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कोरोना कॉल में कैसा मनाये विश्व मजदूर दिवस

हर वर्ष 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है जो कि मजदूर काम काज वाले बंधुओं को समर्पित है

– महेश राठौर सोनू

1 मई का दिन भारत समेत दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस या मई दिवस के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग के लोगों को समर्पित है। भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने 1 मई 1923 को चेन्नई से की थी। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस की शुरुआत 1 मई 1886 से हुई थी। भारत में लेबर डे को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे भी कहा जाता है।

ये दिन मजदूरों के सम्मान, उनकी एकता और उनके हक के समर्थन में मनाया जाता लेकिन लगातार दूसरे साल ऐसा मौका है जब मजदूर मजबूरी में मजदूर दिवस मना रहा है आज का समय (कोरोना काल) मजदूरों के लिए बहुत ही भयानक था का मंजर लाया है पिछले साल कोरोना की वजह से संपूर्ण लॉकडाउन में सैकड़ों मजदूर बंधुओं की जान गई और लाखों-करोड़ों लोगों को अपने कामकाज से भी हाथ धोना पड़ा है देश में बढ़ती बेरोजगारी के बीच में कोरोना ने भी मजदूर को विवश कर दिया है जिस उद्देश्य से मजदूर दिवस की शुरुआत हुई थी सोच यह थी कि मजदूरों को उनका हक मिलेगा लेकिन ना चाहते हुए भी भयानकता का मंजर आंखों के आगे पसरा हुआ है आज का मजदूर बहुत ही मजबूरी में जी रहा है समाज के कई ऐसे वर्ग हैं जिनका काम काज ही जीवन की अहमियत है लेकिन इस कोरोना कॉल ने मजबूरी और विवशता मजदूर के सामने लाकर खड़ी कर दी है। दुख के साथ मजबूरी में मजदूर दिवस मनाया जा रहा है बहुत ही दुखद है।

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