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षडशीति संक्रान्ती तथा प्रदोष व्रत का अनन्य साधारण महत्व

✍️ कांचन समर्थ

मुंबई : इस गुरुवार 16 दिसम्बर 2021 के षडशीति संक्रान्ती है । इस दिन का पुण्यकाल है, सूर्योदय से दोपहर 12:34 तक इस काल समय में जप, तप, ध्यान और सेवा का पूण्य 86000 गुना प्राप्त होगा। इस दिन करोड़ रुपयों का अतिआवश्यक काम छोड़कर अधिक से अधिक समय जप, ध्यान, प्रार्थना तथा ब्रम्हचर्य में लगाएं यह बताया है। पद्म पुराण में भी इसका उल्लेख किया गया है, षडशीति संक्रांति में किये गए जप ध्यान का फल ८६००० गुना होता है।

प्रदोष व्रत ; हिंदू शास्त्रों के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 16 दिसम्बर, याने गुरुवार को प्रदोष व्रत आता है। इस दिन शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, यह जानिए….

ऐसे करें प्रदोष व्रत तथा पूजा

प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल (गंगाजल उपलब्ध ना हो तो तांबे के लोटे में जल भरकर बेलपत्र तथा तुलसी पत्र डालें) से स्नान कराएं। पश्चात बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य-भोग, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं। यह संपूर्ण दिवस निराहार रहे, किन्तु संभव ना हो तो दूध तथा फलाहार कर सकते हैं। संध्या को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।

उचित लाभ हेतु यह उपाय करें :

सुबह जल्दी उठकर स्नान के पानी में चुटकी भर नमक डालकर स्नान करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । फिर सन्ध्या होने पर आठ दिशाओं में एक एक करके आठ दीपक जलाएं। भगवान शंकरजी की आरती करें और घी शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। अब आप इसी भोग से अपना व्रत भी तोड़ें। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें। यह सहज सामान्य उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भक्त का भाग्योदय भी होता है। हम भक्तों को एकादशी के बाद आनेवाली अखंड द्वादशी व्रत पर्व का विवरण भी जानने-समझने में कोई हरकत नहीं होनी चाहिए।

द्वादशी का सामान्य विवरण यह बताया गया है, व्दादशी को पूतिका याने पोई अथवा त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। संदर्भ ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34 किन्तु यह व्दादशी विशेष याने मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी है, जो एकादशी के दुसरे दिन होंगी, अब इस बार 15 दिसम्बर 2021 बुधवार को मार्गशीर्ष शुक्ल द्वादशी है। वैसे व्दादशी हर एकादशी के दुसरे दिन आतीं हैं, वराह पुराण के अनुसार जो पुरुष नियमपूर्वक रहकर कार्तिक, मार्गशीर्ष एवं बैशाख महीनों की द्वादशी तिथियों के दिन खिले हुए पुष्पों की वनमाला तथा चन्दन आदि को मुझ पर चढ़ाता है, उसने मानो बारह वर्षों तक मेरी पूजा कर ली। वराह पुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास में चन्दन एवं कमल के पुष्प को एक साथ मिलाकर जो भगवान विष्णु को अर्पण करता है, उसे महान फल प्राप्त होता है। तो अग्निपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष के शुक्लपक्ष की द्वादशी को श्रीकृष्ण का पूजन करके जो मनुष्य लवण का दान करता हैं, वह सम्पूर्ण रसों के दान का फल प्राप्त करता हैं।

महाभारत अनुशासन पर्व

” द्वादश्यां मार्गशीर्षे तु अहोरात्रेण केशवम्।
अर्च्याश्वमेधं प्राप्नोति दुष्कृतं चास्य नश्यति।। “

जो भक्त मार्गशीर्ष की द्वादशी को दिन-रात उपवास करके केशव नाम से पूजा करता है, उसे अश्‍वमेघ-यज्ञ का फल मिलता है। स्कन्दपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष मास में श्रीभगवान विष्णु को, उनके अन्य स्वरुप को स्नान कराने का विशेष महत्व है विशेषतः द्वादशी को । व्दादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को शंख के द्वारा दूध से स्नान कराएं, यह शास्त्र मार्गदर्शन है ।

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