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Mirzapur : साहित्यकार चुनारी लाल

✍️  प्रवीण वशिष्ठ

मिर्जापुर, (उ.प्र.) : चित्रकूट लाल उर्फ चुनारी लाल की आज पुण्यतिथि है, इस अवसर पर चुनार, मिर्ज़ापुर के साहित्यप्रेमीयों के द्वारा काव्य गोष्ठी का आयोजन काफ़ी लम्बें समय से किया जा रहा है। चुनारी लाल कौन थे? महज आज एक सवाल बन कर रहा गया है, हिन्दी साहित्य के इस बेताज बादशाह, गुमनाम साहित्यकार और समाजसेवी का जन्म 21 जुलाई 1923 को मिर्ज़ापुर की धरती पर चुनार में हुआ। मिर्ज़ापुर के माटी से उनका लगाव इस कदर था कि आजीवन मिर्ज़ापुर, चुनार का सेवा करते रहे।

अपने युवा काल में चुनारी लाल जी रेनुकूट में अध्यापक हुआ करते थे। बाद में उन्होंने अपना दायित्व हिंडाल्को श्रमिक संघर्ष के लिए छोड़ दिया। श्रमिकों के बीच वो काव्य पाठ करते थे। शरीर से दुबले-पतले अंग्रेजी और हिन्दी भाषा के विद्वान चुनारी लाल की सबसे पहली प्रकाशित रचना “विगुल” थी। विगुल 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय इन्होंने लिखा था। इसके बाद 1935 में हरिवंश राय बच्चन की कविता मधुशाला पर इन्होंने मधुशाला नामक कविता लिखी जिसमें इन्होंने मदिरा के कमियों को गिनाया। खुद हरिवंशराय बच्चन ने खत के माध्यम से इनके रचना को सराहा। आज भी चुनारी लाल की बहुत सी रचनाएं अप्रकाशित ही हैं।

एक साहित्यकार होने के साथ- साथ चुनारी लाल कुशल समाजसेवी भी थे। 1954 में ही उन्होंने मौजी जियरा असोसिएशन नामक संस्था बना कर पूरे मिर्ज़ापुर में सेवा कार्य कर रहे थे। 24 दिसम्बर 1973 को चुनार के लाल चित्रकूट उर्फ चुनारी लाल का देहांत हो गया। चुनार के सच्चे सपूत को स्मरण करते हुए प्रत्येक 24 दिसम्बर को मौजी जियरा असोसिएशन के महामंत्री चुनारी लाल के पुत्र कुशवाहा दीप के द्वारा एक अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। 24 दिसम्बर को ही पांडेय बेचन ‘उग्र’ की जयंती भी है। इसी लिए उन्हें भी आज के दिन याद किया जाता है।

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