटे मझवां में कमल-चुनाव चिह्न पहली बार नदारद रहेगा जबकि छानबे में ’17 के चुनाव में भी नदारद था। इस क्षेत्र की सीमा में भगवान शंकर के गण वीरभद्र ने महादेव की स्थापना कर पूजा अर्चना की थी। जो वीरभद्रेश्वर महादेव के नाम से विख्यात है।
इस प्रकार अनेक धार्मिक कथाओं का रूप-स्वरूप इस चुनाव में लोग देख रहे हैं।